Sunday, May 5, 2024
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बीकानेर : स्वामी विवेकानन्द के मूल्यों से भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा: डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली

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बीकानेर abhayindia.com बेसिक पी.जी. महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर एक दिन पूर्व एक परिचर्चा का आयोजन रखा गया। इस परिचर्चा के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली, अस्सिटेंट प्रोफेसर, अंग्रेजी, इंजीनियरिंग महाविद्यालय, बीकानेर, महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. रमेश पुरोहित ने विषय प्रवर्तन करने हेतु बताया कि स्वामी विवेकानंद जी दुनिया भर के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत थे और इसलिए उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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नरेंद्र नाथ दत्ता के नाम से कोलकाता के एक धनाढ्य परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानंद का 39 की उम्र में ही देहांत हो गया था। दर्शन और आध्यात्म के प्रति उनका झुकाव कम उम्र ही देखा जाने लगा था और उन्होंने अपने विचारों से करोड़ों लोगों को प्रभावित किया था।

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कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने बताया कि युगपुरुष, वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी, दरिद्रनारायण मानव सेवक, तूफानी हिन्दू साधु, करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत व प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (आधुनिक नाम कोलकाता) में पिता विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ था। दरअसल, यह वो समय था, जब यूरोपीय देशों में भारतीयों व हिन्दू धर्म के लोगों को हीनभावना से देखा जा रहा था व समस्त समाज उस समय दिशाहीन हो चुका था। भारतीयों पर अंग्रेजीयत हावी हो रही थी तभी स्वामी विवेकानंद ने जन्म लेकर न केवल हिन्दू धर्म को अपना गौरव लौटाया अपितु विश्व फलक पर भारतीय संस्कृति व सभ्यता का परचम भी लहराया।

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‘नरेन्द्र’ से ‘स्वामी विवेकानंद’ बनने का सफर उनके हृदय में उठते सृष्टि व ईश्वर को लेकर सवाल व अपार जिज्ञासाओं का ही साझा परिणाम था। डॉ. श्रीमाली ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन के कई प्रेरक प्रसंग बताते हुए विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन भी किया। उन्हांेने बताया कि स्वामी विवेकानन्दजी ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद में  दिया था और विश्व से हिन्दू धर्म का परिचय करवाया था। स्वामी विवेकानंद को उनके प्राचीन हिन्दू दर्शन के ज्ञान, अकाट्य तर्क तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समायोजन के लिए जाना जाता है।

महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद की याद में भारत में प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाता है। लेकिन आज भारत की युवा ऊर्जा अंगड़ाई ले रही है और भारत विश्व में सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाला देश माना जा रहा है। इसी युवा शक्ति में भारत की ऊर्जा अंतरनिहित है।

हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व देश के युवा बेरोजगारों की भीड़ को एक बोझ मानकर उसे भारत की कमजोरी के रूप में निरूपित करता है या उसे एक कुशल मानव संसाधन के रूप में विकसित करके एक स्वाभिमानी, सुखी, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनाता है। यह हमारे राजनीतिक नेतृत्व की राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों की समझ पर निर्भर करता है। साथ ही, युवा पीढ़ी अपनी ऊर्जा के सपनों को किस तरह सकारात्मक रूप में ढालती है, यह भी बेहद महत्वपूर्ण है।

महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि हमें युवा शक्ति की सकारात्मक ऊर्जा का संतुलित उपयोग करना होगा। कहते हैं कि युवा वायु के समान होता है। जब वायु पुरवाई के रूप में धीरे-धीरे चलती है तो सबको अच्छी लगती है। सबको बर्बाद कर देने वाली आंधी किसी को भी अच्छी नहीं लगती है। हमें इस पुरवाई का उपयोग विज्ञान, तकनीक, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में करना होगा। यदि हम इस युवा शक्ति का सकारात्मक उपयोग करेंगे तो विश्व गुरु ही नहीं, अपितु विश्व का निर्माण करने वाले विश्वकर्मा के रूप में भी जाने जाएंगे।

कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास एवं प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा अतिथि का आभार प्रकट करते हुए शॉल एवं प्रतीक चिह्न भेंट किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की उपप्राचार्य डॉ. सीमा चावला व्याख्याता डॉ. कमलकांत शर्मा, डॉ. टीना असवानी, विजय रंगा, वासुदेव पंवार, मोहित गहलोत, सौरभ महात्मा, सुश्री श्वेता पुरोहित, विनोद पुरोहित आदि उपस्थित रहे।

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