








बीकानेर Abhayindia.com ‘म्हारी गणगौर’ उत्सव के प्रथम दिन उत्सव का उद्घाटन वरिष्ठ लोक गायिका राजकुमारी मारू/नाई एवं वरिष्ठ लोक गायिका पदमा व्यास ने गणगौर का वंदना गीत प्रस्तुत कर उत्सव का शुभारंभ किया। इसके बाद महिला मण्डलियों द्वारा गणगौर गीतों गायन शुरू हुआ। सीमा चुरा, बबिता शर्मा, संतोष आचार्य, रामप्यारी चुरा, लक्ष्मी भादाणी, मनी ओझा, फूनी किराड़ू, विमला कुमावत, मंजू सोनी, सुनीता छंगाणी, मीना भादाणी, डिम्पल सुनार, भंवरी देवी छंगाणी सहित अनेक महिलाओं ने एवं गुन गुन भोजक ने आदि ने एकल व अपनी मंडलियों के साथ सामूहिक गीत प्रस्तुत कर वातारण बनाया।
अतिथियों के आग्रह पर विशेष रूप से आमंत्रित वरिष्ठ लोकगायिका राजकुमारी नाई एवं वरिष्ठ लोक गायिका पदमा व्यास ने गणगौर गीत ‘मिजाजी ढोला जयपुर जायजो जी, बठे सूं लायजो तारों री चुनरी ‘सुनाया। अतिथियों के कहने बालिका गुंजन भोजक ने ‘इशरदसजी रा सुआ रे हेठै उतरे तो ले लूं गोद’ सुनाया। वहीं पायल वर्मा, नियति ओझा, ननु पुरोहित, आरती कुमावत, ज्योति स्वामी एवं चंचल सोनी ने गणगौर के पारम्परिक गीतों पर नृत्य किया। ढोलक पर संगत बालिका गुनगुन ने की।
इस अवसर पर मथेरण आर्ट से गणगौर बनाने, उसे सजाने, वस्त्र निर्माण करने, गीत गाने, गणगौर के पारंपरिक एवं सामूहिक आयोजन करने, गणगौर गीतों को सुरक्षित रखने में योगदान के लिए चंचल सोनी, चंचल महात्मा, चित्रा सेवग, वंदना महात्मा, इंदु वर्मा, लाली महात्मा, गायत्री किराड़ू, विमला उपाध्याय, सीमा पारीक, शशिकला शर्मा, विनीता शर्मा, पद्मश्री शर्मा एवं शिवानी शर्मा को ‘गणगौर संस्कृति सम्मान’ एवं मंजू मंडोर को विशिष्ट सम्मान दिया गया।
समारोह में विशिष्ट अतिथि आरएएस अधिकारी के.एल. सोनगरा, मुख्य लेखाकाधिकारी ज्योतिबाला व्यास एवं मुख्य अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष सुमन छाजेड़, स्वागताध्यक्ष मूलचंद महात्मा थे। समारोह की अध्यक्षता रामकंवरी ओझा ने की। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में सुमन छाजेड़ ने कहा कि आज के पाश्चत्य व भागम भाग जीवन शैली के बीच संस्कृति के लिए समय निकाल कर निरन्तर काम करते रहना वास्तव बड़ा काम है। उन्होंने रमक झमक को इसके धन्यवाद दिया और कहा कि समाज मे ऐसे लोग व संस्थाएं आगे आएं।
मुख्यलेखाधिकारी ज्योतिबाला व्यास ने इस अवसर पर कहा कि शहर परकोटे की लुप्त होती संस्कृति बचाने और परकोटे की महिलाओं को पारिवारिक वातारण देकर एक मंच पर लाकर प्रोत्साहन देना व उनका उत्साह वर्धन करने का श्रेय रमक झमक को जाता है।
आरएएस अधिकारी के.एल. सोनगरा ने कहा कि गणगौर राजस्थान की महिलाओं का खास त्यौहार है। महिलाओं का सामूहिक गणगौर गीत का आयोजन करने एवं उनको संस्कृति अलंकरण देने से उनका हौसला बढ़ेगा और उनमें संस्कृति के लिए काम करने के प्रति ऊर्जा आएगी। उन्होंने आयोजन में भाग लेने व सम्मानित होने वाली महिलाओं को शुभकामनाएं दी।
रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने कहा कि उन्हें संस्कृति संरक्षण के लिए कई काम करने उसमें प्रथम काम है। हमारी परम्पराओं को विज्ञानिक तरीके से उसका वर्तमान महत्व आज की पीढ़ी को समझना, इसके लिए उनके द्वारा एक किताब लिखी जा रही है।
म्हारी गणगौर उत्सव शुभारम्भ से पूर्व आस्था छंगाणी, एड.तुलछा शर्मा एवं रमक झमक अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने अतिथियों का माला व रमक झमक ओपरणा पहनाकर स्वागत किया। प्रीति ओझा एवं रामप्यारी चुरा ने आभार प्रकट किया। ओझा ने बताया उत्सव 2 दिन और चलेगा।





