अभय इंडिया डेस्क। गणेश चतुर्थी का उत्सव 12-13 सितम्बर को समूचे देशभर में उत्साह व उमंग के साथ मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है इसलिए इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक चंद्र महीने में 2 चतुर्थी तिथि होती है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश से संबंधित होती है। शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है और कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ :16.07 (12 सितंबर 2018)
चतुर्थी तिथि समाप्त : 14.51 (13 सितंबर 2018)
गणेश चतुर्थी पर्व तिथि व मुहूर्त – 13 सितंबर- 2018
मध्याह्न गणेश पूजा : 11.04 से 13.31
चंद्र दर्शन से बचने का समय : 09.32 से 21.13 (13 सितंबर 2018)
गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि
-एक ईशान कोण में साफ स्थान पर रंगोली डाली जाती हैं, जिसे चौक पुरना कहते हैं।
-इसके ऊपर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं।
-कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती है।
-साथ ही एक पान पर सवा रुपया रख पूजा की सुपारी रखी जाती है।
-कलश भी रखा जाता है। कलश के मुख पर लाल धागा या मौली बांधी जाती है।
-कलश के बाद गणेश देवता की पूजा की जाती है। उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं।
-इसके बाद कुमकुम और चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किए जाते हैं।
-गणेशजी को मुख्य रूप से दूर्वा चढ़ाई जाती है।
-बाद में भोग लगाया जाता है। गणेशजी को मोदक प्रिय होते हैं।
-परिवार के साथ आरती की जाती है। इसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता है।
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गणेश चतुर्थी पर पूजन का विशेष महत्व, जानें विधि और शुभ मुहूर्त
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