Thursday, January 16, 2025
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विधायक सुमि‍त गोदारा ने विधानसभा में पीबीएम की व्‍यवस्‍था और चिकित्‍सकों पर उठाए गंभीर सवाल, देखें वीडियो…

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जयपुर/बीकानेर Abhayindia.com राजस्‍थान विधानसभा में आज लूनकरणसर विधायक सुमित गोदारा ने चिकित्सा व लोक स्वास्थ्य सेवाओं पर बोलते हुए कहा कि संभाग का सबसे बड़ा हॉस्पिटल पीबीएम है लेकिन यहां आपातकालीन सेवाओं में अव्यवस्थाओं का ऐसा आलम है कि सारी व्यवस्थाएं चरमराई हुई है। पीबीएम हॉस्पिटल में प्रिंसिपल पद का चार्ज एक ऐसे डॉक्टर को दिया गया है जो व्यवस्थाएं देखने में नाकाम है, उनका ज्यादातर ध्यान खुद के निजी हॉस्पिटल को संचालित करने में लगा रहता है।

विधायक सुमित गोदारा ने सदन को अवगत कराते हुए कहा कि विशेषकर ह्रदय रोग विभाग की बात करें तो हमारे पीबीएम हॉस्पिटल में सबसे अच्छा भवन बना हुआ है, परंतु व्यवस्था निम्न स्तर की है। हृदय रोग विभागाध्यक्ष कभी आउटडोर में नहीं बैठते जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है तथा सारी जांचें बाहर से ही करवाते हैं और जिस मरीज के हार्ट अटैक आया हुआ हो उसको 30 से 35 हजार के इंजेक्शन बाहर से मंगवा कर लगाए जाते हैं तथा दलालों द्वारा इंजेक्शन वही पर बाहर से लाकर उपलब्ध करवा दिए जाते हैं, यह बड़े शर्म की बात है। राजस्थान सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए तथा ऐसे जीवन रक्षक इंजेक्शन सरकार को हॉस्पिटल में उपलब्ध करवाने चाहिए जिससे मरीजों का भला हो सके।

हृदय रोग विभाग में भर्ती मरीजों के साथ भी ऐसा होता है सिर्फ 6 घंटे अंदर से जाँच होती है, बाकी सारी जाँचें बाहर से करवाई जाती है। स्टंट और एंजियोग्राफी की सप्लाई राजस्थान सरकार को करनी चाहिए जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके तथा मरीजों को फायदा भी मिल सके। ह्रदय रोग विभाग के डॉक्टर एंजियोग्राफी किट व स्टंट लोकल स्तर पर खरीदते हैं जिससे राजस्थान सरकार पर वित्तीय भार पड़ता है तथा मरीजों की सेहत के साथ भी खिलवाड़ होता है।

विधायक सुमित गोदारा ने सदन में बोलते हुए कहा कि ट्रोमा सेंटर में भी डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाए जिससे आपातकालीन के मरीजों को फायदा मिल सके। गैस्ट्रोलॉजी विभाग में भी 4 डॉक्टर हैं पर आउटडोर केवल 3 दिन ही चलता है जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गैस्ट्रोलॉजी आउटडोर को सात दिन चलाना चाहिए जिससे मरीजों को फायदा मिले। विधायक सुमित गोदारा ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र लूणकरणसर में ज्यादातर एएनएम की पोस्ट खाली पड़ी है, सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर बैठते नहीं हैं। लूणकरणसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बात करूं तो वहां की ज्यादातर पोस्ट है खाली है, सरकार को चाहिए कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों के रिक्त पद भरे जाए जिससे ग्रामीण जनों को फायदा मिल सके।

कालू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जब औचक निरीक्षण किया गया तो 6 डॉक्टर की वहां पर पोस्ट है परंतु मिले केवल 2 डॉक्टर ही, यह चिकित्सा व्यवस्था का हाल है। मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी को जब अवगत करवाया गया तो उन्होंने कालू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को हटा दिया पर आज तक वहां पर कोई नया डॉक्टर नहीं लगा है। नापासर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी एक डेंटिस्ट के भरोसे हॉस्पिटल चल रहा है इससे बड़ी स्वास्थ्य सेवाओं में बदतर हालत क्या होगी। राजस्थान सरकार कम से कम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रिक्त पदों भरे जिससे ग्रामीण क्षेत्र में फायदा हो सके। हमारे बीकानेर जिले के CMHO जाते सारी जगह हैं पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं। हालात वही के वही तो किस से क्या उम्मीद करें। यदि स्वास्थ्य सेवाओं को ही सुधारना है तो पीएचसी सीएचसी उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर मेडिकल कॉलेज तक के डॉक्टरों को पाबंद सरकार को करना चाहिए कि वह आउटडोर में बैठे तथा मरीजों को देखें। कोविड काल में विधायक निधि कोष से जो एंबुलेंस दी गई है उनको चलाने की व्यवस्था भी राजस्थान सरकार को करनी चाहिए जिससे वहां के ग्रामीण जनों को वह पूरे क्षेत्र को फायदा मिल सके।

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