Friday, May 3, 2024
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क्या बैठकों व बयानों तक सिमटे भाजपा नेताओं को आइना दिखाया है वसुंधरा ने ?

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जयपुर/बीकानेर (आचार्य ज्योति मित्र) राजस्थान में गोचर, ओरण व चारागाह की भूमि पर राज्य सरकार के अतिक्रमण करने वालों को पट्टे देने के निर्णय पर भाजपा के मौन को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सरे आम देवी सिंह भाटी का समर्थन कर भाजपा के नीति नियंताओं से इस मुद्दे पर हुई चूक पर क्या डेमेज कंट्रोल का काम किया है? यह सवाल सियासी हलकों में जोर शोर से उठ रहा है। राजनीति के पंडितों का आकलन है की राजे ने गाय गोचर पर आंदोलन को भाटी का निजी आंदोलन बताने वालों को भी अपने इस बयान से आईना दिखा दिया है।

गौरतलब है कि वसुंधरा का यह ट्वीट उस समय आया है जब प्रदेश भाजपा के नेता इस मुद्दे को भाटी का व्यक्तिगत मुद्दा बता कर व्यक्तिगत स्तर पर तो धरने का समर्थन कर रहे थे लेकिन, पार्टी के स्तर पर इसे उठाने से बच रहे थे। भाटी के धरने के बाद से भाजपा के नेता जहां भी जा रहे थे गोचर मुद्दे का सवाल उनका पीछा कर रहा था। पिछले दिनों बीकानेर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया व राजेंद्र राठौड़ जैसे नेता आए लेकिन, पत्रकारों के सवाल पर इसे भाटी का व्यक्तिगत धरना बताकर गौ भक्तों से नाराजगी मोल ले ली। भाजपा के इन बयानों से गौ भक्त व साधू संत भड़क गए। प्रदेश की गौ सेवी संस्थाओं के दल भाटी की जाजम पर आने लगे। भाटी के मंच से साधू सन्तों के साथ कई सामाजिक संगठनों ने गाय गोचर के मुद्दे पर चुप रहने वाले राजनीतिक दलों से चुनाव में हिसाब बराबर बात करने की कही तो भाजपाई हड़बड़ा गए।

बताते हैं रीट व गोचर मामले में हुई चूक की हड़बड़ाहट में प्रदेश भाजपा के मुखिया ने बीजेपी के जूते के बराबर भी नहीं है कांग्रेसजैसा बयान देकर आत्मघाती हमले को निमंत्रण दे दिया। अनुशासित माने जानी वाली पार्टी नेताओं के इस तरह के असंसदीय बयानों ने आग में घी का काम किया। बताते हैं कि प्रदेश भाजपा में इन दिनों नेतृत्व को लेकर रार चल रही है इस कारण कद्दावर नेताओं को एकएक करके किनारे लगाने की रणनीति पर एक सूत्री काम किया जा रहा है। ऐसे हालात में वसुंधरा राजे एक बार फिर सक्रिय हो गई जिससे कागजी नेताओं की नींद उड़ी हुई है। वसुंधरा ने गाय, गोचर के मुद्दे पर भाटी के मुद्दे को समर्थन देकर यह साफ कर दिया कि जब तक जनाधार वाले नेताओं को साथ में नहीं लिया जाएगा तब तक पार्टी का सत्ता में आना दूर की कौड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री इन दिनों भाजपा के पुराने नेताओं पूर्व उपमुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा से लेकर किरोडी लाल मीणा तक की खैर खबर ले रही है। राजे की सक्रियता प्रदेश भाजपा के महत्वाकांक्षी कई नेताओं को रास नहीं आ रही है।

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में रहे एक नेता कहते है प्रदेश नेतृत्व सिर्फ बैठक व बयानों तक ही सिमटा हुआ है। जनसंघ के जमाने से गौ हत्या बंद हो जैसे नारों को लेकर प्रदेश व केंद्र में सत्ता में आई भाजपा को जब गाय के लिए धरातल पर आना चाहिए था उस समय नेतृत्व मौन रह गया। वहीं, आरएसएस परिवार के वरिष्ठ सदस्य तंज कसते हुए कहते है भाजपा को अपने घोषणा पत्र से गाय शब्द वापिस ले लेना चाहिए। इसके नतीजे तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन खतरा तो बड़ा है जो भाजपा कार्यकर्ताओं के सामने खड़ा है। कई लोग इस भावी खतरे को भांप कर भाटी की जाजम पर आए जिसमे मुख्य रूप से नोखा विधायक बिहारी विश्नोई, खाजूवाला के पूर्व विधायक डॉक्टर विश्वनाथ मेघवाल पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के नाती व विधायक नरपत सिंह राजवी के पुत्र अभिमन्यु सिंह, पूर्व मंत्री नरेंद्र कंवर के पुत्र राजेश्वर सिंह सिवाड आए। वहीं, स्थानीय भाजपा के कई नेताओं ने धरना स्थल पर भाटी को गुड़ से तौल कर अपने नेताओं को सीधा सन्देश दे दिया।

उधर, राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में गोचर मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जो निर्देश दिए है वो भाटी को अपना धरना उठाने के लिए पर्याप्त है लेकिन वे अपना तम्बू जमाए बैठे है। राजनीति के पंडितो का कहना है कि भाटी का धरना जितना लंबा चलेगा उससे भाजपा को नुकसान है। पूर्व मंत्री भाटी कहते है कि सरकार के नियम को पलटाना उनके लिए बड़ा काम नहीं है। उनके लिए बड़ा काम है गाय गोचर के मुद्दे पर जनता में जागृति लाना। इस धरने ने यह काम किया है। धरने ने गौ भक्तों को एक छतरी के तले आकर अपनी बात रखने के लिए माहौल दिया है भविष्य में इसके सुखद परिणाम मिलेंगे। राजनीति के पंडितों का आंकलन है कि इस धरने ने भाटी को एक बार फिर से मुख्यधारा में ला खड़ा किया है। चुनाव में इस सक्रियता का लाभ किसे मिलेगा यह भविष्य के गर्भ में है।

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