जयपुर abhayindia.com राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने एक चैनल से बातचीत के दौरान सचिन पायलट से अपने संबंधो के बारे में बताते हुए कहा की अगर कोई व्यक्ति किसी पार्टी में है एमएलए अगर वो अपनी मंशा प्रकट करता है कि मैं अलग हो रहा हूं और पार्टी के आदेश को नहीं माने इसका मतलब आपकी मंशा अलग होने की है, उसके लिए प्रोसेस चलता है। उसके अंदर उनको, हमने पिटीशन दी है, अब काम विधानसभा के स्पीकर का है कि वो सुनवाई करके कुछ फैसला करे।
11 तारीख को हमारे स्वर्गीय नेता राजेश पायलट साहब की पुण्यतिथि थी, माल्यार्पण होता, कुछ विधायक उनके साथ दिल्ली पहुंचते एयरपोर्ट पर और प्लेन में जाएं या वहां पर गुड़गांव में या क्या कहते हैं आपका, मानेसर, रुकने की व्यवस्था सब हो चुकी थी, तो जो बातें सब तय हुई थीं उस वक्त भी हम लोगों ने टाइमली सबको इकट्ठा करके और जो इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
पूरा खेल बीजेपी का चल रहा है इनका तो कुछ है ही नहीं। इनका खेल इतना ही था कि पहले प्रयास किया कि मैं बीजेपी जॉइन करूं जैसे सिंधिया साहब ने किया था।
सवाल- ये सचिन पायलट का प्रयास था, ये बड़ी बात कह रह हैं आप, बीजेपी जॉइन करना?
जवाब- पहले प्रयास किया था कि बीजेपी जॉइन करें हम लोग, 6 महीने पहले, उनके साथी जो थे उन्होंने मना किया हम बीजेपी में तो नहीं जाएंगे, बीजेपी जॉइन नहीं करेंगे हम लोग, आपको साथ दे सकते हैं, जॉइन बीजेपी नहीं करेंगे। तो फिर कहा, बीजेपी जॉइन नहीं करते हैं, तीसरा मोर्चा बनाएंगे, नई पार्टी बनाएंगे और सरकार गिराएंगे और बीजेपी समर्थन देगी, वादा हो चुका है हमारा, बीजेपी हमारे सामने जो इस्तीफा देंगे हम लोग एमएलए के रूप में, बीजेपी हमारे सामने खड़ा किसी को नहीं करेगी। हम जीतकर आएंगे, सरकार चलाएंगे और बीजेपी के साथ में नीतीश जी अगर सरकार चला सकते हैं तो हम क्यों नहीं चला सकते?
ये खाली खेल इनका नहीं है, इनके पास तो क्या सामान है ? इनके पास क्या सामान है बताइए आप ? मुश्किल से 15-17 विधायक जो गुमराह होकर चले गए, अब आना चाहते हैं वापस हमारे पास, उनको हरियाणा की पुलिस आने दे नहीं रही है, इनके पास क्या है ? 2/3 बहुमत चाहिए अलग होने के लिए, क्या इनको नहीं मालूम है ? उसके बावजूद भी ये हमें छोड़कर गए हैं। इतना महत्वाकांक्षी होना मैं समझता हूं इस उम्र में उचित नहीं है।
सवाल- क्या हो गया था, ऐसी क्या दिक्कत थी गवर्नमेंट फिर कैसे चल रही थी, ये भी एक बड़ा खुलासा है सर कि सीएम और डिप्टी सीएम में कोई संवाद ही नहीं था, किसी डिफरेंसेज को दूर करने की कोशिश, कहां कमी रह गई?
जवाब- मुझे लगता है कि वो जब यहां पर 6 साल पहले 7 साल पहले यहां पर आए थे पीसीसी प्रेसिडेंट बनकर, तब से उन्होंने एक ऐसा माहौल बना दिया कि मैं मुख्यमंत्री बनने के लिए आया हूं। वो 5-6 साल लगातार लोगों को यही कहते गए विभिन्न भाषाओं के अंदर जिस भाषा को मैं अभी काम में नहीं ले सकता, हर कार्यकर्ता को जो हम लोग नहीं करते थे। कोई भी पॉलिटिकल पार्टी हो अध्यक्ष का तभी वो कामयाब होता है जब अपने विरोधी को ही विन ओवर कर ले वो, शॉर्ट में अगर मैं कहूं, इन्होंने उसकी बजाय, उनके खुद के वो पर्सनल लॉयल हैं कि नहीं है इसको देखने के अलावा कोई काम उन्होंने नहीं किया। इतना महत्वाकांक्षी होना मैं समझता हूं इस उम्र में उचित नहीं है। 40 साल पहले एमपी बन गए थे हम भी।
सवाल- क्या सचिन पायलट से भी पूछताछ होगी?
