बीकानेर abhayindia.com। कांग्रेस में प्रत्याशियों की घोषणा के बाद नाराजगी का दौर लगातार बढ़ता जा रहा है। पार्टी नेताओं की लाख कोशिशों के बावजूद नेताओं की नाराजगी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। हालांकि नेताओं की मान मनुहार के बाद नेता और कार्यकर्ता प्रत्याशियों के साथ लगे तो हैं, लेकिन अब प्रत्याशियों को ही भीतरघात का डर सताने लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही स्वयं प्रत्याशी घर-घर जाकर नेताओं को मनाने में जुटे हैं। जानकार सूत्रों की माने तो प्रदेश में एक दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां भीतरघात का डर पार्टी नेताओं को सता रहा है।
इन सीटों में बीकानेर, धौलपुर करौली, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, बाड़मेर, चूरू, झुंझुनूं, और चित्तौड़ लोकसभा सीटें शामिल हैं। दरअसल, ये नाराजगी टिकट वितरण के साथ ही शुरू हो गई थी। हालांकि ये नाराजगी अभी खुले तौर पर तो सामने नहीं आ ही है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता ही दबी जुबान में भीतरघात होने की बात स्वीकार करते हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन सीटों पर ज्यादातर नेता मन से पार्टी के पक्ष में काम नहीं कर रहे हैं। सबसे ज्यादा नाराजगी जिन सीटों पर है, उनमें बीकानेर, धौलपुर-करौली, चूरू, जयपुर शहर, बाड़मेर औऱ चित्तौड़ सीट पर देखने को मिल रही है।
बीकानेर में मुख्यमंत्री की लाख कोशिशों के बावजूद डूडी विरोधी लॉबी के नेता पार्टी प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल को पटखनी देने की मशक्कत में जुटे है। सबसे ज्यादा नाराजगी अजमेर देखने को मिल रही है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी रिजु झुझुनवाला के खिलाफ पार्टी का बड़ा धड़ा भीतरघात की मोर्चाबंदी में जुटा है। इधर, चूरू में कांग्रेस प्रत्याशी रफीक मंडेलिया का अंदरखाने अपने समाज के लोगों के बीच विरोध झेलना पड़ रहा है। अल्पसंख्यक वर्ग के नेता ही उनके खिलाफ लामबंद होने लगे है। वहीं जयपुऱ शहर और जयपुर ग्रामीण में भी नाराजगी देखी जा रही है। जयपुर शहर में ज्योति खंडेलवाल को टिकट मिलने के बाद से टिकट के लिए दावेदारी जता रहे अन्य नेताओं में नाराजगी है।
सीएम ने खुद संभाल रखी है कमान
जानकारी में रहे कि प्रदेश में कांग्रेस के मिशन 25 को पूरा करने के लिये लोकसभा चुनावों में राजस्थान की समूची कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद संभाल रखी है, जो अंसतुष्टों को मनाने की हर कोशिश में जुटे है। नाराज नेताओं को मनाने के लिए डिनर और लंच पॉलिटिक्स का भी सहारा लिया जा रहा है। लेकिन अंदरखाने नाराजगी अभी भी बरकार है।
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