बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर (ईसीबी) में नियुक्त कर्मचारियों की उठापटक का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। ताजा प्रकरण के अनुसार मंगलवार को कॉलेज प्रबंधन ने करीब सत्रह कर्मचारियों को बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने से मना करते हुए वापस घर जाने का कह दिया गया। इससे कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया। इन कर्मचारियों को पिछले महीने ही पूर्व प्राचार्य दिनेश कुमार शृंगी ने लगाया था। कर्मचारियों की नियुक्ति बाकायदा संविदा एजेंसी के माध्यम से की गई थी। इसके बावजूद इन्हें अचानक हटा दिया गया।
इस संबंध में ‘अभय इंडिया’ ने कॉलेज के प्राचार्य ए. के. गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि जिन कर्मचारियों को हटाने की बात कही जा रही है मैंने उनसे नियुक्ति पत्र मांगा है। यदि उनके पास नियुक्ति पत्र ही नहीं है तो मैं बायोमैट्रिक हाजिरी कैसे लगवाने दूं। गुप्ता ने कहा कि इन कर्मचारियों को किसने और किसके आदेश से लगाया गया है यह तो पता चलना चाहिए। उधर, कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पूर्व प्राचार्य दिनेश कुमार शृंगी ने संविदा एजेंसी के माध्यम से लगाया था, तब हमें किसी प्रकार का नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया।
इस संबंध में ‘अभय इंडिया’ ने कॉलेज के पूर्व प्राचार्य दिनेश कुमार शृंगी से बात की तो उन्होंने माना कि मैंने दिसम्बर में 12 कर्मचारियों को संविदा एजेंसी के मार्फत लगाया था। संविदा में लगने वाले कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाता। कॉलेज में इससे पहले भी सैकड़ों कर्मचारियों को संविदा एजेंसी के मार्फत लगाया गया था, उन्हें भी नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए थे। मुझे सिरेमिक्स टैस्टिंग लैब को चालू कराने के लिए कर्मचारियों की जरूरत थी, इसलिए मैंने कर्मचारियों को लगाया था। मेरे द्वारा पद छोडऩे के बाद यदि किसी कर्मचारी को लगाया गया है तो उसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
दो पाटन के बीच पिस रहे कर्मचारी
इंजीनियरिंग कॉलेज में संविदा पर कर्मचारियों को लगाने और हटाने की राजनीति अर्से से चल रही है। इसका खामियाजा उन बेरोजगारों को उठाना पड़ रहा है जिन्हें काम के नाम पर लगा तो लिया जाता है, लेकिन बाद में बिना किसी स्पष्ट कारण उन्हें वापस घर भेज दिया जाता है। पूर्व में कॉलेज से डेढ़ सौ कर्मचारियों का निकालने का मसला भी खूब गर्माया था। अब एक बार फिर कर्मचारियों की उठापटक से कॉलेज की छवि पर बट्टा लग रहा है। इसके बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधि और सरकार इस मुद्दे पर कोई गौर नहीं कर रही है। खासतौर से क्षेत्र के सांसद अर्जुनराम मेघवाल, शहर भाजपा अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य, विधायक डॉ. गोपाल कृष्ण जोशी आदि नेताओं की चुप्पी के चलते ईसीबी का ढर्रा सुधरने के बजाय दिनोंदिन बिगड़ता नजर आ रहा है। इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी तमाशबीन नजर आ रही है।