Thursday, April 25, 2024
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बीकानेर : घर-घर में गीत सुणीजे, सावो आयो रे…

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बीकानेरabhayindia.com पुष्करणा सावे के मौके पर शहर के कवि, साहित्यकार भी अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। शब्दों के शिल्पकार अपनी रचनाओं के माध्यम से पुष्करणा सावे की रौनक में चार चांद लगा रहे हैं। इन दिनों में काव्य गोष्ठियों का मुख्य आकर्षण पुष्करणा सावा ही है।

इसी तरह का एक आयोजन बीते दिनों बारहगुवाड़ के समीप रमक झमक संस्था के मंच पर ‘सावा रस धारा’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कवियों और गीतकारों ने अपने शब्दों से सावा का बखान किया। कार्यक्रम में मनीषा आर्य सोनी ने ‘रमक झमक हुई शहर बीकाणे में, हरख हरख अठे मंगल मनावे है’ गीत सुनाया। वहीं कैलाश टाक ने ‘घर घर मंडगी चवंरी,कमल रंगा ने ‘पुष्करणा सावो आयो रे,रमक झमक हुई शहर माय, आनन्द मस्ताना ने ‘सखी म्हारो सावो छपग्यो ए, मन मोती हरखायो ए, जुगल पुरोहित ने ‘बीकाणा में धूम मची सावो आयो रे, इंद्रा व्यास ने ‘घर घर मे गीत सुणी जै रे,सावो आयो रे, विपलव व्यास ने सावो करे सवार सगळो ने बतावे, डॉ.कृष्णा आचार्य ने ‘सादगी से सावा मनाना…रचनाएं सुनाकर सावे की महत्ता का बखान कर वाहा-वाही लूटी। कार्यक्रम नगेंद्र किराड़ू ने ‘ओ गुडिय़ा तुम खुश रहिजो, संजय आचार्य वरुण ने ‘चिड़कली उडऩे को तैयार… रचना विदाई के समय लड़की के परिजनोंं की दशा का चित्रण शब्दों से किया।

कार्यक्रम में हनुमंत गौड़,गिरिराज पारीक, शिव दाधीच ने विवाह के समय परिवार के जुड़ाव पर रचनाएं प्रस्तुत की। बाबू कटपीस ने ख्यातनाम कलाकरों की आवाज में पैरोडी सुनाकर सबको गुदगुदाया।

अध्यक्षता राजस्थानी के वरिष्ठ गीतकार शिवराज छंगाणी ने की। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ने आभार जताया। रमक झमक के राधे ओझा ने बताया कि रविवार को ‘सावा को लेकर महिला सम्मेलन होगा जिसमें विभिन्न विषयों पर उनसे खुलकर चर्चा करवाई जाएगी। इसमें सर्व समाज को शामिल किया जाएगा।

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