सही दिशा में किया गया कोई भी प्रयास किसी भी सफलता का बड़ा कारण होता ही है। पंचतत्वों पर आधारित वास्तु नियमों के अनुसार बनाया गया मकान उन्नति के द्वार खोल सकता है। वहीं, वास्तु नियमों की अनदेखी भारी पड़ सकती है। आम तौर पर घर की छत वाले भाग को नजरअंदाज करते है। छत पर गैरजरूरी चीजें लाकर रखने से उत्पन्न होने वाला वास्तु दोष जीवन में समस्याओं का कारण बनता है।
वास्तुशास्त्र के ग्रन्थों में कहा गया है- “छत्रं शिखरं चापि वास्तु दोषं निवारयेत्। अन्यथा गृहिणः सर्वे रोगैः पीड्यन्ते निश्चितम्।” इसका आशय है छत और शिखर के वास्तु दोष को दूर करना चाहिए। अन्यथा, घर के सभी सदस्य रोगों से पीड़ित होंगे, यह निश्चित है। एक अन्य ग्रन्थ में लिखा गया है – “शिखरे वास्तु दोषं यस्य गृहस्य भवेत्तदा। तस्य गृहिणः सर्वे दरिद्रैः पीड्यन्ते निश्चितम्।” इसका आशय है जिस घर के शिखर में वास्तु दोष होता है, उस घर के सभी सदस्य दरिद्रता से पीड़ित होंगे, यह निश्चित है। ये दोनों श्लोक बताते है कि घर की छत के वास्तु का ध्यान रखना जरूरी है नहीं तो घर में रहने वालों को बहुत कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।
वास्तु के अनुसार, घर की छत टूटी-फूटी नहीं होनी चाहिए। घरों की छतों की दरारें या फिर बारिश के मौसम में पानी का रिसाव या फिर उसमें सीलन बना रहना एक गंभीर वास्तु दोष है। यदि उस घर में खुशहाली चाहते हैं तो वास्तु दोष को शीघ्र ही दूर कर लेना चाहिए। वास्तुशास्त्र में घर की छत पर झाड़ू रखने की मनाही है। इसी प्रकार घर की छत पर दूध निकलने वाले पौधे नहीं लगाना चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि लोग घर के अंदर की साफ-सफाई या घर के अंदर के वास्तु पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन उनका ध्यान घर की छत पर से हट जाता है। लोग इसकी सफाई पर ध्यान नहीं देते। ऐसा करना उनके घर में गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है जिसके कारण मानसिक, आर्थिक या शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
घर की छत पर किसी भी प्रकार की गंदगी न रखें। यहां किसी भी प्रकार के बांस या लोहे का जंग लगा हुआ सामान या टूटी कुर्सियां इत्यादि फालतू सामान कभी न रखें। घर की छत पर कभी भी टूटा-फूटा फर्नीचर न रखें। इससे पारिवारिक कलह बढ़ती है। जिन लोगों के घरों की छत पर अनुपयोगी सामान रखा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं, उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नकारात्मक होते हैं और परिवार में भी मनमुटाव की स्थितियां बन सकती हैं।
यदि आपका एक मंजिल मकान है और आप छत पर भी कुछ निर्माण करवा रहे हैं तो ध्यान रहे निर्माण दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में करवाना लाभदायक सिद्ध होगा। छत के लिए खुली जगह हमेशा उत्तर-पूर्व, उत्तर या पूर्व की ओर छोड़नी चाहिए।
वास्तु के अनुसार, घर की छत कांटेदार पौधे नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपके बच्चे का मानसिक विकास रुक सकता है। इसलिए आपको ध्यान रखना है कि घर की छत पर कांटेदार पौधे और बोनसाई लगाने से बचें।
अधिकतर जगहों पर सपाट छतों वाले मकान होते हैं, छत पर पानी के लिए ढलान वास्तु अनुसार रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर की छत का ढालान हमेशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा अन्य दिशा में छत का ढलान वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
घर की छत पर रखा पानी का टैंक किस दिशा में हो, यह जानना जरूरी है। उत्तर-पूर्व दिशा पानी का टैंक रखने के लिए उचित नहीं है, इससे तनाव बढ़ता है और पढ़ने-लिखने में बच्चों का मन नहीं लगता है। दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि की दिशा है इसलिए भी इसे पानी का टैंक लगाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। अग्नि और पानी का मेल होने से गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न होता है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है। वास्तु के अनुसार घर की छत पर रखी पानी की टंकी किसी भी सूरत में लीक नहीं होनी चाहिए। मान्यता है कि छत पर टंकी से बहते हुए पानी की तरह आपका जमा धन भी बेकार की चीजों में खर्च होकर बह जाता है। वास्तु के अनुसार घर की छत को कभी भूलकर भी तिरछा नहीं बनवाना चाहिए।
मान्यता है कि तिरछी छत से जुड़ा वास्तु दोष घर के सदस्यों की मानसिक परेशानियों का बड़ा कारण बनता है। वास्तु के अनुसार चौकोर या फिर आयताकार छत शुभ मानी जाती है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, मोबाइल – 6376188431