Sunday, April 28, 2024
Hometrendingपौषधशाला में रविवार से प्रारंभ हुई चातुर्मासिक प्रवचन शृंखला, साध्वीश्री अक्षयदर्शना ने...

पौषधशाला में रविवार से प्रारंभ हुई चातुर्मासिक प्रवचन शृंखला, साध्वीश्री अक्षयदर्शना ने बताई श्रवण की महत्ता

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

बीकानेर Abhayindia.com जीवन परिवर्तन का समय है चातुर्मास। इस अवधि में जिनवाणी सुनें तथा धर्म मार्ग पर आगे बढ़ें। उक्त प्रवचन रविवार को बीकानेर कोचर कुलदीपिका साध्वीश्री सौम्यदर्शनाजी ने रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में व्यक्त किए। साध्वीश्री सौम्यदर्शनाजी ने कहा कि जिनवाणी के आलंबन से ही विवेक रूपी दीपक रोशन होगा। संयम व तप का संकल्प कर धमप्रवृत्तियों को बढ़ाकर चातुर्मास में जीवन परिवर्तन लाएं। इससे पूर्व साध्वीश्री अक्षयदर्शनाजी ने कहा कि जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है और हिंसा से बचने के लिए अहिंसा को समझना होगा। हर जीव में दस प्राण होते हैं, इनमें से किसी भी प्राण को छीनना हिंसा है। केवल मारना ही नहीं बल्कि किसी के मन को ठेस पहुंचाना, वाणी से कटुवचन बोलना भी हिंसा है। साध्वीश्री अक्षयदर्शनाजी ने श्रवण की महत्ता बताते हुए कहा कि सुनना बहुत जरूरी है, सुनने से ही पता चलेगा कि हमारे लिए क्या कल्याणकारी है। जिनवाणी सुनें, तभी मोक्ष का मार्ग मिलेगा।

श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ के अध्यक्ष रिखबचंद सिरोहिया ने बताया कि साध्वीवृंद के चातुर्मासिक मंगल प्रवेश के साथ ही रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में रविवार से प्रवचन शृंखला प्रारंभ हुई है। चातुर्मास के मुख्य लाभार्थी सुरेन्द्र जैन बद्धाणी ने बताया कि नवकार मंत्र से सुबह नौ बजते ही साध्वीश्री द्वारा प्रवचन प्रारंभ किया गया। 15 जुलाई से 28 दिवसीय गौतम लब्धि तप प्रारंभ होगा। विकास सिरोहिया ने बताया कि प्रवचन के बाद गुरु वल्लभ वंदन किया गया तथा प्रभावना पूनमचंद विजय चंद कमलचंद धर्मेन्द्र बांठिया परिवार द्वारा दी गई।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Ad
- Advertisment -

Most Popular