Tuesday, March 19, 2024
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ऊँटों की घटती संख्‍या चिंता का विषय, प्रो. गहलोत ने कहा- पालकों के लिए तैयार किया जाए मॉडल

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National Research Center for Camel (NRCC) Bikaner
National Research Center for Camel (NRCC) Bikaner

बीकानेर Abhayindia.com ऊँटों पर पूरी तरह से निर्भर राजस्थान प्रदेश में भी अब इसकी घटती संख्या व उपयोगिता एक चिंता का विषय है। इसे पूरी तरह व्यावसायिक रूप दिया जाना एक चुनौती भरा कार्य है। इसलिए बदलते परिवेश में ऊँट पालकों को ऊँटों से जुड़े प्रत्येक पहलू यथा-दूध, बाल, चमड़े एवं पर्यटन के अन्य आयामों से आर्थिक लाभ दिलवाने के लिए एक मॉडल विकसित करने की महत्ती आवश्‍यकता है ताकि इससे प्रेरित होकर अधिकाधिक ऊँट पालक व्यावसायिक पालन की दिशा में आगे बढ़ सके। ये विचार प्रो. ए.के. गहलोत, पूर्व कुलपति, राजुवास, बीकानेर ने आज भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) में ‘ऊँट उत्पादन प्रणाली में अवसर, चुनौतियाँ और इसका सुदृढ़ीकरण‘ विषयक एक दिवसीय संवादात्मक बैठक में मुख्य वक्ता के तौर व्यक्त किए। प्रो. गहलोत ने एनआरसीसी की खासकर दूध के क्षेत्र में उपलब्धियों एवं प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कई ऊँट पालक भाई इस संस्थान से प्रेरित होकर दूध व्यवसाय को अपना रहे हैं परंतु इनकी संख्या बढ़ाने के लिए अधिकाधिक ऊँट पालक अपने पारंपरिक ज्ञान के साथ इस व्यवसाय में आ रही चुनौतियों से संस्थान को अवगत करवाए ताकि वैज्ञानिक इन मुद्दों पर अनुसंधान कर सकें।

बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से जुड़े प्रो. जीत सिंह संधू, कुलपति, एसकेएनएयू, जोबनेर ने इस बैठक को सामयिक परिदृष्य में महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऊँट प्रजाति के संरक्षण एवं इसे आगे बढ़ाया जाना निश्चित रूप से अत्यंत कठिन हो गया है। उन्होंने अलग-अलग राज्यों एवं देषों की जलवायु में भी ऊँटों की अनुकूलन विषेषता को देखते हुए इसकी विविधता पर अनुसंधान किए जाने की आवश्‍यकता जताई। साथ ही इस प्रजाति की घटती संख्या आदि को ध्यान में रखते हुए प्रजनन दृष्टिकोण से इसकी तादाद को बढ़ाए जाने पर ध्यान देना होगा।

बैठक में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से जुड़े जयदीप श्रीवास्तव, सीजीएम, नाबार्ड, जयपुर ने कहा कि ऊँट पालन व्यवसाय को मजबूत बनाने के लिए ऊँट पालकों, उष्ट्र हितधारकों, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को मिलकर कार्य करना होगा साथ ही विशेषकर ऊँट पालकों के लिए अलग से कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) के निर्माण किया जाए ताकि उद्यमिता के लिए नाबार्ड के माध्यम से पशुपालकों को लाभ पहुंचाया जा सके। इस अवसर पर पशुपालन विभाग, बीकानेर के संयुक्त निदेशक डॉ. ओ. पी. किलानियां ने भी पशुपालकों को विभागीय सुविधाओं एवं योजनाओं के बारे में अवगत करवाया।

केन्द के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने इस अवसर पर कहा कि ऊँटों की घटती संख्या पर चिंतन आवश्‍यक है। इसी उद्देश्‍य को ध्यान में रखते हुए इस बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक में प्राप्त सुझावों के आधार पर केन्द्र के अनुसंधान कार्यों को आगे बढा़ने की दिशा में मार्गदर्शिका तैयार की जाएगी ताकि यह प्रजाति बदलते परिवेश में अपनी प्रासंगिकता को बनाए रख सके।

बैठक में आयोजित तकनीकी सत्रों में डॉ. वेद प्रकाश, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने उष्ट्र दुग्ध उत्पादन के विभिन्न पहलुओं संबंधी जानकारी दी। वहीं डॉ. अमिता शर्मा, सह आचार्य, एसकेआरएयू, बीकानेर ने उष्ट्र दुग्ध विपणन के विभिन्न पहलुओं को सदन के समक्ष रखा।

बैठक में वर्चुअल रूप से जुड़े केन्द्र की अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ. पी.के. उप्पल ने अरबी देशों की तरह भारत में भी ऊँटों की दौड़ को विकसित करने पर जोर दिया। डॉ. एस.एम.के. नकवी, पूर्व निदेषक, सीएसडब्ल्युआरआई, अविकानगर ने ऊँटों की अधिक दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले पशुओं को तैयार करने की बात कही। नाबार्ड की बीकानेर इकाई के मैनेजर रमेश ताम्बिया ने विभिन्न वित्तीय सुविधाओं के बारे में पशुपालकों को जानकारी दी। वेटनरी कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. हेमंत दाधीच एवं निदेषक प्रसार डॉ. आर.के. धुड़िया ने भी इस अवसर पर किसानों को संबोधित किया।