जवाब- देखिए अभी तो गई है उनके लिए जिनके नाम आए हैं, ये काम मेरा तो नहीं है। मैं गृह मंत्री जरूर हूं, परंतु यह काम एसओजी का एसीबी का काम है, ये काम तो उनका है, जांच एजेंसियां हैं उनका काम है। यहां कोई दिल्ली की तरह सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स को जिस रूप में चलाया जा रहा है देश के अंदर, परसों छापे डाल दिए यहां पर जयपुर के अंदर कि अशोक गहलोत के दोस्त कौन-कौन हैं, जिनकी कोई हैसियत नहीं है घर चलाने की, उनके यहां पर इनकम टैक्स का छापा पड़ गया यहां पर तो हमारे यहां क्योंकि मेरा नाम जुड़ा हुआ था। ये नाम किसने दिए उनको इनकम टैक्स वालों को? सिर्फ उन्हीं के यहां छापे पड़े जो कि मेरे एनएसयूआई के साथी थे बचपन से?
सवाल- आप कह रहे हैं सचिन पायलट जी ने दिए?
जवाब- मैंने कब कह रहा हूं?
सवाल- आपका इशारा उनकी तरफ है?
जवाब- इशारा तो आप समझो, आपका मीडिया समझे, मैं क्या कह सकता हूं? नाम किसने दिए होंगे? और नाम देने की जरूरत ही नहीं होती है। इनकम टैक्स वाले इतना तो मालूम कर ही सकते हैं खुद ही, नाम देने की जरूरत ही क्या होती है? परंतु जिस रूप में छापे पड़े हैं जिनके घरों पर वो सबको मालूम है कि किनके इशारों पर पड़े होंगे? किसके इशारों पर पड़े होंगे? पर इससे हम कोई डरने वाले नहीं हैं।
सवाल- उनको नोटिस भेजा गया था एसओजी का?
जवाब- वो नोटिस नहीं था, वो सहानुभूति लेने के लिए और हमेशा उनकी यही एप्रोच रहती है, उसमें उनकी मास्टरी भी है कि कैसे मीडिया में ऐसा मैसेज जाए कंट्री के अंदर, आम लोगों के अंदर कि बेचारा बन जाए कि ये बेचारा भला आदमी है, अच्छा काम कर रहा था, खूब मेहनत की राजस्थान के अंदर, सरकार इसने बना दी, 21 पर आए हुए थे सरकार बना दी, ये कोई नहीं देखता है कि 99 पर ही हम क्यों आए। पूछ इसलिए नहीं रहा हूं कि झगड़ें नहीं बढ़ें इसलिए मैं बोला नहीं कभी। मीडिया खुद ही लिखता है, बेचारे ने खूब मेहनत की 4-5 साल तक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बन गए।
जब पीसीसी प्रेसिडेंट बनते ही मेरे पास आए थे वो पहली बार तो मैंने उनको समझाया, मेरा अनुभव बताया उनको कि आप कभी मत फंसना 6 पत्रकारों में और कुछ 4-5 चमचों में जो आते ही आपको बना देंगे मुख्यमंत्री वहां पर। मैंने उनको समझाया प्यार से, स्नेह से कि आप जो है इस प्रकार चलो मेरी तरह। उस वक्त क्या स्थिति बनती है, क्या ऑरा बनता है पब्लिक के अंदर, क्या बनता है हाई कमान के अंदर, क्या बनता है विधायकों के अंदर, स्वतः ही मेरी तरह चांस मिल सकता है। इससे समझदार कोई समझाने वाली बात हो नहीं सकती थी।
अगर कोई टेप आई है मान लीजिए, जो हमारी सरकार गिराने में जो षड्यंत्रकारी हैं वो चाहे मिस्टर सचिन पायलट हों चाहे गजेंद्र सिंह शेखावत हों चाहे भंवरलाल शर्मा हों और चाहे कोई भी हो, तो हम लोग क्या करेंगे उसको, दबाकर बॉक्स में बंद करके रखेंगे?
सवाल- कहने का मतलब है कि आपके पास आई ये काम चीफ मिनिस्टर ऑफिस की तरफ से नहीं किया गया जो आरोप लग रहे हैं ?
जवाब- ऑफिस की तरफ से होता भी नहीं है, ये कभी अगर उनको लगता है कि हमने षड्यंत्र करके फर्जी टेप बनाई है, अगर ये आरोप लगाते हैं तो मैं राजनीति से इस्तीफा दे सकता हूं, राजनीति छोड़ सकता हूं मैं। ये आरोप लगाते हैं कि मैंने मेरे ऑफिस में टेप बनाई है।
सवाल- अगर ये साबित हो गया तो आप राजनीति छोड़ने के लिए तैयार हैं?
