





जयपुर Abhayindia.com खांसी की सिरप की गुणवत्ता का प्रकरण को लेकर आज चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की प्रेसवार्ता हुई। यहां जानिये प्रेस वार्ता के प्रमुख बिंदु…
• राज्य सरकार प्रदेशवासियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के कुशल नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुआ है।
• आमजन के स्वास्थ्य से जुड़े हर विषय पर राज्य सरकार गंभीरता एवं संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेती रही है एवं किसी भी तरह की लापरवाही सामने आने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।
• मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत करोड़ों लोगों को नि:शुल्क दवा मिल रही है और गरीब एवं जरूरतमंद सहित सभी वर्ग ओपीडी में इलाज खर्च की चिंता से मुक्त हुए हैं। विभाग ने इस योजना में दवाओं की गुणवत्ता का फुल प्रूफ सिस्टम विकसित किया हुआ है।
• सामान्यतया कोई भी दवा बाजार में आने से पहले एक निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन कम्पनी द्वारा किया जाता है। इसके बाद ही दवा बाजार में आती है। आमतौर पर बाजार से जो दवा खरीदते हैं, उसमें गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया एक बार ही होती है, लेकिन नि:शुल्क दवा योजना में गुणवत्ता जांच का सिस्टम और भी मजबूत है।
• इस योजना के तहत जो भी कम्पनी दवा सप्लाई करती है उसकी दवा के सभी बैचों का सैम्पल लेकर उसकी पुन: जांच आरएमएससीएल द्वारा करवाई जाती है।
• जांच में मानकों पर खरा उतरने के बाद ही दवा को रोगियों के वितरण हेतु भेजा जाता है। कोई भी कमी पाई जाने पर दवा के स्टॉक को रोक दिया जाता है।
• आरएमएससीएल से जो दवा जिला औषधि भण्डार एवं वितरण के लिए निचले स्तर पर भेजी जाती है, वहां से भी समय-समय पर रेण्डम आधार पर ड्रग आयुक्तालय की टीम द्वारा नमूने लेकर जांच की जाती है। इस जांच में भी अगर दवा में कोई कमी पाई जाती है तो तत्काल प्रभाव से उसके उपयोग एवं वितरण पर रोक लगा दी जाती है और संबंधित कम्पनी के विरूद्ध नियमानुसार डिबार आदि की कार्यवाही की जाती है।
• विगत दिनों भरतपुर, सीकर एवं अन्य स्थानों पर मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में आपूर्ति की जाने वाली औषधि Dextromethorphan HBr Syrup IP 13.5mg/5ml की गुणवत्ता का मामला सामने आया है।
• सबसे पहले दिनांक 28.09.2025 को औषधि Dextromethorphan HBr Syrup IP 13.5mg/5ml [440] के बैच नम्बर KL-25/147 की भरतपुर से एवं दिनाक 29.09.2025 को जिला सीकर से उक्त औषधि के बैच संख्या KL-25/148 के संबंध में समाचार पत्रों एवं विभागीय अधिकारियों के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई।
• समाचार पत्रों में प्रकाशित जानकारी के अनुसार सिरप का मरीजों द्वारा उपयोग करने पर उल्टी, नींद, घबराहट, चक्कर, बेचैनी, बेहोशी आदि की शिकायत सामने आई।
• शिकायत प्राप्त होने पर विभाग ने तत्काल प्रभाव से शिकायती बैचों के वितरण व उपयोग पर रोक लगा दी। साथ ही, इन बैचों के वैधानिक नमूने लेकर गुणवत्ता जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भिजवाया गया।
• इसी दौरान विभिन्न समाचार पत्रों में भरतपुर, सीकर व झुन्झुनू जिलों में बच्चों के खांसी की दवा से बीमार एवं 3 प्रकरणों में मृत्यु होने की खबरें प्रकाशित हुईं। जिन बच्चों की मृत्यु हुई है उनमें से- • नित्यांश शर्मा पुत्र मुकेश शर्मा आयु 04 वर्ष गांव खौरी ब्राहम्णान, जिला सीकर का था। इसकी जाँच करने पर पाया गया कि बालक को दिनांक 07.07.2025 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, चिराना में दिखाया गया था। जो उपचार बच्चे को दिया गया, उसमें Dextromethorphan HBr का उल्लेख नहीं है। उसके बाद बच्चे को किसी भी चिकित्सालय में नहीं दिखाया गया। बच्चे की मृत्यु दिनाक 29.09.2025 को हुई है।
• सम्राट पुत्र श्री प्रकाश आयु 25 वर्ष गांव मलाह, जिला भरतपुर की मृत्यु के प्रकरण की जांच में पाया गया है कि बालक सम्राट को निमोनिया था। जिसका शुरुआत में उप स्वास्थ्य केन्द्र मलाह, ब्लॉक सेवर में ANM एवं CHO द्वारा अपने स्तर पर उपचार किया गया। तत्पश्चात् उसे जिला अस्पताल, भरतपुर एवं जेके लोन अस्पताल, जयपुर रैफर किया गया, जहां दिनांक 22.09.2025 को उसकी मृत्यु हो गई। बालक को किसी भी राजकीय चिकित्सालय के स्तर पर डेक्सट्रोमैथोफेन एचबीआर दिये जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। जेके लोन अस्पताल से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सम्राट की मौत कारण एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिण्ड्रोम बताया गया है।
