Friday, November 1, 2024
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बीकानेर : गीत-नृत्य की प्रस्तुतियों से बांधा समां, अमर कला महोत्सव…

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बीकानेर abhayindia.com कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग, विरासत संवर्धन संस्थान के तत्वावधान में कल्पना संगीत एवं थियेटर संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अमर कला महोत्सव 2022 के दूसरे दिवस सोमवार को ‘अपराध मनोविज्ञान एवं कला’ विषय संगोष्ठी आयोजित की गई। पत्र वाचन कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने किया व समाहार राजेंद्र जोशी ने किया।

संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। दूसरे सत्र में केश कला बोर्ड के अध्यक्ष महेंद्र गहलोत वर्चुअल रूप से जुड़े। उन्होंने बीकानेर की नाट्य परंपरा को देशभर में विशिष्ट बताया और समारोह की सफलता की कामना की। सत्र संचालन विनय हर्ष व जया पारीक ने किया।

गायक पुखराज शर्मा ने राजस्थानी मांड केसरिया बालम व अमरचंद पुरोहित के होली गीत ‘हे ब्रज राज दुलारे’ की प्रस्तुति दी। उन्होंने भजन ‘संसार के करतार का आकार ना होत’ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। तबले पर संगत गुलाम हुसैन ने की। इससे पूर्व गोष्ठी का संचालन कवयित्री ऋतु शर्मा ने किया। अतिथियों का सम्मान साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार और संगीतकार रफीक राज ने किया।

नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति..

इसके बाद दिल्ली के युवा कथक नर्तक रोहित पंवार के नृत्य और विनोद सिसोदिया ने गायन की बेहतरीन प्रस्तुति दी। संगत में अभिषेक गंगानी, दीपेश चौहान, डी जेम्बे मुकेश चौहान, राहुल चौहान रहे।

अंतिम सत्र में सत्य प्रकाश लिखित नाटक कमबख्त इश्क का मंचन श्याम कुमार के निर्देशन में किया गया। आज के दौर में जब बच्चों के पास अपने माता पिता के लिए समय नहीं होता है, तो माता-पिता बच्चों की भागम भाग वाली जिंदगी में कहीं खो जाते हैं। फिर किस प्रकार उस परिवार में अनचाही हास्यास्पद स्थितियां पैदा होती हैं तथा उनका निराकरण होता है, इसको बखूबी इस नाटक में दर्शाया गया है। नाटक में कलाकारों ने दर्शकों को अपने प्रदर्शन से हंसने गुदगुदाने पर मजबूर कर दिया।

नाटक के दौरान अनिल चंदेल, ललित जोशी, मुनमुन, संजय बसलियाल, पंखुड़ी गुप्ता, निशांत, साज अली, विवेक शर्मा, रजत राजहंस, टेरिन सनी मंच पर रहे। इस दौरान पुंडरीक जोशी, दयानंद शर्मा, अशोक किराडू, डॉ.चन्द्रशेखर थानवी, इकबाल हुसैन मौजूद रहे। तीनों सत्रों का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार एवं कथाकार कमल रंगा के निर्देशन में हुआ। सत्र संचालन भरत राजपुरोहित ने किया।

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