अभय इंडिया डेस्क.
आज की भाग-दौड़ की जिंदगी में जहां व्यक्ति के खान-पान का सिस्टम काफी प्रभावित होने लगा है। ऐसे में सबसे ज्यादा व्यक्ति वात रोग से पीडि़त होता है। इस रोग से होने वाली पीड़ा कई बार व्यक्ति को गंभीर स्थिति में ले जाती है।
नाड़ी वैद्य डॉ. प्रीति गुप्ता ने ‘अभय इंडिया’ से बातचीत में बताया कि सबसे पहले हमें यह जान लेना जरूरी है कि आखिर वात रोग होता क्यों है? इसका सबसे बड़ा कारण गरिष्ठ भोजन होता है। इसके अलावा रात को रखा हुआ भोजन यदि हमें खाने में उपयोग लेते हैं तब भी वात रोग होने का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है। ठीक से नहीं पके हुए भोजन को खा लेने से भी वात रोग जन्म ले लेता है।
वात या वायु विकार रोग के कारणों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. प्रीति बताती हैं कि वात रोग या वायु विकार हो जाने पर मांस पेशियों में खिंचाव, दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगता है। इसी तरह सिर में दर्द, मायग्रेन, गर्दन, जोड़ो में दर्द, छाती के बीच में दर्द, पेट का फूलना, मूत्र रोग जैसे पेशाब में जलन यूरिक एसिड का बढ़ जाना, डकारे ज्यादा आना, त्वचा का रूखा होना, बार-बार मुंह का सूखना आदि वात या वायु विकार के मुख्य लक्षण है।
डॉ. गुप्ता ने वात रोग से छुटकारा पाने के बारे में बताया कि सबसे पहले तो हमें प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने की आदत डाल लेनी चाहिए। इसके अलावा रोज सुबह खाली पेट ग्वारपाठे का रस पीना चाहिए। सुबह खाली पेट नीम गिलोय के रस का भी सेवन कर लेना चाहिए। इसी तरह आंवला चूर्ण नित्य सुबह उठ कर एक चम्मच खाली पेट लेना चाहिए। लहसुन को सूखा कर उसका चूर्ण बना कर सप्ताह में तीन दिन उसका सेवन करना चाहिए। गुडहल के फूल का चूर्ण बना कर उसकी चाय बना कर पीने से भी वात, पित्त और कफ सामान्य हो जाते हैं।