जयपुर Abhayindia.com संसदीय कार्य मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि आत्म रक्षा के लिए हथियार लाइसेंस जारी करने के लिए आवेदन को स्वीकृत अथवा निरस्त करने के निर्णय का अधिकार जिला कलक्टर को होता है। उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक, सीआईडी, तहसीलदार तथा वन विभाग से रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत जिला कलक्टर द्वारा लाइसेंस जारी करने के संबंध में निर्णय किया जाता है। जिला कलक्टर को रिपोर्ट पेश करने का समय 30 दिन निर्धारित किया गया है।
धारीवाल ने प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्न का गृह मंत्री की ओर से जवाब देते हुए कहा कि यदि किसी कारणवश आवेदक अयोग्य हो, विकृत चित्त का हो, 21 वर्ष से कम उम्र का हो, शांति अथवा सदाचार के लिए पाबंद किया गया हो, उसके विरुद्ध किसी प्रकार का आपराधिक प्रकरण विचाराधीन हो, अग्नि आयुध रखने के लिए मना किया गया हो अथवा किसी अपराध के लिए दोषी सिद्ध किया गया हो सहित अन्य किसी सुरक्षा कारणों से यदि जिला कलक्टर अनुज्ञापत्र निरस्त करना उचित समझता है, तो आवेदन को निरस्त कर दिया जाता है।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री ने विधायक नारायण बेनीवाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि जिला नागौर में विगत दो वर्षों में कुल 66 आवेदन आत्म रक्षा के लिए हथियार लाइसेंस के लिए प्राप्त हुए है। उक्त प्राप्त 66 आवेदनों में से किसी भी आवेदक को लाइसेंस जारी नहीं किया गया है तथा इन आवेदनों में से 1 आवेदन निरस्त किया गया है। उन्होंने बताया कि 46 आवेदन पुलिस अधीक्षक, सीआईडी, तहसीलदार तथा वन विभाग से रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने तथा 19 आवेदन जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय स्तर पर प्रकियाधीन होने के कारण विचाराधीन हैं।
उन्होंने बताया कि उक्त प्राप्त आवेदनों में से कोई भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। हथियार लाइसेंस आयुध अधिनियम-1959 की धारा 13 व आयुध नियम-2016 के नियम 12 के तहत जारी किया जाता है। उन्होंने हथियार लाइसेंस जारी करने के मानदण्डों का विवरण सदन के पटल पर रखा।
धारीवाल ने बताया कि हथियार लाइसेंस का आवेदन आयुध अधिनियम 1959 की धारा 14 के प्रावधानों के तहत निरस्त किया गया है। उन्होंने हथियार लाइसेंस के आवेदन निरस्त करने के मानदण्डों करने का विवरण सदन के पटल पर रखा।