Saturday, April 20, 2024
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बहुभाषी कवि सम्मेलन में बही इन्द्रधनुषी कविताओं और गीतों की बहार

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हैदराबाद abhayindia.com विश्व भाषा अकादमी, भारत और सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों होली के अवसर पर बहुभाषी कवि सम्मेलन का ऑनलाइन आयोजन किया गया। सूत्रधार संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने इस सम्मेलन में पधारे हुए सभी सम्मानित अतिथियों और विद्वजनों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया और उन्हें वर्चुअल मंच पर आसन ग्रहण करने के लिए सादर आमंत्रित किया।

इस सम्मेलन की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कवि एवं गज़लकार लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने की। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे कोरबा, छत्तीसगढ़ निवासी लब्ध प्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार सत्य प्रसन्न राव। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्व भाषा अकादमी, भारत के चेयरमैन मुकेश शर्मा ने सम्मेलन के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। विश्व भाषा अकादमी भारत की गुरुग्राम इकाई की अध्यक्ष डॉ.बीना राघव और गुजरात इकाई की अध्यक्ष उर्मिला पचीसिया इस सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित थीं।

कोलकाता के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं अर्थशास्त्री सुरेश चौधरी इस सम्मेलन के गौरवनीय अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे। तेलंगाना इकाई की महासचिव श्रीज्योति नारायण की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात् उपाध्यक्ष प्रदीप देवीशरण भट्ट ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था साहित्य से जुड़े हुए लोगों का एक परिवार है, जहाँ वरिष्ठ साहित्यकार इसकी नींव है वहीं कनिष्ठ साहित्यकार उस नींव पर एक मजबूत दीवार का निर्माण करने का निरंतर प्रयत्न करते रहते हैं। इसी के साथ संस्था नवांकुर रचनाकारों को एक ऐसा मंच प्रदान करती है, जहां पर वे अपने हृदय में उठे उद्गारों को शब्दबद्ध कर सकें और मुक्त आकाश में उड़ान भर सकें।

 

उन्होंने आगे कहा कि विश्व भाषा अकादमी भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था है, जिसका उद्देश्य हिन्दी भाषा के विकास के साथ-साथ भारतीय भाषाओं और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के विकास हेतु कार्य करना है। अकादमी की बहुत-सी राज्य शाखाएं इस कार्य हेतु निरन्तर कार्यरत हैं। उन्होंने सभी सम्मानित अतिथियों का विस्तृत परिचय सभा के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी आकाशवाणी दिल्ली के पूर्व निदेशक हैं। इन्होंने अनेक अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में हमारे देश का प्रतिनिधित्व किया है। इन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान विशिष्ट है। सत्य प्रसन्न राव मूलतः तेलुगु भाषी हैं लेकिन इनकी हिन्दी साहित्य साधना श्लाघनीय है। सुरेश चौधरी संस्कृत भाषा के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान एवं साहित्यकार हैं, साथ ही वे अर्थशास्त्री भी हैं।

 

उर्मिला पचीसिया उत्कृष्ट लेखिका हैं और साहित्य अकादमी गुजरात से पुरस्कृत हैं। डाॅ.बीना राघव हिन्दी भाषा की प्राध्यापिका हैं और बहुत अच्छी साहित्यकार भी हैं। सरिता सुराणा ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस बहुभाषी कवि सम्मेलन का उद्देश्य हिन्दी भाषा के साथ-साथ समस्त भारतीय भाषाओं को एकसूत्र में पिरोकर एक मंच पर लाना है। हमारे देश में बहुभाषा भाषी लोग निवास करते हैं, महानगरों में आजकल एक लघु भारत देखने को मिलता है। यहां के निवासियों की भाषाएं भिन्न-भिन्न होते हुए भी उनमें सामाजिक और सांस्कृतिक एकता दिखाई देती है। इन सबके पीछे हमारी सम्पर्क भाषा हिन्दी का बहुत बड़ा योगदान है।

 