• इसी प्रकार तीर्थराज पुत्र श्री निहाल सिंह गांव लुहासा जिला भरतपुर की जांच करने पर पाया गया है कि तीर्थराज को खांसी एवं बुखार (URI) संबधी बीमारी की तीन दिन की हिस्ट्री लेकर परिजन उप जिला चिकित्सालय वैर में दिखाने आए थे। जिसको चिकित्सक द्वारा Syrup Amoxycillin, Syrup Anticold एवं Ambroxol 2ml cough syrup दी गई एवं परिजनों को दवा की मात्रा एवं समय के बारे में भी परामर्श दिया गया। उसी दिन पुन: उपचार हेतु आने पर गंभीर स्थिति पाए जाने पर जिला अस्पताल, भरतपुर हेतु रैफर किया गया। तत्पश्चात् जेकेलोन अस्पताल, जयपुर रैफर किया गया, जहां 27.09.2025 को बालक की मृत्यु हुई। बालक को चिकित्सालय के स्तर पर डेक्सट्रोमैथोर्फन एचबीआर दिये जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। जेके लोन से प्राप्त जानकारी के अनुसार तीर्थराज की मौत एक्यूट एनसिफलाइटिस के कारण होना बताया गया है।
• तीनों ही प्रकरणों में जाँच में चिकित्सक द्वारा उक्त दवा लिखे जाने एवं दिए जाने की पुष्टि प्राथमिक जांच में नहीं हुई है।
• दवा डेक्सट्रोमैथोर्फन से बीमार बच्चों की स्थिति-
• ग्राम कलसाडा, भरतपुर में गगन पुत्र श्री सतीशचन्द के बीमार होने के मामले में सामने आया कि बच्चों के पिता को दी गई दवा सेवन करने से बच्चा बीमार हुआ, जो अब स्वस्थ है।
• इसी तरह किट्टू उम्र 03 वर्ष पुत्र श्री प्रताप सिंह गांव हाथीदेह, जिला सीकर एवं टिंकू पुत्र श्री प्रताप सिंह गांव हाथीदेह, जिला सीकर में पीएचसी में उपचार के लिए आए थे। इन बच्चों को डेक्सट्रोमैथोर्फन दवा दिए जाने की पुष्टि हुई है। दवा के सेवन से बच्चे बीमार हुए, लेकिन अब बच्चे स्वस्थ हैं। पीएचसी हाथीदेह की चिकित्सक डॉ. पलक कूलवाल एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
• कायसन फार्मा की डेक्सट्रोमैथोर्फन दवा के जिन बैचों के नमूने लिए गए थे, ड्रग टैस्टिंग लैब से आज 6 सैम्पल की रिपार्ट आई है, जिसमें सभी सैम्पल स्टैण्डर्ड क्वालिटी के पाये गये गए हैं।
• उक्त दवा के संदर्भित बैचों से एक लाख तैंतीस हजार Doses वितरित की जा चुकी हैं और कहीं पर भी अभी तक कोई शिकायत या विपरीत रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
• कायसन फार्मा, जयपुर जो डेक्सट्रोमैथोरपन दवा की सप्लाई कर रही है। इस कंपनी के 2012 से अब तक 10 हजार 119 सैंपल लिए गए हैं। इनमें से 42 सैंपल अमानक पाए गए हैं। इनमें से कोविड के समय एक दवा के 39 सैम्पल फैल हुए थे। इसके अलावा 3 और सैम्पल अब तक अमानक पाए गए हैं।
• फिर भी एहतियातन विभाग ने इस कंपनी द्वारा सप्लाई की जा रही सभी 19 प्रकार की दवाओं के उपयोग एवं वितरण को अग्रिम आदेशों तक रोक दिया है।
• केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में एडवाइजरी जारी कर 4 साल से छोटे बच्चों को डेक्स्ट्रोमैथोरपन दवा नहीं देने के लिए कहा था। इसके क्रम में राज्य सरकार ने भी एडवाइजरी जारी की है।
• शुक्रवार को ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया ने पुन: एक एडवाइजरी जारी कर कहा है कि सामान्यत: 5 साल से बड़े बच्चों को ही यह दवा दी जाए। विशेषकर 2 साल से छोटे बच्चों को किसी भी स्थिति में यह दवा नहीं दी जाए। प्रदेश में भी इस एडवाइजरी की सख्ती से पालना के निर्देश दिए गए हैं।
• सभी चिकित्सा अधिकारियों को मरीजों को Proper counselling के बाद ही दवा prescribe करने के निर्देश दिये हैं।
• ऐसी दवाएं जो बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती हैं, उन दवाओं पर चेतावनी अंकित करवाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।
• साथ ही, ऐसी दवाएं जो सीओपीडी जैसी बीमारी में उपचार के लिए काम आती हैं, उनकी खरीद एवं आपूर्ति को भी नियंत्रित किया जाएगा। सामान्य परिस्थितियों में खांसी के उपचार के लिए वैकल्पिक दवाओं का उपयोग किया जाएगा।
• विभिन्न दवाओं में साल्ट की मात्रा के आधार पर मानक निर्धारण की प्रक्रिया को प्रभावित करने के मामले में सख्त एक्शन लेते हुए औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा को भी निलंबित भी कर दिया है।







