Thursday, December 19, 2024
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बीकानेर में शिशु व बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विशेषज्ञ चिकित्‍सकों ने बताए ये टिप्‍स…

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बीकानेर Abhayindia.com शिशु व बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास करने, उनको पूर्ण सुरक्षा, स्नेह व आत्मीयता के साथ बेहतर पोषण करने के लिए रविवार को होटल सागर में इंडियन पीडियाट्रिक सोसायटी की राष्ट्रीय व स्थानीय शाखा के संयुक्त तत्वावधान में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में सरकारी व निजी चिकित्सालयों के 50 से अधिक बाल व शिशु रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। विविध सत्रों में व्याख्याान, स्लाइड व मॉडल के माध्यम से चिकित्सकों को बच्चों के सर्वांगीण विकास पर प्रशिक्षण दिया गया।

Bikaner Doctors
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जयपुर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीतारमण, उम्मेद बाल एवं शिशु अस्पताल जोधपुर के प्रोफेसर डॉ. राकेश जोरा, दिल्ली के डॉ. सुरेन्द्र कुमार बिष्ट, जलंधर, पंजाब की डॉ. अनुराधा बंसल, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पी.सी. खत्री, डॉ. सी. के. चाहर, डॉ. पी.के. बेरवाल, डॉ. महेश शर्मा, डॉ. नरेन्द्र पारीक, बीकानेर पीडियाट्रिक सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप बिट्ठू, कार्यशाला संयोजक डॉ. सारिका स्वामी, सोसायटी सचिव डॉ. श्याम अग्रवाल ने देवी सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर, आरोग्य के देव धन्वन्तरि का स्मरण करते हुए कार्यशाला का आगाज किया।

जयपुर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीतारमण ने कहा कि शिशु व बच्चों के विकास व बेहतर पोषण में मातापिता के साथ परिवार के अन्य सदस्य व सोसायटी भी अपने नैतिक दायित्व का निवर्हन करते हुए सहभागी बनें। उन्हें प्रताड़ना, परेशानी से मुक्त रखते हुए स्वच्छंद रूप से विकसित होने में सक्रिय भागीदारी निभाएं। बच्चों को बेहतर लालनपालन करें।

उम्मेद बाल एवं शिशु अस्पताल जोधपुर के प्रोफेसर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश जोरा ने कहा कि छोटीछोटी सावधानी रखकर बच्चों के अभिभावक व परिजन उन्हें अनेक दुर्घटनाओं व बीमारियों से मुक्त रख सकते है। उन्होंने कहा कि बच्चों को आग व पानी से बचाने के साथ गिरने, पड़ने व अन्य कारणों से होने वाली शारीरिक व मानसिक क्षति को रोकने के लिए सबको सचेष्ट रहना आवश्यक है। बच्चों के साथ सकारात्मक व आत्मीय भाव रखें। आर्थिक युग में मातापिता के अत्यधिक कमाने के चक्कर में कई बच्चों का विकास नहीं हो पाता। वे मांबाप के वास्तविक प्रेम व व्यवहार से वंचित रहते है।

जलंधर, पंजाब की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराधा बंसल ने कहा कि बच्चों के खानपान पर अभिभावक विशेष ध्यान दें। उनको अच्छा पोषाहार दे जिससे उसका मानसिक, बौद्धिक व शारीरिक विकास हो सकें। बच्चों को अपने आप खाने, पीने व खेलने और दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार रखने के लिए प्रेरित करें। बच्चों के विकास का जिम्मा केवल मां पर ही नहीं थोपे, पिता व अन्य परिवार के सदस्य भी बच्चों की उन्नति में भागीदारी निभाएं। खेलना बच्चों का अधिकार है, उसे नहीं छीनें।

दिल्ली के डॉ. सुरेन्द्र बिष्ट ने कहा कि बच्चों के शुरुआती क्षण महत्वपूर्ण होते है, उनका असर जिन्दगी भर रहता है। शिशु के मस्तिष्क का विकास गर्भावस्था के समय ही शुरू हो जाता है। गर्भवती माता के खानपान और वातावरण का उसपर प्रभाव पड़ता है। जन्म के बाद शिशु का मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है और उसका शारीरिक, मानसिक तथा भावात्मक स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता, व्यस्क होने पर उसकी कमाने की क्षमता और सफलता को भी प्रभावित करता है। बच्चें कन नींव को ठीक से तैयार करने से वह बेहतर शिक्षा प्राप्त करता है। शोध बताते है कि अच्छी गुणवता की प्रारंभिक बाल शिक्षा और बाल विकास कार्यक्रम ई.सी.डी. से शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में बेहतर परिणाम सामने आते है।

कार्यक्रम संयोजक पी.बी.एम. अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका स्वामी व इंडियन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की स्थानीय शाखा सचिव बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्याम अग्रवाल व अध्यक्ष डॉ. कुलदीप बिट्ठू, डॉ. सी.के. चाहर, डॉ. नरेन्द्र पारीक, डॉ. पी.सी. खत्री ने आयोजन की महता को उजागर करते हुए अतिथियों का स्वागत किया तथा उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गोम्बर, डॉ. संजीव चाहर, डॉ. पवन डारा, डॉ. जियाउल हक, डॉ. सुचित्रा बोथरा, डॉ. मुकेश बेनीवाल, डॉ. सोनल चाहर, डॉ. अनिल लाहोटी आदि ने वक्ताओं के प्रश्नोतरी के माध्यम से बच्चों के सर्वागींण विकास पर चर्चा की।

विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ व इंडियन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की ओर से राजस्थान में पहली बार बीकानेर में ही कार्यशाला आयोजित की गई। इसके बाद जोधपुर व अन्य संभागीय मुख्यालयों पर कार्यशाला आयोजित की जाएगी।

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