बैठक के अंतिम सत्र में अध्यक्षता करते हुए डॉ. ए.के. गहलोत ने राजस्थान के ऊँट बाहुल्य क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर जमीनी स्तर पर ऊँट पालन में आ रही समस्याओं एवं चुनौतियों का पता लगाने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया ताकि इसकी उपयोगिता के संबंध में नीतिगत निर्णय के लिए भारत तथा राज्य सरकार को अनुशंसा की जा सके।

अतिथियों द्वारा इस अवसर पर ‘ऊँट उत्पादन प्रणाली में अवसर, चुनौतियाँ और इसका सुदृढ़ीकरण‘ विषयक स्मारिका एवं एनआरसीसी द्वारा वार्षिक गतिविधियों संबंधी विवरणिका का विमोचन भी किया गया। केन्द्र द्वारा आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में लगभग 160 महिला एवं पुरुष पशुपालकों भाग लिया साथ ही करीब 50 ऊँट पालकों एवं विषय विशेषज्ञों ने ऑनलाईन सहभागिता निभाई।

आयोजन सचिव डॉ. आर.के. सावल, प्रधान वैज्ञानिक ने ऊँट की पर्यटन से जुड़ी संभावनाओं के बारे में ऊँट पालकों का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमन्त व्यास, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया।

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अगस्‍त में आने वाले प्रमुख तीज और त्‍योहार, देखें तारीखवार…

कल्‍चर डेस्‍क/ अगस्‍त का महीना तीज और त्‍योहार का महीना माना जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार, इसे सावन का महीना यानी वर्षा ऋतु का महीना भी कहते हैं। आइए, यहां जानते हैं इस मनभावन महीने में कौन-कौनसे प्रमुख तीज और त्योहार आ रहे हैं -:

4 अगस्त को श्रावण कृष्ण पक्ष एकादशी को कामिका एकादशी का व्रत।

5 अगस्त को कृष्ण प्रदोष व्रत।

6 अगस्त को शिवरात्रि। इस महीने की शिवरात्रि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।

8 अगस्त को हरियाली अमावस्या।

11 अगस्त को हरियाली तीज का व्रत।

12 अगस्त को शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी।

13 अगस्त को नागपंचमी। स्कंद षष्ठी व्रत।

15 अगस्त को तुलसीदास जयंती है। मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत भी है।

17 अगस्त को सिंह संक्रांति है। इस दिन सूर्य की उपासना करने का विधान है।

18 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का व्रत।

20 अगस्त को शुक्ल प्रदोष व्रत।

21 अगस्त को ओणम का पर्व।

22 अगस्त को पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार। गायत्री जयंती उत्सव। श्रावण माह का अंतिम दिन।

25 अगस्त को कजरी तीज का पर्व। इसे भादौ तीज भी कहा जाता है।

30 अगस्त को श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव (जन्माष्टमी का पर्व)।

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राजपुरोहित का एक और सावन गीत सीमा मिश्रा की आवाज में वीणासे

बीकानेर Abhayindia.com शहर के राजस्थानी गीतकार शंकरसिंह राजपुरोहित ने सावन के सात गीत लिखे हैं, जो अलग-अलग म्युजिक कंपनी लांच कर रही है। ‘आरडीसी राजस्थानी’ के बाद अब राजस्थानी संगीत के लिए सुविख्यात ‘वीणा म्युजिक’ से आने वाला है, जिसका ‘ट्रेलर’ जारी हो चुका है। ‘आयो सावणियो सहेल्यां अे’ गीत के माध्यम से ‘वीणा म्युजिक’ के मंच से प्रख्यात गायिका सीमा मिश्रा की एक बार फिर से वापसी हुई है। शंकरसिंह राजपुरोहित के इस गीत में सीमा मिश्रा के साथ श्रद्धा जगताप ने भी इसे स्वरबद्ध किया है। राजपुरोहित ने बीकानेर वासियों से इस गीत को अधिक से अधिक देखने की अपील की है।

कलेक्ट्रेट के सामने कर्मचारी मैदान में सदबुद्धि यज्ञ

बीकानेर Abhayindia.com  राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति के तत्वावधान में चल रहे आंदोलन के तहत सोमवार को कलेक्ट्रेट के सामने कर्मचारी मैदान में सदबुद्धि यज्ञ किया गया। कर्मचारी नेताओं ने यज्ञ में आहुतियां देकर अपना विरोध प्रदर्शन किया।

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प्रान्तीय सदस्य कमल नारायण आचार्य के नेतृत्व में हुए सदबुद्धि यज्ञ में कर्मचारियों ने आहुतियां दी। इसके बाद मुख्य मंत्री के नाम सात सूत्री मांग का ज्ञापन जिला कलक्टर को सौंपा। प्रांतीय सदस्य कमल नारायण आचार्य और समिति के संयोजक गिरजाशंकर आचार्य ने रोष जताते हुए कहा कि लंबे समय से ग्रेड बढ़ाने की मांग उठाते आ रहे हैं, इसके बाद भी सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है। इसको लेकर समिति की ओर से अलग-अलग चरणों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।