हमारे देश में लगभग 121 भाषाएं और 10000 से ज्यादा बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन हमारे संविधान में सिर्फ 22 भाषाओं को ही मान्यता प्राप्त है।  इसलिए सभी भाषाओं को संरक्षण एवं संवर्धन प्रदान करना हमारा कर्त्तव्य है और इसी कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए हम आज का बहुभाषी कवि सम्मेलन प्रारम्भ करते हैं। सर्वप्रथम पटनचेरू से कवि बिनोद गिरि ने भोजपुरी भाषा में अपना गीत प्रस्तुत किया तो गुजराती भाषा सलाहकार भावना पुरोहित ने गुजराती भाषा में अपनी रचना सुनाई। सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से बबीता अग्रवाल कंवल ने नेपाली भाषा में काव्य पाठ कर समां बांधा तो भारती सुजीत बिहानी ने मारवाड़ी भाषा में अपनी रचना प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। ज्योति नारायण ने हिन्दी भाषा में सस्वर होली गीत प्रस्तुत किया तो संयुक्त सचिव आर्या झा ने भी अपनी ओजस्वी वाणी में हिन्दी में ही रचना पाठ किया। कटक, उड़ीसा से सम्मेलन में जुड़ी  रिमझिम झा ने बांग्ला भाषा में काव्य पाठ किया तो सिलीगुड़ी से बबीता झा ने मैथिली भाषा में काव्य पाठ के रंग बिखेरे।

 

मराठी भाषा की सलाहकार मीना खोंड ने मराठी में काव्य पाठ किया तो परामर्शदाता डॉ.आर सुमन लता ने तेलुगु भाषा में काव्य पाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंजुला एम दूसी ने हिन्दी भाषा में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी तो संपत देवी मुरारका ने भी हिन्दी भाषा में काव्य पाठ किया। विविध भाषाभाषी कवियों और कवयित्रियों से सजी इस महफ़िल में विजय लक्ष्मी बस्वा ने कन्नड़ भाषा में अपनी प्रस्तुति देकर सबको रोमांचित कर दिया। हर्षलता दुधोड़िया ने मारवाड़ी भाषा में राधा-कृष्ण की होली से संबंधित सुमधुर गीत की प्रस्तुति दी।

 

प्रदीप देवीशरण भट्ट ने आध्यात्मिक भावों से परिपूर्ण सुन्दर रचना हिन्दी भाषा में प्रस्तुत की वहीं परामर्शदाता सुहास भटनागर ने अंग्रेजी भाषा में बहुत ही सुन्दर और अर्थपूर्ण रचना का वाचन किया। कार्यकारी संयोजिका सुनीता लुल्ला ने सिन्धी भाषा में अपने भावों की सुन्दर काव्यमय प्रस्तुति दी तो कोषाध्यक्ष संगीता जी.शर्मा ने मारवाड़ी भाषा में काव्य पाठ किया। संतोष रजा गाजीपुरी ने हिन्दी भाषा में गज़ल का वाचन किया। डाॅ. बीना राघव ने हिन्दी भाषा में दोहे प्रस्तुत किए तो उर्मिला पचीसिया ने हिन्दी-मारवाड़ी मिश्रित भाषा में सुन्दर भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की।

 

सिलीगुड़ी से सम्मेलन में जुड़ी रूबी प्रसाद ने हिन्दी भाषा में काव्य पाठ किया, वहीं रांची झारखण्ड से जुड़ी युवा व्यंग्यकार ऐश्वर्यदा मिश्रा ने अपना संस्मरण सुनाकर सबको ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। सुरेश चौधरी ने संस्कृत भाषा में अनुष्टुप छन्द में अपनी स्तुतियां सस्वर प्रस्तुत करके सभी को भावविभोर कर दिया। सत्य प्रसन्न राव ने बहुत ही उच्च कोटि की कविताएं और नवगीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्त में कार्यक्रम का संचालन कर रही सरिता सुराणा ने बसन्त ऋतु और होली से संबंधित अपनी एक रचना प्रस्तुत की।

 

अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा कि उन्होंने आकाशवाणी पर अनेक कार्यक्रमों में रचनाकारों का काव्य पाठ संपादित किया और इस तरह के बहुभाषी कवि सम्मेलन भी आयोजित किए। लेकिन स्वयं कविता पाठ का मौका नहीं मिला। आज इस कवि सम्मेलन में इतनी भाषाओं के कवियों को सुनकर आनन्द आ गया। उन्होंने बहुत ही मधुर स्वर में होली गीत और अन्य रचनाएं प्रस्तुत करके कार्यक्रम को नई ऊंचाइयां प्रदान की और सभी सहभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी गरिमामय उपस्थिति ने सम्मेलन को समारोह में परिवर्तित कर दिया। सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और साहित्यकारों का हार्दिक आभार व्यक्त किया और होली की शुभकामनाएं दी। संगीता जी.शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ अत्यन्त उल्लासमय वातावरण में सम्मेलन सम्पन्न हुआ।
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