Wednesday, April 24, 2024
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राष्‍ट्रपति ने किया राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन, कहा- देश की विरासत के महत्व को समझना जरूरी

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बीकानेर Abhayindia.com राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को बीकानेर स्थित करणी सिंह स्टेडियम में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि आज इस 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में आकर और कला तथा संस्कृति के इस राष्ट्रीय उत्सव का उद्घाटन करके, मुझे बहुत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यह उत्सव देश के विभिन्न राज्यों में आयोजित किया जा चुका है और पहली बार इसका आयोजन राजस्थान में हो रहा है। हम में से बहुत से लोग बीकानेर को बीकानेरी खाद्य पदार्थों के कारण जानते होंगे लेकिन इतिहास में बीकानेर के महल और किले महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उसके अलावा बीकानेर camels से जुड़े नृत्यों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है।

राष्‍ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह बहुत हर्ष की बात है कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव देश के अलगअलग राज्यों से आए कलाकारों को अपनी प्रतिभाएं सबके सामने प्रस्तुत करने का सुअवसर प्रदान कर रहा है। मुझे बताया गया है कि एक हज़ार से भी अधिक कलाकार और कारीगर इन नौ दिनों में अपनी अद्भुत कलाओं का प्रदर्शन करेंगे। अभी पिछले सप्ताह ही मुझे संगीत नाटक अकादमी अवार्ड्स में देश के वरिष्ठ कलाकारों और कलाविदों से मिलने का अवसर मिला। कला क्षेत्र के प्रतिभावान और महान विभूतियों को देखकर मन में नई ऊर्जा का संचार होता है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे कार्यक्रम देश की कला और संस्कृति को तो बढ़ावा देते ही हैं, साथ ही साथ राष्ट्रीय एकता की भावना को भी और मजबूत बनाते हैं। इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों से हमारे देशवासियों को हमारी सम्पन्न तथा समृद्ध संस्कृति और विभिन्न क्षेत्रों की विशेषताओं को जानने और समझने का अवसर मिलता है।

उन्‍होंने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारी कला शैली उच्च स्तर की रही है। सिन्धु घाटी की सभ्यता के समय से ही नृत्य, संगीत, चित्रकारी, वास्तुकला जैसी अनेक कलाएँ भारत में विकसित थीं। भारतीय संस्कृति में अध्यात्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। सृष्टि की प्रत्येक रचना कला का अद्भुत उदाहरण है। नदी की लहर का मधुर संगीत हो या मयूर का मनमोहक नृत्य, कोयल का गीत हो, मां की लोरी या नन्हे से बच्चे की बाललीला हो, हमारे चारों ओर कला की सुगंध फैली हुई है। प्रौद्योगिकी का परम्पराओं से और विज्ञान का कला से मेल होना जरूरी है। आज का युग प्रौद्योगिकी का युग है। हर क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से नएनए प्रयोग किये जा रहे हैं।

कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी को अपनाया जा रहा है। इन्टरनेट के माध्यम से नए और युवा कलाकारों की प्रतिभा भी देश के कोनेकोने तक फैल रही है। हम नयी टेक्नोलॉजी का उपयोग करके देश की कला, परम्पराओं और संस्कृति का प्रसार व्यापक रूप से कर सकते हैं। हम सब को भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परम्पराओं में, नए विचारों और नयी सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परम्पराओं से जोड़ सकते हैं। हमारे युवा और बच्चे देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझें, यह बहुत आवश्यक है।

उन्‍होंने कहा कि सच्चे कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होता है। किसी भी काम को concentration और devotion के साथ कैसे किया जाता है, यह सीख हम कलाकारों से ले सकते हैं। ख़ास तौर पर हमारी युवा पीढ़ी को हमारे कलाकारों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। मैं कहना चाहूंगी कि ऐसे अधिक से अधिक कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जाएँ जिनके माध्यम से युवाओं और अनुभवी कलाकारों के बीच विचारों और प्रतिभाओं का आदान प्रदान हो सके।

आज के डिजिटल युग में हमें यह भी देखना होगा कि कैसे हम नयी पीढ़ी को निरंतर अभ्यास और मेहनत करने की प्रेरणा दे सकें। आज के लोगों का जीवन और समय बहुत तेज गति से भाग रहा है। इसलिए अपनी कला और संस्कृति की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना आसान नहीं है। यहाँ उपस्थित महान विभूतियों, विद्वानों, कला प्रेमियों, कलाकारों को मैं यह काम सौंपना चाहती हूँ। आप सब को मिलकर ऐसे उपाय और तकनीक निकालनी होगी जिससे आज के लोग, ख़ासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कलासंस्कृति को समझने और सीखने के लिए प्रयास करें तथा निपुणता के लिए अभ्यास करते रहें। मुझे पूरा विश्वास है कि आप ज़रूर इस ओर ध्यान देंगे और राष्ट्र की सम्पन्नता और समृद्धि को और बढ़ाएंगे।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि बीकानेर को छोटी काशी कहा जाता है। यहां करणी माता, रामदेव जी, वीर तेजाजी व अन्य कई देवताओं का यहां प्रभाव रहा है। मेघवाल ने कहा कि आप होली के मौके पर बीकानेर आए। यह बीकानेर और प्रदेशवासियों के लिए शुभागमन है। मेघवाल ने राष्ट्रपति को शॉल, श्रीनाथ जी की प्रतिमा और स्मृति चिन्ह भेंट किया।

इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि बीकानेर सांस्कृतिक शहर है। इस आयोजन के लिए सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। भाषा, दर्शन, खान पान आदि की विभिन्नताओं के बावजूद हम एक है। मुझे लग रहा है कि सांस्कृतिक महोत्सव के भारत आज यहां लघु भारत एकत्रित हो गया है। राजस्थान महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे शूरवीरों की धरती है। यह धरा मीरा बाई जैसों की भूमि है। यह धरती पधारो म्हारे देश का अपनत्व लिए हुए है।

आपको बता दें कि बीकानेर में 25 फरवरी से राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव शुरू हुआ है। जो 5 मार्च तक चलेगा। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से बीकानेर में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में देशभर के लोक कलाकार, शिल्पी और चित्रकार भाग ले रहें है। बीकानेर स्थित नोखा, खाजूवाला, कोलायत व अन्य स्थानों पर संस्कृति महोत्सव मनाया जा रहा है।

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