Friday, April 26, 2024
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स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं देने पर उच्च न्यायालय ने किया जवाब तलब

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जोधपुर Abhayindia.com  राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने उप स्वास्थ्य केन्द्र चौकडी ब्‍लॉक रेल मगरा जिला राजसमंद मे महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत उषा धांधडा के स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति आदेश को अस्वीकार करने के आदेश पर प्रसंज्ञान लेते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।

राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष उषा धाधडा मे एक रिट याचिका चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के आदेश दिनांक 06.05.2021 के विरूद्ध यह कहते हुए प्रस्तुत की, कि उसका मधुमेह के कारण एक आंख से दिखना पूर्ण रूप से बंद हो गया है व दूसरी आंख में भी मोतियाबिंद हो जाने के कारण दिखना बंद हो गया है। जिससे वह अपने कार्य को सम्पादित नही कर सकती है। इसलिए उसने विभाग के समक्ष अपने स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए दिनांक 16.09.2020 को आवेदन करते हुए दिनांक 31.12.2020 से स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की की। विभाग द्वारा उसके स्वैच्छिक सेवानिवृति के प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए दिनांक 31.12.2020 को खारिज कर दिया की समय की अनुपलब्धता होने के कारण प्रार्थना पत्र अस्वीकार (खारिज) किया जाता है। प्रार्थीनी द्वारा दिनांक 13 जनवरी 2021 को पुनः स्वैच्छिक सेवानिवृति का आवेदन किया गया। इसमें भी उसने स्पष्ट रूप से निवेदन किया कि मधुमेह के कारण एक आंख से पूर्ण रूप से दिखना बंद हो गया है व दूसरी आंख मे भी मोतियाबिंद होने के कारण उसको आंखों में इंजेक्शन लग रहे है। इस सन्दर्भ में मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रार्थी के पक्ष में चिकित्सीय प्रमाण पत्र भी जारी किया जा चुका है। इसलिए उसका स्वैच्छिक सेवानिवृति का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर उसके 30.04.2021 को सेवानिवृत किया जाये।

चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बार आदेश दिनांक 06.05.2021 से उसका प्रार्थना पत्र यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि अभी कोराना वायरस की महामारी चल रही है। इसलिए उसका प्रार्थना पत्र अस्वीकार (खारिज) किया जाता है। प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से उच्च न्यायालय में आदेश दिनांक 06.05.2021 से व्यथित होकर रिट याचिका प्रस्तुत की। प्रार्थी के अधिवक्ता का उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क था कि प्रथमतयाः राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम के नियम 50(1) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी कार्मिक 15 वर्ष की सेवापूर्ण होने पर कभी भी स्वैच्छिक सेवानिवृति ले सकता है इसके लिए किसी भी कारण को बताने की आवश्यकता नहीं है। विभाग द्वारा नियम 50(1) का उल्लंघन किया गया है। दूसरा विभाग द्वारा अन्य कार्यरत महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता को स्वैच्छिक सेवानिवृति दिनांक 30.04.2021 से प्रदान की गई है। तो प्रार्थी नी का ही स्वैच्छिक सेवानिवृति का प्रार्थना पत्र अस्वीकार करना समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है। प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रार्थी  उषा धाघडा के द्वारा प्रस्तुत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी करते हुए दिनांक 15.07.2021 तक जवाब प्रस्तुत करने का आदेश पारित किया।

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