जयपुर Abhayindia.com राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एक बार फिर कार्यकर्ताओं को सत्ता व संगठन में उचित भागीदारी नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर कर दी है। पायलट ने कहा है कि दस माह बाद भी मेरे साथ किए वादों पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे उस वक्त समझाया गया था कि सुलह समिति की ओर से जल्द कार्रवाई की जाएगी लेकिन, अब सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है और किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं किया गया है। वे मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाने के लिए जी-जान से मेहनत की और अपना सब कुछ दांव पर लगा डाला, उनकी सुनवाई अब तक नहीं की जा रही है।
आपको बता दें कि राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर पायलट खेमा लंबे समय से नाराज चल रहा है। हाल में पायलट समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा दिया हुआ है। वहीं दूसरे समर्थित विधायक वेद प्रकाश सोलंकी लगातार पायलट के साथ होने और कांग्रेस में दलितों की उपेक्षा का मामला उठा रहे है। अब पायलट के इस ताजा बयान के बाद कांग्रेस की सियासत में गरमी आ गई है। जानकारों का यहां तक कहना है कि ऐसे हालात को देखते हुए पार्टी में फिर से बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
इधर पायलट खेमे के माने जाने वाले चाकसू से कांग्रेस विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने भी सरकार में दलित मंत्रियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। सोलंकी ने चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग पर ज्यादा हमला बोला है। सोलंकी ने एक बयान में कहा एससी, एसटी के कामों को सुभाष गर्ग अटकाते है वो चाहे अम्बेडकर पीठ हो या फिर बैकलॉग का मामला हों। विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि पहली बार विधायक बनकर मंत्री बने सुभाष गर्ग को नौ कमेटियों में शामिल किया है। सरकार बताए कि सुभाष गर्ग को किस पैरामीटर से नौ कमेटियों का सदस्य बनाया और दो दलित मंत्रियों को एक कमेटी में शामिल करने योग्य भी नहीं समझा। इससे दलित समाज में अच्छा मैसेज नहीं गया है।