जवाब- मुझे क्या अधिकार है कि अगर मैं झूठी टेप बनवाऊं किसी की अपने हित के अंदर सरकार बचाने के लिए, तो मेरा मॉरल अधिकार है क्या कि मैं सरकार में बना रहूं?
सवाल- क्या सचिन पायलट के पास भी आपके पास सबूत हैं कि वो फोन पर बातें कर रहे थे, ऐसी कन्वर्सेशन्स कीं, कोई ट्रांसस्क्रिप्ट आपके पास है या कोई साक्ष्य है जिसके दम पर उनके खिलाफ मुकदमा हुआ है ?
जवाब- देखिए हमारे यहां कायदा नहीं होता है कि किसी एमएलए का या मंत्री का फोन टेप करें।
सवाल- फिर सबूत क्या हैं ये तो बता दें सर कम से कम क्योंकि लोग जानना चाहेंगे कि सीएम साहब ने किन सबूतों की बात कही?
जवाब- इससे बड़ा सबूत क्या होगा, रात को 2 बजे जा रहे थे लोग, जाने वालों में से ही हमें किसी ने आकर कहा कि साहब ये हमें इंस्ट्रक्शन मिल गए हैं और हमें रात को 2 बजे जाना है और मिस्टर एक मंत्री थे इनके खुद के कैबिनेट के, जो इनके बहुत नजदीक हैं, वो भी कल उनका इस्तीफा, हमको हटाना पड़ा उन लोगों को, उन्होंने खुद ने कहा हमारे सेक्रेटरी एआईसीसी वालों को कि ये मुख्यमंत्री ने सबको इकट्ठा कर लिया है, वरना आप देखते कल क्या होता।
सवाल- क्या कोई गुंजाइश है सचिन पायलट के वापस आने की?
जवाब- देखिए ये फैसला हाईकमान करेगी अब, जो स्थिति बन गई है, हाईकमान कभी भी नहीं चाहती थी कि पायलट साहब अलग जाएं। वो बेचारा बनने के लिए मैसेज देते हैं मीडिया में कि मैं तो चाहता हूं, कांग्रेस में रहना चाहता हूं और मैंने कोई ऐसा कोई काम नहीं किया, फिर भी मुझे धकेला जा रहा है, ये सहानुभूति लेने का उनका तरीका है, कोई नई बात नहीं है पुराना तरीका है।
सवाल- जो फैसला करेगा हाईकमान करेगा?
जवाब- पर हाईकमान ने ही फैसला किया कल इतना बड़ा फैसला, अब भी वो ही करेगा।
सवाल- कई लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि वसुंधरा राजे फॉर्मर चीफ मिनिस्टर और अशोक गहलोत जी के बीच में कोई तो टायअप है ? कुछ तो है तालमेल जिसके दम पर ये सारा सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है?
जवाब- 15 साल तक हमारे टॉकिंग टर्म्स नहीं रहे या नमस्कार रहा होली-दिवाली-जन्मदिवस पर, तब तो ये लोग कहते थे कि संबंध रहने ही चाहिए, हेलो-हाय होनी ही चाहिए, बातचीत होनी चाहिए मुख्यमंत्री-पूर्व मुख्यमंत्री के बीच में। अभी तक आप बता दीजिए डेढ़ साल हो गए, हमने एक बार भी मुलाकात नहीं की है, तब भी इस प्रकार की बात इसलिए करते हैं, जो करने वाले लोग हैं, वसुंधरा जी के वक्त के केसेज आगे नहीं बढ़ रहे हैं, वसुंधरा जी को बंगला दिया हुआ खाली नहीं करवा रहे हैं जब हाईकोर्ट कह चुका था तो सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी है। बताऊँ मैं आपको केंद्र में जब जाते हैं कोई मेंबर पार्लियामेंट बनके चाहे वो राज्य का मंत्री रहा हुआ हो चार-पांच बार मेंबर पार्लियामेंट बन गया हो, या पूर्व केंद्रीय मंत्री हो, या पूर्व मुख्यमंत्री हो किसी राज्य का तमाम ऐसे लोगों को प्रायरिटी मिलती है बंगला लेने के लिए ये दुनिया जानती है। हम भी आए हैं तो वही कर रहे हैं जो सीनियर लोग हैं, पूर्व मुख्यमंत्री है या पूर्व मंत्री हैं यहाँ के या पांच-छह बार विधायक बन गए हों हम लोग मान लीजिये उनको दे नहीं पाए बंगला या देने की कोशिश करते हैं, अगर एक मुख्यमंत्री रह रही हैं उस बंगले के अंदर, कोई कर्टसी नहीं है एक परम्परा है, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय यह हुआ है आप आजीवन कोई पूर्व मुख्यमंत्री बँगला नहीं रख सकता है। Source : ashok gehlot fb