Tuesday, January 14, 2025
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बीकानेर के श्रद्धालुओं ने द्वारिका में फहराई ध्‍वजा….

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बीकानेर abhayindia.com श्रीकृष्ण की कर्मभूमि द्वारिका (गुजरात) में स्थित मंदिर पर ध्‍वजा फहराने के लिए इस वर्ष भी बीकानेर से बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु पहुंचे। जयभूतनाथ परिवार (राधे व्‍यास) की ओर से बीते कई वर्षों से मंदिर पर ध्‍वजा फहराने के क्रम में दो अगस्‍त को भी एक जत्‍था द्वारका मंदिर पहुंचा। इस जत्‍थे में भरत व्‍यास, रोहित व्‍यास, पप्‍पू बोड़ा सहित बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु शामिल थे। इसी बीच सावन के अंतिम सोमवार को जय भूतनाथ परिवार की ओर से बीकानेर के भूतनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक किया गया।

…इसलिए द्वारिका को कहा जाता है देवभूमि

आपको बता दें कि गुजरात के द्वारिका मंदिर के स्‍थान को देवभूमि कहा जाता है। यह स्‍थान हिन्दुओं के साथ सर्वाधिक पवित्र तीर्थों में से एक तथा चार धामों में से एक है। यह सात पुरियों में एक पुरी है। जिले का नाम द्वारिका पुरी इसीलिए रखा गया है। यह नगर भारत के पश्चिम में समुन्द्र के किनारे पर बसा है। हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, इसे भगवान कॄष्ण ने बसाया था। यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है। द्वारका भारत के सात सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। आधुनिक द्वारिका एक शहर है। कस्बे के एक हिस्से के चारों ओर चारदीवारी खिंची है। इसके भीतर ही सारे बड़े-बड़े मन्दिर है।

जानकारी के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित कोई भी अध्ययन कार्य अभी तक पूरा नहीं किया गया है। 2005 में द्वारिका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए शुरू किए गए अभियान में भारतीय नौसेना ने भी मदद की।अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छटे पत्थर मिले और यहां से लगभग 200 अन्य नमूने भी एकत्र किए, लेकिन आज तक यह तय नहीं हो पाया कि यह वही नगरी है अथवा नहीं जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। आज भी यहां वैज्ञानिक स्कूबा डायविंग के जरिए समंदर की गहराइयों में कैद इस रहस्य को सुलझाने में लगे हैं।

मथुरा में उत्पन्न हुए, राज किया द्वारिका में

बताया जाता है भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, पर राज उन्होंने द्वारिका में किया। यहीं बैठकर उन्होने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली। पांड़वों को सहारा दिया। धर्म की जीत कराई और शिशुपाल और दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं को मिटाया। द्वारिका उस जमाने में राजधानी बन गई थीं। बड़े-बड़े राजा यहां आते थे और बहुत-से मामले में भगवान कृष्ण की सलाह लेते थे। इस जगह का धार्मिक महत्व तो है ही, रहस्य भी कम नहीं है।

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