Thursday, September 19, 2024
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नहीं हो रही सगाई न ही बज रही शहनाई! तो देखें अपने घर का वास्तु…

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भारतीय सनातन संस्कृति में सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। जीवन को चलाने के लिए पुरुष व महिला को समान रूप से एक-दूसरे की आवश्यकता होती है। सनातन संस्कृति में विवाह का उद्देश्य केवल कामपूर्ण जीवन जीना ही नहीं है वरन धर्म के मार्ग में अग्रसर होना है। परंतु आज देखा जा रहा है कि बढ़ती महत्वकांक्षाओं के कारण समाज में विवाह एक चुनौती बन गया है। वर्तमान दौर में अविवाहित लड़का-लड़की के लिए अच्छा संबंध मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। विवाह मात्र एक सामाजिक कार्यक्रम ही नहीं है वरन इस देश की परंपरा और गौरवशाली संस्कृति का उत्सव है। कई बार लोगों को अपने लाइफ पार्टनर को खोजने में काफी दिक्कत आती है। वास्तु दोष के कारण विवाह में देरी, तलाक, अलगाव, विवाहित जोड़ों में कलह जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। ऐसे में हम कुछ वास्तु संबंधित उपाय करके इस समस्या से निजात पा सकते है।

विवाह योग्य बच्चों का कमरा गलत दिशा में होने से उनके विवाह में विलम्ब हो सकता है। वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनको अपनाकर जल्दी आपके घर में शहनाई बज सकती है। समय पर विवाह न होने के अनेक कारणों में से प्रमुख है विवाह के लिए सही परिवार का न मिलना। सही समय पर सही मिलाप कराने वाले का ना मिलना व मांगलिक होना।

वास्तु के मुताबिक, इन सब दोषों के पीछे असंतुलित ऊर्जा काम करती है। हमारे भीतर और आसपास की असंतुलित ऊर्जा ही हमारे जीवन को प्रभावित करती है। इस ऊर्जा में कोई भी गड़बड़ी या असंतुलन आने से एक सहज रिश्ते में भी कई बाधाएं आने लगती है।

वास्तु शास्त्र के लिए कुछ दिशाएं महत्वपूर्ण है। उन दिशाओं के असन्तुलन से विवाह में देरी अनेक मामलों में देखी गई है। दिशाओं को वास्तु अनुरूप कर दिया जाए तो विवाह में आ रही अड़चन समाप्त हो सकती है। अनुभव में आया है कि पूर्व दिशा हमें समाज से जोड़ती है। वेदों में आर्यमा देव जो पूर्व दिशा के देवता है। पूर्व दिशा को बैलेंस करके यहाँ पर हरे पेड़ पौधे लगाने से शादी के संदर्भ में जो लोग हमारे काम के हैं उनसे हम जुड़ पाते हैं। वहीं, दक्षिण–पूर्व दिशा जो अग्नि की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में नीला रंग हो तो मंगल कार्य संपन्न होने में कठिनाई आती है। अगर यह दिशा कटी हुई है तो लोग दहेज की मांग करते हैं और अगर बढ़ी हुई है उम्मीदें बढ़ जाती हैं। ऐसे में अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण व अमावस्या के दिन हवन का प्रावधान हमारे शास्त्र बताते है जो अपने कुलगुरू की सहायता से सम्पन्न कराकर इस बाधा को मिटाया जा सकता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, जब विवाह योग्य लड़के अथवा लड़कियों का करियर बन जाए और उनका विवाह करना हो, तब उन्हें वायव्य कोण में सोना चाहिए। यदि वायव्य कोण में कमरा नहीं है तो विकल्प के रूप में उत्तर दिशा या ईशान के कमरे के उत्तर-पश्चिम में उनके रहने-सोने की व्यवस्था की जा सकती है। अविवाहित बेटे-बेटियों के माता-पिता को इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ऐसे बच्चों के बेडरूम या स्टडी रूम में लोहे के बर्तन अथवा लोहे की अनावश्यक चीजें नहीं होनी चाहिए। ये चीजें बच्चों के विवाह में बाधक बन सकती है। कमरे में सकारात्मक ऊर्जा आने के लिए कमरे को साफ और अव्यवस्था मुक्त रखना चाहिए। इसके अलावा विवाह योग्य बच्चों के कमरे का रंग हल्का गुलाबी या कोई भी आँखों को सुंदर लगने वाला होना चाहिए। कभी भी अत्यधिक गहरे, भूरे, नीले एवं काले रंगों का नहीं होना चाहिए, ऐसे रंग नकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि करते है।

जो अविवाहित युवा नैऋत्य कोण में सोते है उनको विवाह के लिए काफी इंतज़ार करना पड़ता है। विवाह की चाहत रखने वालों का पलंग इस प्रकार लगाना चाहिए कि उसे दोनों तरफ से उपयोग में लाया जा सके। दोनों तरफ से दीवार से सटा पलंग विवाह में रूकावट बन सकता है। पलंग के ऊपर किसी भी प्रकार की बीम या दुछत्ती होने से मानसिक तनाव हो सकता है जो विवाह के निर्णय में बाधा उत्त्पन्न कर सकता है। अविवाहितों को बिछाने के लिए हल्के रंग के चद्दर काम में लेने चाहिए।

जिस किसी विवाह योग्य व्यक्ति के विवाह में अड़चन आ रही हो तो ऐसे व्यक्ति के बैडरूम के अंदर दक्षिण-पश्चिम दिशा में कैंची, छुरी और धारदार वस्तुएं कदापि ना रखें। विवाह की इच्छा रखने वालों को अपने शयन कक्ष में उत्तर दिशा की दीवार पर राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती या किसी विवाहित जोड़े की तस्वीर लगाने से विवाह के शीघ्र होने की संभावना बढ़ जाती है।

विवाह योग्य लड़के और लड़कियों को काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। ये रंग नकारात्मकता और विरोध का रंग हैं। वास्तु के अनुसार, इस रंग के कपड़े आपका संबंध बनने में विपरीत प्रभाव उत्पन्न करते हैं। विवाह योग्य लड़के या लड़कियों के कमरे में एक से अधिक दरवाजे नहीं होने चाहिए। वास्तु के अनुसार, ये आपके विवाह और मन में भटकाव
उपन्न करता है।

वास्तु शास्त्र घर के बीच में भारी सामान या सीढ़ियां रखने की सलाह नहीं देता है। इससे विवाह प्रक्रिया में देरी हो सकती है। वास्तु के अनुसार, भारी वस्तुएं घर में विवाह की शुभ ऊर्जा का आना मुश्किल कर देती हैं। लड़कियों के बेडरूम का दरवाजा नैऋत्य कोण में खुलने वाला नहीं होना चाहिए। वास्तु के मुताबिक अनाहत चक्र को सक्रिय करके उपयुक्त जीवन साथी की खोज खत्म की जा सकती है।

वास्तु शास्त्र में रिश्तों में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक चिन्ह बनाएं, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है घर में शंख और घंटी बजाएं, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।घर में पौधे लगाएं, जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। रिश्तों के लिए मंत्र जपें, जैसे कि “ओम श्री गणेशाय नमः” या “ओम श्री कृष्णाय नमः”। आपको जो समस्या बड़ी लग रही हो हो सकता है वास्तु के अनुरूप मामूली फेरबदल से उसका समाधान निकल जाए । मेरा मानना है इस सम्बंध में वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेने में कोई बुराई नहीं है। -सुमित व्यास, एम. ए. (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431

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