Preview YouTube video बीकानेर में कर्मचारियों ने किया सदबुद्धि यज्ञ, सरकार को दी चेतावनी…

सोमवार को हुए सदबुद्धि यज्ञ में मनीष विधानी, प्रधुमन सिंह, भारत भूषण वर्मा, शिव छंगाणी, जितेन्द्र गहलोत,रसपाल सिंह मोटा, शशिकान्त त्रिपाठी, जितेन्द्र पारीक, प्रवीण गहलोत, शिव माली, राजेन्द्र शर्मा ने भागीदारी निभाई।

बीकानेर : अधीक्षण अभियंता के निलम्बन पर रोष, बिजली इंजीनियर बोले निलम्बन रद्द करें, देखे वीडियो

बीकानेर Abhayindia.com विद्युत वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता अशोक गोयल को निलम्बित किए जाने के बाद बिजली अभियंताओं में रोष है। सोमवार को बिजली इंजीनियर्स एसोसिशन ऑफ जोधपुर डिस्कॉम(बेजोड) ने विद्युत निगम के विश्राम गृह में विरोध प्रदर्शन किया।

Preview YouTube video बीकानेर में अधीक्षण अभियंता के निलंबन के विरोध में इंजीनियर्स एकजुट

निलम्बन की इस कार्रवाई को अनुचित बताया। साथ इस आदेश को रद्द करने की मांग उठाई। अभियंताओं ने एकजुट होकर ऊर्जा मंत्री से मुलाकात कर इस निलम्बन आदेश को निरस्त करने की बात कही।

साथ ही जोधपुर विद्युत वितरण निगम के एमडी अविनाश सिंघवी को एक ज्ञापन भी भेजा है। इसके जरिए अवगत कराया गया है कि प्रशसनिक दबाव में आकर यह एकतरफा कार्रवाई की गई है, यह दमनात्मक है, इससे अभियंता में आक्रोश है। संगठन इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करता है। अभियंताओं ने चेतावनी दी है कि जल्द ही इस आदेश को निरस्त नहीं किया गया तो संगठन को मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।

बीकानेर : अब एप में रहेगा पौधों का रिकार्ड, घर-घर औषधि योजना की समीक्षा

बीकानेरAbhayindia.com जिला कलक्टर नमित मेहता ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ‘घर घर औषधि’ योजना के तहत पौधों के समयबद्ध वितरण एवं रिकॉर्ड संधारण के संबंध में दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार का महत्वपूर्ण अभियान है। इसके क्रियान्वयन में किसी स्तर पर लापरवाही नहीं हो। जिला कलक्टर ने बताया कि जिले में मोबाइल एप बनाया गया है, जिसमें पौधों के वितरण से संबंधित समूचा रिकॉर्ड संधारित किया जाएगा। पौधों के वितरण के समय प्राप्त करने वाले व्यक्ति का नाम, मोबाइल नंबर, पता और आईडी की एंट्री की जाएगी और पौधे प्राप्त करने वाले को प्राप्ति का एसएमएस प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही संबंधित कार्मिकों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।

16 लाख पौधों का होगा वितरण…

उन्होंने उपखण्ड अधिकारियों को इसकी नियमित मॉनिटरिंग के निर्देश दिए एवं कहा कि शहरी क्षेत्र में नगर निगम आयुक्त और संबंधित अधिशाषी अधिकारी तथा ग्रामीण क्षेत्र में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं संबंधित विकास अधिकारी इसके प्रभारी होंगे। सभी अधिकारियों को वन विभाग से समन्वय रखने को कहा। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले चरण में शहरी क्षेत्र में पांच और ग्रामीण क्षेत्र में 11 लाख सहित कुल 16 लाख पौधों का वितरण किया जाएगा।

जिला कलक्टर ने कहा कि चिन्हित क्षेत्रों में शत-प्रतिशत पौधों का वितरण हो, यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने बताया कि पौधों के वितरण के लिए पखवाड़े के आधार पर गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक पखवाड़े के पहले सप्ताह पौधों का वितरण एवं दूसरे सप्ताह अगले पखवाड़े की तैयारी की जाए। पौधों के साथ एक पैम्फलेट का वितरण भी किया जाए, जिसमें इन पौधों को लगाने और देखभाल करने की विधि की जानकारी के साथ पौधों के औषधीय महत्व के बारे में भी बताया जाए।

इस दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओम प्रकाश, अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) बलदेव राम धोजक, नगर निगम आयुक्त एएच गौरी, उप वन संरक्षक रंगास्वामी एस., वीरेन्द्र सिंह जोरा, सुरेश आबूसरिया आदि मौजूद रहे।

बीकानेर : एसई निलम्बन मामले ने पकड़ा तूल, धरने पर बैठे बिजली अभियंता..

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