बीकानेर Abhayindia.com ’’तपस्या वही है जो जीवन में उल्लास भर दे और बंधन मुक्ति की प्यास भर दे, विवेक शून्य होकर मात्र भूखे रहना मात्र अज्ञान का रूप हो सकता है लेकिन जो आत्मा में आनंद का आभास भर दे, तपस्या उसे ही कहा जाता है, भूखे रहकर तृप्ति का अनभव करना तप की पराकाष्ठा है।’’
ये विचार सम्भागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने जैन महासभा बीकानेर द्वारा तेरापंथ भवन गंगाशहर मे आयोजित तप अभिन्नदन समारोह में व्यक्ति किए। इस अवसर पर सबसे बडी तपस्या कन्हैया लाल भुगडी द्वारा 51 दिनों की व सरिता मुक्कीम द्वारा 41 दिनों की तपस्या करने पर समाज द्वारा इनका सम्मान किया गया। इसके साथ ही अठाई व अठाई से बडी तपस्या करने वालों का सम्मान किया गया। सम्मान समारोह में बोलते हुए जैन महासभा, बीकानेर के अध्यक्ष विनोद बाफना ने बताया कि समाज के सभी संघों द्वारा इस कार्यक्रम को सफल बनाने के अथक प्रयास किये गये जिसके बदोलत हमें 240 तपस्वियों के नाम प्राप्त हुए और आज इनका सम्मान करके जैन महासभा, बीकानेर जो कि सकल जैन समाज की एक प्रतिनिधि संस्था है जो स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रही है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेन्द्र भदाणी ने बताया कि संचित कर्मा को नाश करने का उत्तम साधन तपस्या है।
इस अवसर पर संगीतज्ञ विनोद सेठिया ने तपस्वियों के सम्मान में गीतिका का संगान किया। साथ ही सभी संघों के अध्यक्ष व मंत्रियों सहित मेघराज सेठिया, गणेश मल बोथरा, राजेन्द्र लूणिया, निमल धारिवाल, पूर्व अध्यक्ष लूणकरण छाजेड, चम्पकमल सुराणा, इन्द्रमल सुराणा, कन्हैयालाल बौथरा, मोहन सुराणा, सहमंत्री विजय बाफना, कोषाध्यक्ष जसकरण छाजेड, ऋषभ सेठिया, चंचल बौथरा, प्रताप रामपुरिया, अजीत खजांची, बसंत नौलखा, पदम दफतरी, संजय कोचर, संजय बाफना, आर्यन भूरा, महावीर फलौदिया, दिलीप कातेला, बबीता जैन, शांता भूरा, सुमन छाजेड, मंजू नौलखा, सुनिता बाफना, बबीता सेठिया, कंचन छलाणी, संजू लल्लाणी आदि ने कार्यक्रम में सहयोग किया। जैन समाज के प्रमुख व्यक्तित्व कार्यक्रम में सामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन सहमंत्री हेमंत सिंघी ने किया।