





बीकानेर abhayindia.com महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर की विद्या परिषद् की बैठक शनिवार को कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई। इसमें पीएच.डी. के उपरान्त डॉक्टर ऑफ साइंस एवं डॉक्टर ऑफ लिटरेचर उपाधि प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उपरोक्त दोनों उच्चतम उपाधियां है। ऐसी उपाधियां देश के चुनींदा विश्वविद्यालयों में ही दी जा रही है। विश्वविद्यालय विभागों के दो पीएच.डी. शोधार्थियों को शोध प्रबन्ध जमा कराने अथवा अधिकतम तीन वर्ष की अवधि तक 2 हजार रूपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
उप कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने बताया कि विद्या परिषद् द्वारा विश्वविद्यालय में शोध को बढावा देने के लिए शिक्षकों को विश्वविद्यालय स्तर से लघु शोध प्रोजेक्ट के लिए 2.00 लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता देने का निर्णय लिया गया है। सम्बद्ध महाविद्यालयों में नेक की तर्ज पर ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के लिए मानदण्डों का निर्धारण किया गया। साथ ही निजी महाविद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक एवं प्रशासनिक ऑडिट कराने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में संचालित समस्त पाठ्यक्रमों के लिए इकजाई अक्षय निधि कोष बनाने का निर्णय लिया गया जिसमें अस्थाई सम्बद्व निजी महाविद्यालयों को 5.00 लाख रुपए एवं स्थाई सम्बद्ध निजी महाविद्यालयों को 10.00 लाख का अक्षय निधि कोष बनाना होगा। जिन महाविद्यालयों द्वारा विश्वविद्यालय के निर्देशों एवं सम्बद्धता शर्तो की पालना नही की जा रही है उनकी सम्बद्धता समाप्ति की कार्यवाही से छात्रों को अवगत कराने का निर्णय लिया गया।
विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा 2018 के लिए प्रदान की जाने वाली उपाधियों में आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए नवीन सुरक्षा मानदण्डों को सम्मिलित किया गया है। इसके अन्तर्गत दी जाने वाली उपाधि 100 प्रतिशत वाटर प्रूफ, फायर प्रतिरोधी, नोन टियरेबल (ना फटने वाली) आदि सुरक्षा मानदण्डों के अधीन होगी। विद्या परिषद् द्वारा शैक्षणिक गुणवत्ता को बढावा देने के लिए आगामी सत्र से ऑडिनेंस में उल्लेखित प्रायोगिक विषयों के अतिरिक्त प्रायोगिक विषयों में स्वयंपाठी छात्रों को परीक्षा की अनुमति प्रदान नही की जाएगी। विद्या परिषद् द्वारा विश्वविद्यालय में संचालित 6 संकायों के 36 विषयों के पाठ्यक्रमों का अनुमोदन किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय में संचालित विभागों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने का निर्णय गया।
बैठक में सदस्य सचिव राजेन्द्र सिंह डूडी, संकायाध्यक्ष प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल, प्रो. राजाराम चोयल, प्रो. नारायण सिंह राव, डॉ. मीनू पूनिया, डॉ. वी.एन. सिंह, डॉ. सुरेन्द्र सहारण, प्रो. अनिल कुमार छंगाणी, शासन सचिव, उच्च शिक्षा के प्रतिनिधि डॉ. राकेश हर्ष, राज्य सरकार के प्रतिनिधि डॉ. श्रवण सैनी, डॉ. बी. एल. विश्नोई, डॉ. निधि अग्रवाल, कुलपति द्वारा नामित शिक्षक सदस्य डॉ. अभिषेक वशिष्ठ सहित पाठ्यक्रम मण्डलों के संयोजक उपस्थित हुए।





