Thursday, April 25, 2024
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आखिर वसुंधरा की चली, सैनी होंगे प्रदेश भाजपा के नए कप्तान

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जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश भाजपा की कमान अब राज्यसभा सांसद मदन लाल सैनी संभालेंगे। उनकी नियुक्ति के साथ ही अब इस बात को लेकर कयास तेज हो गए हैं कि इनकी नियुक्ति में आखिरकार किसकी चली? पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सहमत होने के बाद ही सैनी की नियुक्ति का रास्ता साफ हो सका है। अपने पसंद के नेता को राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद बनाने की जिद आखिर पूरी हो ही गई। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व पिछले ढाई माह से केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को अध्यक्ष बनाने पर अड़ा हुआ था। इसी के चलते प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला अटका हुआ था।

गौरतलब है कि राजस्थान भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष अशोक परनामी ने 16 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था। तभी से यह पद रिक्त था। सीएम वसुंधरा और पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच इस मामले को लेकर कर्नाटक चुनाव से पहले और इसके बाद दो बार लंबी चर्चा हुई। राष्ट्रीय नेतृत्व ने अलग-अलग तरह से राजे को राजी करने की कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बन सकी। इस बीच केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुनलाल मेघवाल, मदनलाल सैनी और सतीश पूनिया के नाम भी आए। अंत में शेखावत, सैनी और सतीश पूनिया के नामों पर चर्चा हुई। शेखावत की तरह पूनिया के नाम पर भी राजे सहमत नहीं थीं। अंत में सैनी का नाम पर राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुहर लगा दी। शुक्रवार दोपहर बाद पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली में ही रुके सैनी को फोन कर अध्यक्ष बनाए जाने की अनौपचारिक सूचना दे दी। इसके बाद राजस्थान के कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने राजस्थान हाउस जाकर सैनी को शुभकामनाएं दीं। देर शाम उनकी नियुक्ति का ऐलान कर दिया गया।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि सैनी को अध्यक्ष बनाकर पार्टी राजस्थान में बहुत बड़ी उपस्थिति रखने वाले माली समुदाय को भी साध सकेगी। कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माली समुदाय से आते हैं और उन्हें इस समुदाय का एकमात्र बड़ा नेता माना जाता है। अब सैनी की नियुक्ति से भाजपा इस समुदाय को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेगी। पार्टी में काफी लो-प्रोफाइल नेता माना जाता है। वे पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष सहित कई पदों पर रह चुके हैं। हाल में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया है। उनकी नियुक्ति से आम कार्यकर्ता काफी खुश हैं, क्योंकि वे बड़े सहज स्वभाव के नेता माने जाते रहे हैं।

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