बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम ने कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि काश्तकारों को ऐसी फसलों के बारे में समझाइश करें जिनसे कम पानी में अधिक फसल ले सके और उनके आर्थिक स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके। जिले में चने की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग के अधिकारी कार्य योजना बनाकर फील्ड स्टाफ तक इसकी जानकारी देंवे।
गौतम गुरुवार को कलक्टे्रट सभागार में कृषि विभाग के अधिकारियों की मासिक बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि चने के उन्नत किस्म के बीज तथा आधुनिक कृषि तकनीक के बारे में काश्तकारों को जानकारी मिले इसके लिए विभाग के फील्ड स्टॉफ के सभी अधिकारी व कर्मचारी अपने निर्धारित स्थान पर बैठें। अटल सेवा केन्द्र तथा किसान सेवा केन्द्र में निर्धारित समय पर सभी अधिकारी कर्मचारी बैठे तथा जरूरत के मुताबिक खेतों में जाकर काश्तकारों को नई तकनीक के बारे में बताएं।
जिला कलक्टर ने कहा कि डिग्गियों के निर्माण, सौर उर्जा संयंत्र तथा फव्वारा सिंचाई के बारे में भी काश्तकारों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से अवगत करवाएं कि डिग्गियों के निर्माण पर सरकार द्वारा एक बड़ी धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। साथ ही फव्वारा सिंचाई पद्धति व खेतों में सोलर प्लांट लगाने में भी सरकार द्वारा आर्थिक मदद प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि जो काश्तकार अपने खेत में डिग्गी का निर्माण करवाना चाहता है उन्हें अनुदान के साथ–साथ मनरेगा से जोड़कर अतिरिक्त साधन सुलभ करवावें जिससे अधिकाधिक काश्तकार डिग्गियों का निर्माण करवाकर अपने आर्थिक स्तर में गुणात्मक सुधार ला सकें।
कुमार पाल गौतम ने कहा कि जिले में एक लाख 51 हजार कृषकों की भूमि के मृदा कार्ड बने हुए है इन सभी के खेतों में मिट्टी की उर्वरता क्षमता सहित अन्य उपजाऊ तत्वों का परीक्षण निश्चित समय में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को नई तकनीक के साथ साथ परम्परागत कृषि विकास योजना के साथ ऑर्गेनिक खेती के बारे में बताने के लिए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मेले का आयोजन किया जाए।
प्रीमियम के समय फसल का हो इंद्राज
जिला कलक्टर ने लीड बैंक अधिकारी तथा कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिस समय काश्तकारों की फसल का बीमा होता है, प्रीमियम अदायगी की जाती है, उस समय काश्तकार से कौनसी फसल की बुवाई की गई है इसका बैंक द्वारा संबंधित पत्रावली में इंद्राज किया जाए। जिससे अगर फसल का खराबा होता है तो उसका मूल्य सही मिल सके। प्राय: यह शिकायत मिलती है कि फसल की बुवाई कुछ और की गई थी, जबकि पत्रावली में कोई अन्य फसल का इंद्राज किया हुआ था। इस तरह की शिकायत मिलने पर संबंधित शाखा व कृषि अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
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