Tuesday, November 18, 2025
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भगवान महावीर स्वामी की सवारी 5 को गाजे-बाजे से निकलेगी, तैयारियां पूर्ण

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बीकानेर Abhayindia.com श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में सकल श्रीसंघ के सहयोग से 5 नवम्बर को भगवान महावीर की सवारी उनकी पालकी, रथ, भजन मंडलियों के साथ गाजे बाजे से भुजिया बाजार के प्राचीन चिंतामणि जैन मंदिर से सुबह साढ़े नौ बजे निकलेगी। इसी दिन शाम को श्री चिंतामणि जैन मंदिर में शाम 108 दीपकों की आरती शाम साढ़े छह बजे होगी।

श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष हरीश नाहटा ने बताया कि गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा., मुनि मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, बीकानेर की साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि म.सा. के सानिध्य निकलने वाली भगवान महावीर की सवारी की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।

नाहटा ने बताया कि ऐतिहासिक कार्तिक महोत्सव के तहत केवल हिन्दुस्तान में कोलकाता व बीकानेर में ही भगवान महावीर की सवारी निकलती है। इसमें विभिन्न भजन मंडलिया विभिन्न राग व तर्जों पर भजनों की प्रस्तुतियां देंगी। विभिन्न मोहल्लों में भजन मंडलियों का पड़ाव विभिन्न मोहल्लों में रहेगा, वहां उनको स्टेज सुलभ करवाया जाएगा, स्वागत सत्कार किया जाएगा।

नाहटा ने बताया कि भुजिया बाजार से रवाना होकर भगवान की सवारी नाहटा चौक, गोलछा, खजांची, रामपुरिया, राखेचा, आसानियों का चौक, बांठया चौक, सिपानी मोहल्ला, कपड़ा बाजार, सुपारी बाजार, बच्छावतों का मोहल्ला, डागा झाब मोहल्ला से होते हु गोगागेट के बाहर श्री गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर पहुंचेगी। गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर में 6 नवम्बर को सुबह साढ़े नौ बजे पंच कल्याणक पूजा, उसके बाद श्रीसंघ की ओर से साधार्मिक वात्सल्य का आयोजन होगा। उन्हांने बताया कि 7 नवम्बर को सुबह साढ़े नौ बजे गोगागेट के श्री गौड़ी पार्श्वनाथ नाथ मंदिर से रवाना होकर गंगाशहर मार्ग, लाभुजी का कटला, कोटगेट, नया कुआं, मरोठी सेठिया, मुकीम बोथरा, रांगड़ी चौक, बेगानी मोहल्ला, ढढ्ढा चौक, दस्साणी मोहल्ला, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा, बोथरा मोहल्ला होते हुए श्री चिंतामणि जैन मंदिर में संपन्न होगी।

जैन मुनियों व साध्विंयों का
चातुर्मास का समापन 4 को

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ, साधुमार्गी संघ, खरतरगच्छ, पार्श्वचन्द्र गच्छ, शांतक्रांत संघ के मुनि व साध्विं, श्रावक-श्राविकाओं के चातुर्मास के व्रत, नियम व प्रवचन कार्यक्रमों का समापन चतुर्दशी 4 नवम्बर को होंगे। मुनि व साध्वीवृंद अपने प्रवास स्थल का परिवर्तन करेंगे।

खरतरगच्छ युवा परिषद बीकानेर के अध्यक्ष अनिल सुराणा ने बताया कि जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गणिवर्य मुनि मेहुल प्रभ सागर म.सा. मुनि मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, बीकानेर की साध्वी दीपमाला व शंखनिधिश्रीजी रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में संबोधि चातुर्मास 2025 के समापन पर प्रतिक्रमण आदि धार्मिक क्रियाएं करवाएंगे तथा देशाना (चातुर्मास का अंतिम प्रवचन) देंगे।

गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. आदि ठाणा डागा, सेठिया, पारख मोहल्ले के महावीर भवन से विहार कर खजांची मोहल्ले के बीकानेर के प्रथम विधायक स्वर्गीय मोतीचंद, सुश्रावक नरेन्द्रजी खजांची व खरतरगच्छ युवा परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक राजीव खजांची के निवास पर जाएंगे वहां सुबह भक्तामर कार्यक्रम में शामिल होंगे। साध्वी दीपमाला व शंखनिधि ढ्ढ्ढा चौक से नाहटा चौक के महावीरजी, तरुण डागा निवास पर चातुमार्सिक स्थान परिवर्तन करेंगी।

उन्‍होंने बताया कि 9 नवम्बर को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सुबह नौ बजे विदाई समारोह होगा। गणिवर्य, मुनि व साध्वीवृंद 10 नवम्बर को उदासर के भगवान सुपार्श्वनाथ मंदिर में तीन नूतन प्रतिमाओं के प्रतिष्ठा महोत्सव मेंं निश्रा प्रदान करेंगे। प्रतिष्ठा के लाभार्थी श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में उदासर के ओम प्रकाश संगीता कोठारी परिवार है।

सही तरीके से मंत्र जाप से फल-
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा.

रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सोमवार को गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने कहा कि सही तरीके से कल्याणकारी व तारण करने वाले परमात्मा का मंत्र जाप करने से सकारात्मक उर्जा व श्रेष्ठ फल मिलता है। उन्होंने कहा कि जाप के तीन तरीके है, भाष्य या वाचिक जप, उपांशु जप व मानसिक या जपाजप । कई मंत्र ऐसे है जिनका जाप करना बेहद लाभदायक होता है। भाष्य या वाचिक जप मेंं बोलकर मंत्र का जाप किया जाता है। उपांशु जप में जुबान व होठ कंपित होते प्रतीत होते है, मंत्र का उच्चारण केवल स्वयं को ही सुनाई देता है। वहीं मंत्र जाप का अभ्यास होने पर कई मंत्रों का अंतर मन से जाप होने लगता है। इसे मानसिक या जपाजप जाप कहते है। मंत्र जाप के समय स्थान व दिशा का सही चयन कर मंत्र का मर्म समझते हुए ध्यान केन्द्रित करते हुए जप करें। मंत्र के अर्थ व ध्वनि पर मन को केन्द्रित करें, मन के भटकने पर धीरे-धीरे उसे वापस मंत्र पर लाएं। अपने श्वास व ध्यान को नियंत्रित करें।

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