जयपुर abhayindia.com राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस अपनों से ही जूझती नजर आ रही है। 29 अप्रेल को 13 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव हुए थे, इनमें से 9 सीटें ऐसी हैं जहां पार्टी प्रत्याशियों के साथ भीतरघात की शिकायतें बड़ी संख्या में कांग्रेस मुख्यालय को मिली है। हालांकि, भीतरघात की संभावनाओं को भांपते हुए पार्टी ने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सख्ती के साथ एकजुट रहने और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ पूरा सहयोग करने के निर्देश दिए थे, इसके बावजूद कांग्रेस प्रत्याशियों को अपने ही नेताओं और कार्यकर्ताओं के जरिए भीतरघात का सामना करना पड़ा है।
आपको बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशियों का चुनावी प्रबंधन के लिए नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों ने भीतरघात की शिकायतें कांग्रेस मुख्यालय में बने वॉर रूम को दी है। पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय नेताओं की ओर से सहयोग नहीं करने और अंदरखाने पार्टी के विरूद्ध काम करने वाले नेताओं का उल्लेख किया है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो ये पर्यवेक्षक वो हैं जिन्हें जो दूसरे प्रदेशों से हैं तथा इनकी नियुक्ति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने चुनावी प्रबंधन के साथ स्थानीय नेताओं और प्रत्याशियों के बीच आपसी तालमेल बनाने के लिए की थी। जानकारी में रहे कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद वॉर रूम में तैनात आला नेताओं ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। और भीतरघात करने वाले नेताओं का पूरा खाका तैयार भिजवाने के निर्देश दिए हैं।
बताया जाता है कि राजस्थान में हुए पहले चरण के चुनाव में जिन सीटों पर भीतरघात की शिकायतें मिली हैं उनमें अजमेर, चित्तौड़, बाड़मेर, बारां-झालावाड़, टोंक सवाईमाधोपुर, पाली जैसी सीटें प्रमुख हैं। पार्टी नेताओं की मानें तो पर्यवेक्षकों के साथ कई प्रत्याशियों ने भी आला नेताओं को स्थानीय नेताओं की ओर से सहयोग नहीं मिलने की शिकायतें की हैं, हालांकि प्रत्याशी खुले तौर पर चुनाव परिणाम आने तक इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि पर्यवेक्षकों ने फिलहाल मौखिक तौर भीतरघात की शिकायतें की है, लिखित रिपोर्ट मिलने के बाद आला नेता प्रत्याशियों और पर्यवेक्षकों को जयपुर तलब कर भीतरघात करने के वाले नेताओं के बारे में जानकारी लेंगे।
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