Saturday, May 18, 2024
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बीकानेर : रमक झमक ने किया पचास वर्ष पूर्व ओलंपिक सावे में परिणय सूत्र में बांधने वालों का सम्मान, शामिल हुए मानवाधिकारी अयोग अध्यक्ष…

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बीकानेर abhayindia.com पुष्करणा ब्राह्मण समाज के पचास वर्ष पूर्व आयोजित सामूहिक विवाह (ओलंपिक सावे) में परिणय सूत्र में बंधने वाले 76 जोड़ों का सोमवार को रमक झमक की ओर से सम्मान किया गया।

सूरदासाणी बगीची में आयोजित कार्यक्रम राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गोपालकृष्ण व्यास ने कहा कि पुष्करणा समाज का सामूहिक सावा मितव्ययता और परंपराओं के संरक्षण के दृष्टिकोण से पूरे देश के लिए एक मिसाल है।

समाज द्वारा सदियों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है और इसे आगे बढ़ाने के लिए रमक झमक जैसी संस्थाएं सराहनीय कार्य कर रही हैं। व्यास ने कहा कि ओलंपिक सावे के बाद भी रमक झमक संस्था की ओर से लगातार नवाचार करके दांपत्य जीवन के 50 वर्ष पूर्ण करने वाले जोड़ो को सम्मानित किया गया है। इससे युवा पीढ़ी में वरिष्ठ जनों के प्रति सम्मान की भावना होगी। उन्होंने कहा कि समाज के प्रबुद्ध लोग यह प्रयास करें, कि हमारी परंपराओं का मूल स्वरूप बना रहे। हम देखादेखी से दूर रहें और कम से कम खर्च में विवाह और अन्य कार्य करें।

प. जुगलकिशोर ओझा (पुजारी बाबा) ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी दौर में में भी इसकी सादगी बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा। उन्होंने रमक झमक के संस्थापक स्व. छोटूलाल ओझा द्वारा परंपराओं के संरक्षण के लिए की गई पहल की सराहना की। संत भावनाथ महाराज ने कहा कि संस्कृति और परम्पराओं को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने की अपील की।

रमक झमक संस्था के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ने बताया कि पिछले लगभग दो दशक से रमक झमक ओलंपिक सावे के दौरान परंपराओं का निर्वहन करने वालों को प्रोत्साहित करता आया है। इनमें विष्णु वेश में जाने वाले दूल्हों के सम्मान, विवाह सामग्री निशुल्क उपलब्ध करवाना आदि शामिल हैं। इससे पहले अतिथियों ने 50 वर्ष पूर्ण करने वाले युगल का सम्मान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रतना महाराज ने की। कार्यक्रम में सभी दम्पतियों के आरोग्य के लिये संस्था की ओर से पण्डित आशीष भादाणी के आचार्यत्व में रुद्राभिषेक किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन एडवोकेट अजय व्यास ने किया।

इस दौरान एडवोकेट गोपाल पुरोहित, महेश व्यास, शंकर पुरोहित, दिलीप जोशी आदि लोग मौजूद रहे। राधे ओझा ने आभार व्यक्त किया। संचालन बाबूलाल छंगाणी ने किया।

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