बीकानेर Abhayindia.com पशुओं के स्वास्थ्य के लिहाज से सितंबर का महिना भारी पड़ सकता है। सितंबर में पशुओं में कई तरह बीमारियां हो सकती है।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के पुर्वानुमान के अनुसार पशुपालकों को सावधानी बरतनी होगी, ताकि पशुओं को रोगों से बचाया जा सके। हलांकि रोगों का अनुमान जिलेवार है, अलग-अलग जिलों में पशुओं को भिन्न-भिन्न तरह की बीमारियां हो सकती है।
इन रोगों की रहेगी आशंका…
विशेषज्ञों के अनुसार सितंबर में गौवंश(गायें), भैंस, बकरी व भेड़ में मुंहपका,खुरपका रोग हो सकता है। तीन दिन का बुखार यह बीमारी गौवंश और भैंसों में हो सकती है।
इसके अलावा बकरी, भेड़, ऊंट में पीपीआर रोग, चेचक (माता रोग), वहीं भैंसों में गलघोंटू, इसके अलावा बकरी, भैंस, गाय, भेड़ में न्यूमोनिक पाश्चुरेलोसिस नामक रोग, गाय-भैंस में ठप्पा रोग, भेड़-बकरी में फड़किया रोग, भैंस-गाय में थाइलेरिओसिस एवं बबेसियोसिस रोग, ऊंट व भैंस में सर्रा (तिबरसा), भैंस,गाय, भेड़, बकरी में अन्त: परजीवी (गोल-कृमि एवं पर्ण-कृमि) रोग हो सकता है।
पशुपालक यह रखें सावधानी…
वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठात प्रो. आर.के.सिंह, राजुवास एपेक्स सेन्टर प्रभारी अधिकारी डॉ. ए.के. कटारिया के अनुसार पशुपालक वर्षा जल के निकास का समुचित प्रबंधन करें,पशुओं के बाड़े की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
हरे चारे की बहु-उपलब्धता के कारण पशुओं में हरे चारे के अधिक सेवन से पेट सम्बंधित विकारों से बचने के लिए पशुओं को हरे चारे के साथ सूखे चारे को मिलाकर खिलावें, शरीर पर घाव होने की स्थिति में देखभाल सही तरीके से करें।
छोटे पशुओं न्यूमोनिया सरीखे रोगों से बचाव के लिए उन्हें रात्रि में छप्पर के नीचे रखें। भेड-बकरियों को पीपीआर, चेचक व फड़किया रोगों से बचाने के लिए इन रोगों का टीका लगावाएं। बदलते मौसम में विषणुजनित रोगों से बचाएं।