Friday, May 3, 2024
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बीकानेर नगर निगम चुनाव : …इन 15 वार्डो पर भाजपा-काग्रेस रणनीतिकारों का हैं खास फोकस…

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बीकानेर abhayindia.com निकाय चुनाव में शहर के अस्सी वार्डो में से करीब 15 वार्ड अधिक चर्चा में है, क्योंकि इन वार्डो से मैदान में उतरी महिला उम्मीदवारों को मेयर पद की प्रबल दावेदार माना जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार इन्ही वार्डो में फोकस बनाये है। इनमें से दोनों पार्टियों की कई प्रभावशाली उम्मीदवारों ने तो खुद को मेयर के रूप में प्रचारित करना भी शुरू कर दिया है।

मजे कि बात तो यह है कि जिन वार्डों में भाजपा-कांग्रेस की महिला उम्मीदवार चेयरमैन की दावेदार है, उनमें से कुछ वार्डों में कड़ा मुकाबला है तो कुछ की सीट त्रिकोणीय व चतुष्कोणीय मुकाबले फंसी हुई है, इसलिये अपनी सीट बचाने के लिए आखिरी तक निर्दलीय प्रत्याशियों को भी अपने पक्ष में करने की जुगत हो रही है। जिन वार्डो में भाजपा-कांग्रेस के रणनीतिकारों का खास फोकस है उनमें वार्ड नंबर ४७ प्रमुखता से शामिल है, इस वार्ड से भाजपा की सुमन छाजेड़ मेयर पद की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।

इसके अलावा वार्ड नंबर ६४ से भाजपा की डॉ. मीना आसोपा, वार्ड नंबर ७३ से भाजपा की आरती आचार्य, वार्ड नंबर ५० से भाजपा की प्रमिला गौतम, वार्ड 2 से सुधा आचार्य, वार्ड नंबर ३७ से लक्ष्मी कंवर हाड़ला का नाम भी मेयर पद के दावेदारों में प्रमुखता से शामिल माना जा रहा है। वहीं कांग्रेसी खेमे में वार्ड 28 से पुष्पा देवी सेठिया, वार्ड 73 से मेहनाज बानो, वार्ड 37 से रेखा कंवर, वार्ड नंबर 32 से अंजना खत्री, वार्ड 12 से सुहानी शर्मा, तथा वार्ड नंबर 11 से रेणू कंवर का नाम प्रमुखता से सामने आया है।

बीकानेर में हर बार नया मेयर, अबकी बार…

बीकानेर में निकाय चुनावों का इतिहास तो यही कहता है कि चेयरमैन की कुर्सी हर बार नए पार्षद के खाते में जाती रही है। एक बार चेयरमैन बनने के बाद दुबारा मौका भी नहीं मिलता है। जब भी सामान्य सीट रही तो ज्यादातर सामान्य वर्ग का ही चेयरमैन बना है। वैसे कांग्रेस-भाजपा दोनों ही विधानसभा चुनावों के लिहाज से सोशल इंजीनियरिंग को अधिक महत्व देती है। जिन समाजों के शहर में अधिक मतदाता हैं उनको टिकट में प्राथमिकता दी जाती रही है।

चुनावी जानकारों के अनुसार पार्षद के चुनाव तक तो प्रत्याशी एक-दूसरे के खिलाफ वोट मांगते हैं लेकिन, मेयर की कुर्सी के लिए पार्टियों के भीतर ही बड़ी राजनीति शुरू हो जाएगी। यह बहुत महत्वपूर्ण होगा कि कितने दावेदार चुनाव जीतकर आते हैं। कुछ ऐसे भी होंगे जिनके लिए बड़े नेता पैरवी करेंगे। यदि किसी भी पार्टी को बहुमत की सीट नहीं मिलती हैं तो प्रत्याशी चयन की प्राथमिकता भी बदल जाती है। जिसके कारण चुनाव परिणाम के बाद मेयर पद के प्रत्याशी का चयन का आधार बदल सकता है।

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