बीकानेर abhayindia.com ब.ज.सि. रामपुरिया जैन विधि महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के की दोनो ईकाइयों की ओर से महात्मा गांधी के 150वे जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में व्याख्यान माला की कडी में ‘‘मेकिंग ऑफ महात्मा और हिन्द स्वराज‘‘ विषय पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत महात्मा गांधी के तैल चित्र पर अतिथियों एवं प्राचार्य ने माल्यार्पण से की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉ. विनोद चन्द्रा हेड एवं ऐसोसिएट प्रोफेसर डिपार्टमेंन्ट ऑफ सोस्योलोजी जे.एन. पी.जी. कॉलेज, लखनऊ थे।
मुख्य वक्ता डॉ. विनोद चंद्रा ने कहा कि सिर्फ वही लोग निडर है जो सच नहीं छुपाते, क्योंकि जब कोई सच छुपाता है तो किसी न किसी तरह खौफ में जी रहा होता है। उन्होंने आज के युवा को वाटसऐप डिक्सनरी और फेसबुक डिक्सनरी से ऊपर उठकर साहित्यकारों को पढने की नसीहत दी। उन्होंने युवाओं को वैज्ञानिक दर्शन के साथ तथ्यों को मानने के लिए आग्रह किया। उन्होंने इस अवसर पर महात्मा गांधी की हिन्द स्वराज पुस्तक को पढने के लिये स्वयं सेवकों का आवहान करते हुए कहा कि गांधी जी ने हिन्द स्वराज में लिखा कि हम जो न्याय की मांग करते है तो हमें भी दूसरों के साथ न्याय करना होगा। उन्होंने गांधी जी के द्वारा चलाये गये विभन्न जन आन्दोलनों की चर्चा करते हुए उनके महात्मा बनने तक के सफर को स्वयं सेवकों के बीच रखा। उन्होंने इस विषय पर विधार्थियेां से वार्तालाप भी किया और उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास किया।
उन्होंने पीडा जाहिर करते हुए कहा कि भारत में आज गांधीजी को स्वच्छ भारत अभियान यानी बाहरी स्वच्छता तक सीमित कर दिया है, लेकिन देश को आन्तरिक शुद्धता की और स्वच्छता की आवश्यकता है, इसलिए सत्य, अहिंसा और परोपकार वो आदर्श हैं जिनसे भारत की सांस्कृतिक मूल्यों को आज के युवा में डाल कर ही उन्हें इस आधुनिक भारत का विधाता बनाया जा सकता है।
इससे पहले कार्यक्रम के शुरूआत प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी के स्वागत भाषण से हुई। डॉ. जोशी ने मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए उनके एकेडमिक एवं रिसर्च के योगदान से स्वयंसेवकों को अवगत कराया। उन्होंने इस अवसर पर महाविद्यालय की गतिविधीयों से अतिथियों को अवगत कराया। डॉ. जोशी ने महात्मा गांधी के आदर्षो अहिंसा सत्य परोपकार को प्रेरणा प्रसंगों के माध्यम से स्वयं सेवकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अहिंसा से तात्पर्य केवल शारीरिक हिंसा को त्यागना ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बुराईयों को त्यागना है।
इस अवसर पर राजकीय डूंगर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं राजीव गांधी स्टडी सर्कल के समन्वयक डॉ. एन. के. व्यास ने विषय पर अपना उदबोधन देते हुए स्वयं सेवकों को गांधी के जीवन को अपने आचार एवं व्यवहार में अपनाने के लिये कृत संकल्पित किया।
राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाईयों की ओर से आयोजित गोष्ठी में महाविद्यालय के रासेयो के प्रभारी डॉ. रीतेश व्यास ने गांधी दर्शन के बारे में स्वयं सेवकों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर अतिथियों का परम्परागत तरीके से साफा, शोल एवं प्रतिक चिन्ह भेंट कर महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. बाल मुकन्द व्यास, डॉ. शराफत अली, डॉ. राकेश धवन, प्रीति कोचर, भरत जाजडा, मगन सोलंकी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय के व्याख्याता एस. के. भाटिया ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रीतेष व्यास ने किया।
जम्मू-कश्मीर की ग्राउंड रिपोर्ट : पटरी पर आने लगी है जिंदगी, कई प्रतिबंध अब भी जारी