बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। स्व. सेठ हीरालाल गहलोत की स्मृति में पूगल रोड पर शिव शक्ति नगर में नवनिर्मित श्रीहीरेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को मूर्तियों क प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व निकाली गई कलश यात्रा ने समूचे शहर का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। केसरिया लिबास में सजी-धजी महिलाओं की सहभागिता ने तो मानो सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए। पसीने से तर-बतर करने वाली गर्मी में उमड़ा श्रद्धा और भक्ति का यह ज्वार मिसाल बन गया। कलश यात्रा में शामिल सभी महिलाओं को पर्यावरण की रक्षा के संकल्प के साथ पौधे वितरित किए गए।
यात्रा के बाद द्वादश ज्योतिर्लिंग महादेव की मूर्तियों के साथ मां दुर्गा, गणपति भगवान और शिव परिवार की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक विधान और समवेत स्वरों में मंत्रोच्चार के साथ हुई। प्राण प्रतिष्ठा की शोभा बढ़ाने के लिए हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर प्रेमानंद महाराज, संवित सोमगिरि महाराज, नवलेश्वर मठ के महंत शिव सत्यनाथ महाराज की विशेष उपस्थिति रही जिनके सान्निध्य में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा, हवन और यज्ञ के अनुष्ठान संपन्न हुए। नित्यार्चन यज्ञ पंडित राजेन्द्र किराडू के आचार्यत्व में पंडित मुरलीधर एवं पंडित उमेश जी के साथ 21 वैदिक पंडितों द्वारा किया गया।
सोच से भी भव्य बना मंदिर
इस श्रीहीरेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की कल्पना करने वाले स्व. सेठ हीरालाल गहलोत की धर्मपत्नी श्रीमती तुलसी देवी ने बताया कि मंदिर निर्माण का सपना उन्होंने जैसा सोचा था उससे कहीं अधिक भव्य और मनोरम मंदिर बनने से मुझे संतोष हुआ है। धार्मिक विचारों की धनी तुलसी देवी ने इस मंदिर को जनता को समर्पित करते हुए कामना की कि यहां होने वाले धार्मिक आयोजनों से आम लोगों को लाभ मिलेगा। मंदिर प्रणेता के पुत्र विष्णु दत्त गहलोत और गोपाल गहलोत ने बताया कि पिता की इच्छा पूरी कर पूरे परिवार ने उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
कलश यात्रा का जगह-जगह हुआ स्वागत
अंत्योदय नगर स्थित ब्रह्मसागर मंदिर से गाजे-बाजे के साथ कलश यात्रा जिस रास्ते निकली वहां जगह-जगह स्वागत किया गया। भव्य अंदाज में निकली इस कलश यात्रा को देखने के लिए गजनेर रोड और पूगल फांटा के बीच लोग सड़क पर खड़े देखते रह गए। कलश यात्रा नवनिर्मित हीरेश्वर द्वादश महादेव मंदिर पहुंची जहां पंडितों ने मंत्रोच्चार से यात्रा का स्वागत किया। श्रीहीरेश्वर महादेव मंदिर की कलश यात्रा में बीकानेर शहर के अलावा गंगाशहर, भीनासर, किसमीदेसर, सुजानदेसर, श्रीरामसर समेत अनेक जगहों से महिला श्रद्धालु उत्साह के साथ शामिल हुई।
मंदिर में देव गाथाओं की मूर्तियों का आकर्षण
सवा चार बीघा भूमि क्षेत्र में बने इस श्रीहीरेश्वर महादेव मंदिर की भव्यता श्रद्धालुओं के लिये आकर्षण का केन्द्र बनी रही। उज्जवल धवल संगमरमर से बने इस मंदिर में उड़ीसा के जगन्नाथपुरी के कारीगरों का कला-कौशल झलकता है। शिव लीला, डांडिया नृत्य, शोभा यात्रा दृश्य, भगवान गणेश, नन्देश्वर, नाग-नागिन, भगवान शिव द्वारा गंगा अवतरण, कैलाश पर्वत पर देवदर्शन, नटराज, त्रिमुख अवतार, कमल पर विराजित शिव दर्शन, शिव विवाह तथा राजा दक्ष के वध सहित सभी लीलाओं को निज मंदिर की चारों दीवारों पर बहुत कलात्मक रूप से प्रतिष्ठित किया गया है। ।
19 साल पहले रखी नींव
गहलोत परिवार के बड़े पुत्र विष्णुदत गहलोत ने इस महोत्सव में आए संत, महात्मा, अतिथियों और माताओं एंव बहनों का स्वागत करते हुए सभी को मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में आने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होने बताया कि 19 वर्ष पर्व उनके पिताजी स्व. हीरालाल जी गहलोत ने इस मंदिर की नींव रखी थी और उनकी भक्ति और मेहनत के कारण आज उनका सपना साकार हुआ है। उन्होने बताया कि किस प्रकार उनके पिताजी शिव भक्ति और गौसेवा हमेशा आनन्द को प्राप्त करते थे। उनका पूरा जीवन शिव भक्ति और गौसेवा एवं लोगों की सेवा में ही लगा रहा।
संकल्प पूरा करना बड़ी बात : डूडी
महोत्सव के मुख्य अतिथि नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर लाल डूडी ने गहलोत परिवार को मंदिर निर्माण पर बधाई देते हुए कहा कि आज के समय में एक परिवार द्वारा अपनी इच्छा शक्ति से अपने पिता की आशाओं का सम्मान करते हुए उन्के द्वारा लिए संकल्प को पूरा करना बहुत बड़ी बात है। यह मंदिर बीकानेर के सुन्दर और आकर्षक मंदिर में से एक है।
उच्च व्यक्तित्व के धनी थे सेठजी : डॉ. कल्ला
पूर्व मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने गहलोत परिवार को बधाई देते हुए कहा कि स्व. हीरालाल जी गहलोत को बचपन से जानता हूं, वे महान शिव भक्त और सभी को साथ लेकर चलने वाले व्यक्तित्व के धनी थे। वे सभी की सहायता करते थे। मुख्य रूप से बच्चों को पढाई के लिए आवश्यक साम्रगी दिलाते थे, जिससे वे पढाई-लिखाई कर सके। वे हमेशा ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे।
गहलोत ने माताओं-बहनों का जताया आभार
तुलसी देवी गहलोत परिवार से गोपाल गहलोत ने सभी साधु-संतों, अतिथियों तथा भक्त जनों का मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में आने के लिए स्वागत किया। साथ ही माताओं और बहनों का आभार व्यक्त किया कि वो सभी इतनी गर्मी के दौरान भी कलश यात्रा में शामिल हुई और इस यात्रा को एक ऐतिहासिक रूप दिया। इससे पहले स्वागतकर्ता भाषण किशन गहलोत ने दिया।
कारीगरों का सम्मान
महोत्सव में मंदिर निर्माण में वर्षों से लगे कारीगरों का भी सम्मान किया गया। सभी कारीगरों को श्रीफल देकर सम्मानित किया जिसमें बीकानेर के कारीगरों के अलावा उड़ीसा, मकराना, जयपुर, ओंकारेश्वर आदि स्थानों से आए कारीगर भी शामिल हैं, जिन्होंने मंदिर निर्माण का कार्य किया।
कलश यात्रा में शामिल हुई हजारों महिलाएं, धूमधाम से हुई प्राण-प्रतिष्ठा