Thursday, April 25, 2024
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पांडुलिपियों को सुरक्षित सहेजने का दिया प्रशिक्षण, 60 प्रशिक्षणार्थियों ने निभाई भागीदारी

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बीकानेर Abhayindia.com राजस्थान संस्कृत अकादमी, पांडुलिपि संसाधन केन्द्र वैदिक हेरिटेज पाण्डुलिपि शोध संस्थान, जयपुर और श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ, सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में नाहटा चौक के अभय जैन ग्रंथागार आयोजित दो दिवसीय पाण्डुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला रविवार को संपन्न हुई। कार्यशाला में 60 युवक-युवतियों ने हिस्सा लिया तथा विभिन्न प्राचीन लिपियों शब्दों, पाण्डुलिपि की महत्ता आदि की जानकारी ली। ब्राह्मी, शारदा, नेवारी, नंदी नागरी और प्राचीन नागरी लिपियों के बारे में बताया गया तथा इससे संबंधित हस्तलिखित ग्रंथों का अवलोकन करवाया गया है।

कार्यशाला के समापन पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि अभय जैन ग्रंथागार के भवन का जीर्णोद्धार होने के बाद यहां की एक लाख से अधिक पांडुलिपियों के अध्ययन, संरक्षण व पुनर्लेखन के लिए अकादमी स्तर पर प्रस्ताव बनाकर व्यापक करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभय जैन ग्रंथागार बीकानेर का प्रमुख प्राचीन पांडुलिपियों का भंडार है। स्वर्गीय अगर चंद नाहटा, स्वर्गीय हरख चंद नाहटा परिवार के ललित नाहटा, विजय कुमार, ऋषभ नाहटा आदि ने ग्रंथागार के भवन का जीर्णोद्धार करवाकर पांडुलिपियों को व्यवस्थित तरीके से रखकर प्राचीन धरोहर को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने का अनुकरणीय, स्तुत्य कार्य किया है। उन्होंने बताया कि पांडुलिपियों के वेद, जैन आगम सहित पुराने जैन, स्नातन धर्म से संबंधित अनुकरणीय, उल्लेखनीय जानकारियां है।

जयपुर के प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि आगामी माह में इस ग्रंथागार में युवक-युवतियों को पुनः प्रशिक्षण देकर पांडुलिपियों पर कार्य शुरू कराया जाएगा। कार्यशाला में फटी, जीर्णशीर्ण पांडुलिपियों को रसायन आदि लगाकर सुरक्षित रखने का प्रायोगिक व सैद्धांतिक प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने पांडुलिपि विषयक पाठ्यक्रम एम.आर.सी.,एम.सी.सी.सेंटर के बारे में अवगत करवाया। जयपुर के जय प्रकाश शर्मा ने पांडुलिपियों के सूचीकरण, गणना कार्य, गणना प्रारूप पत्र के माध्यम से प्रशिक्षण दिया। विभिन्न सत्रों में हुई कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों ने अपने अनुभव सांझा किए। डॉ. रामदेव साहू, व प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षणार्थियों की जिज्ञासाओं को दूर किया। अभय जैन ग्रंथागार के ऋषभ नाहटा ने आभार व्यक्त किया।

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