Monday, May 6, 2024
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समाज की सहभागिता बिना भाषा के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती – डाॅ. शर्मा

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बीकानेर abhayindia.com सादूल राजस्थान रिसर्च इस्टीट्यूट के तत्वावधान् में इटली मूल के राजस्थानी भाषा के विद्वान डाॅ. एल. पी. तैस्सितोरी की 100वीं पुण्यतिथि के अवसर पर दो दिवसीय समारोह के तहत शनिवार को ब्रह्म बगीचा स्थित मुक्ति संस्था परिसर में ‘राजस्थानी भाषा के विकास में समाज की सहभागिता’ विषयक परिसंवाद आयोजित हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ संगीतज्ञ डाॅ. कल्पना शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि समाज की सहभागिता के बिना किसी भी भाषा के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। समाज की उपेक्षा के कारण प्रतिदिन अनेक भाषाएं विलुप्त हो रही हैं। उन्होंने राजस्थानी को विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक बताया तथा कहा कि इसके संस्कारों को अगली पीढी तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इसे आम बोलचाल में अपनाना होगा। युवाओं को इससे जोड़ना होगा। भाषा की विकास के जतन समाज के बिना संभव नहीं है।

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मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय जोशी ने कहा कि भाषा की उत्पति समाज से होती है तथा यही पल्लवित-पोषित होकर भाषा वृहद क्षेत्र तक पहुंच पाती है। उन्होंने कहा कि भाषा को जन-जन तक पहुंचाने में साहित्य की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस मामले में राजस्थानी भाषा बेहद समृद्ध है। यहां लिखित और लोक साहित्य का अकूत भंडार है तथा सुखद बात है कि आज भी अनवरत साहित्य सृजन हो रहा है।

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वरिष्ठ कवि, साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि मां को बच्चे की पहली शिक्षिका माना जाता है। इस कारण एक मां अथवा महिला, भाषा को एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचानो में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि हिंदी या अंग्रेजी को अपनाना गलत नहीं है, लेकिन कोई भी अपनी मातृभाषा को विस्मृत नहीं करे, इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है।

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विशिष्ठ अतिथि डॉ. फारूक चैहान ने कहा कि राजस्थानी भाषा का वृहद् प्रभाव ही तैस्सितोरी जैसे विद्वानों को राजस्थान की ओर खीच लाया। राजस्थानी भाषा और साहित्य के विकास में उनके अवदान को सदियों तक याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राजस्थानी भाषा के विद्वान तैस्सितोरी के 100वें पुण्यतिथि वर्ष पर पूरे साल विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

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इससे पहले युवा साहित्यकार शशांक शेखर जोशी द्वारा परिसंवाद के विषय पर आधारित पत्रवाचान किया गया। उन्होंने राजस्थानी साहित्य की विशेषताओं, यहां की परम्पराओं और इसके विकास में समाज की भूमिका पर प्रकाश डाला। इससे पहले आगंतुकों ने तैस्सितोरी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन राजाराम स्वर्णकार ने किया। उन्होंने संस्था की गतिविधियों के बारे में बताया तथा दो दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

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इस अवसर पर कवि कथाकार नदीम अहमद नदीम,  एन डी रंगा, चतुर्भुज शर्मा, हीरालाल हर्ष,  चन्द्रशेखर जोशी, डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने समाज की सहभागिता विषय पर आयोजित परिसंवाद में विचार रखे। कार्यक्रम में मुरली मनोहर पुरोहित, भंवर लाल मेघवाल, मार्कण्डेय पुरोहित, चैन सिंह, गायक कौशल्या रामावत, नारायण दास रंगा सहित अनेक साहित्कार एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थेे। प्रेम नारायण व्यास ने आभार व्यक्त किया ।

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