








जयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। राजस्थान विधानसभा चुनाव में नोटा वोटों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही तगड़ा झटका दिया है। प्रदेश में कम से कम 15 विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों की जीत के औसत से ज्यादा नोटा वोट डाले गए। जितने नोटा वोट डाले गए उनसे दोनों ही दलों कांग्रेस या भाजपा को सात या आठ सीटें और मिल जाती।
आपको बता दें कि चुनाव में नोटा मतदाता को सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का विकल्प देता है। वसुंधरा राजे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने मालवीय नगर विधानसभा सीट से 1704 मतों से जीत दर्ज की। यहां 2371 मतदाताओं ने नोटा पर बटन दबाया।
जीत में सबसे कम मार्जिन आसिंद विधानसभा सीट पर रहा। यहां भाजपा के जब्बर सिंह ने कांग्रेस के मनीष मेवाड़ा को महज 154 वोटों से हराया। यहां 2943 वोटर्स ने नोटा को चुना। इस तरह पीलीबंगा में भाजपा के धर्मेंद्र कुमार कांग्रेस के विनोद कुमार को केवल 278 वोटों से हराया, यहां भी 2441 नोटा वोट डाले गए। मारवाड़ जंक्शन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार खुशवीर सिंह ने भाजपा के केसाराम चौधरी को 251 वोटों से हराया, यहां भी नोटा के 2719 वोट डाले गए।
इसी तरह अन्य सीटें जहां जीत के अंतर से अधिक नोटा वोट डाले गए हैं। इनमें घटोल, चोहटन, पचपदरा, बूंदी, चौमू्ं, पोकरण, खानपुर, खेतड़ी, मकराना, दांतारामगढ़ और फतेहपुर सीट शामिल हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा नोटा वोट बांसवाड़ा जिले में इस्तेमाल किए गए। यहां पांच विधानसभा सीटें आती है। इनमें कुशलगढ़ विधानसभा सीट में सबसे अधिक 11002 नोटा वोट डाले गए। यहां जीत का अंतर 18950 वोट था।
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