Saturday, April 27, 2024
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बीकानेर होली : बिस्सों के चौक में ’’नौटंकी शहजादी’’ रम्मत की धूम

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बीकानेर Abhayindia.com आशापुरा नाट्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में बुधवार को देर रात देवी आशापुरा माता के बाल स्वरूप् के रमणसा उस्ताद के अखाड़े में अवतरण आशापुरा के जयकारे के साथ शुरू होगी। आशापुरा के मंच पर पहुंचने से पूर्व ही बिस्सों का चौक श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। श्रद्धालुओं ने आशापुरा का जयकारा लगाते हुए पुष्प माला, नेवैद्य चढ़ाकर वंदना की। रम्मत के पूर्वाभ्यास स्थल रमणसा बिस्सा के साधना, आराधना स्थल पर रम्मत के पूर्व उस्तादों जागनाथजी, हीरालालजी, रमणसा आदि का स्मरण व तेल चित्र पर पुष्पांजलि दी तथा परमात्मा शिवजी व गणेशजी का स्मरण किया। ’’शिव-शिव रटै, संकट कटै, दुश्मन हटै घबराएं के, काशी विश्वनाथजी मोरी मदद कर जो आए के’’, गणराज कर सिद्ध काज अब मोरी लाज तोरे हाथ है, कर जोड़ करता बंदगी, रिद्ध-सिद्ध दोनों साथ है’’। ’’गुरु जागनाथ उस्ताद जीओ जिनका मेरे सिर हाथ है, मंडली मेरी नित खुश रहे, दंगल में मेरे साथ है’’। फिर आशापुरा की स्तुति की गई ’’बनो सहायक छंद बनाने में करो आशा पुरा आनंद शहर बीकाणे में ’’ ’’गुरु जागनाथजी के पास स्वर्ग में पहुंचे हीरालाल, खुश रहो सदा मंडली मेरी कैवे बिस्सा रमण लाल’’। मेरा तेज अखाड़ा सारों में करो आशापुरा आनंद शहर बीकाणे में’’।

रम्मत कथानक : रम्मत के वरिष्ठ कलाकार कृष्ण कुमार बिस्सा ने बताया कि हाथरस के मुरलीधर शर्मा की ओर से लिखित इस लोक नाट््य में भाभी के ताने ’’देवर हकूमत आपकी हम पर सही न जाए, देते सो दीजौ मती मुझे नहीं परवाह।, आपकी खिदमदगारी करेगी ब्याही नारी, जो तन्खा तुमरी पावे, अष्ट पहर, हर घड़ी पेशवाही में वोही आवे’’। पंजाब के सियालकोट के राजा फूल सिंह भाभी का ताना सुनकर घर से निकल जाता है। भाभी अपने पति भूप सिंह से कहती है कि अपने भाई को मनावों, वे तो मजाक में ही घर से निकल गए। भाई के समझाने व मनाने पर भी नहीं मानता। वह अपने भाई से कहता है कि ’’उस नौटंकी के बिना, बचे ना मेरी जान, छोड़ा अपने वतन को आयो गढ़ मुलतान’’। वह मुलतान पहुंचकर वहां की शहजादी के रूप् सौन्दर्य पर आकर्षित हो जाता है तथा मालिन को दोस्त बनाकर उसका स्वरूप् धारण कर शहजादी नौटंकी के महल पहुंच जाता है। शहजादी व मालिन का स्वरूप् धारण किए हुए राजकुमार फूलसिंह उर्फ पंजाबी आपस में बतियाते है तथा एक दूसरे शादी करने का निश्चित करते है। दोनों महिलाएं होने से वे सादिक पीर को मनाते है जिससे एक मर्द हो जाए। ’’सादिक मनाऊं में तुम को , सुन पीर पुकार, मनाऊं में तुम को। बहूवर मर्द होई जाएवे, मर्द हुई जावें मेरा भरतार, मनाऊं तुमको’। फूलसिंह मर्द का रूप धारण कर प्रकट हो जाता है, शहजादी नाराज हो जाती है वह कहती है कि तुम पहले से मर्द था, मालिन को रिश्वत देकर मेरे पास आया था’’। फूल सिंह शहजादी से विनती करता है मैं भाभी के तानो ’’कहन की करी कटारी रे, मेरे सीने में मारी रे’’ से तंग आकर आपस शादी करने के लिए आया था। आप माफ करो या सूली चढ़वादो ’’मुझे तंग क्योकर करो, प्यारी सुन फरियाद, रानी सादिक पीर ने दिल की दई मुराद’’ । नौटंकी शहजादी के पिता को इस धोखाधड़ी का पता चलने पर वह राजकुमार फूलसिंह को फांसी की सजा सुना देता है, शहजादी अपने पिता से प्रार्थना करती है ’’अर्ज मेरी बाबू उर में धारो, जिसे आप सुली दिलवावो, वो भरतार हमारो’’ । शहजादी का पिता बेटी की फरियाद सुनकर राजकुमार फूल सिंह को माफ कर देता है तथा अपनी बेटी शहजादी का विवाह कर उसको हंसी खुशी से भेज देता है।

रात करीब दो बजे शुरू होने वाली रम्मत में आशापुरा के बाद ’खाखी का पात्र आता है ’’लोग खाखी आयो धूम के’’ का उद््घोष करते है, उसके बाद जोशी जोशण का पात्र अच्छे जमाने का शकून करता है। रम्मत का समापन ’’माता है म्हाने टाबरियां ने ठंड रा झोला दीजो ऐ’ से होगा। नौटंकी शहजादी उर्फ पीर की करामात रम्मत में गणेश वंदना, शिव भजन ’’ गागड़दी गंग सोहे शीश पे, पागड़दी पर्वतों साथ’’। रम्मत में लावणी, विभिन्न रागों यथा दादरा, रेखता, माड, कलंगड़ा, कवित में काव्यमय संवाद, दोहा, चौबोला, कविता, गजल आदि की प्रस्तुतियां दी जाएगी। रम्मत के संवाद दिया ताइना तानके, मार दई शमशीर, परत फोर, निकली उधर, गई कलेजा चीर’’, लाख कहै मानूं नहीं होनहार से होई जो कुछ लिखा ललाट पर मेट सके न कोई’, दर्पण में मुख देखता, बना नाजनी नार, मालिन ले चल महल में मत ना करें अबार’’ आदि संवादों पर श्रोताओं ने ’’क्या बात है, क्या कहना है’’ आदि के उद्घोष कर कलाकारों का हौसला बुलंद किया।

रम्‍मत के कलाकार और भूमिका : मां आशापुरा के स्वरूप में नैतिक बिस्सा, कृष्ण कुमार बिस्सा-पंजाबी उर्फ फूल सिंह, भूप सिंह के पिता-राम कुमार बिस्सा, भूपसिंह-गोविंद गोपाल बिस्सा, मनोज कुमार व्यास-नौटंकी शहजादी, विकास पुरोहित-मालिन, भाभी-प्रेम गहलोत, इंद्र कुमार बिस्सा-कोतवाल, महेन्द्र बिस्सा-यार की भूमिका निभाई। पार्श्व में सुप्रसिद्ध कलाकार सांवर लाल रंगा, नरोत्तम रंगा, बलूजी बिस्सा, सूरज किशोर बिस्सा, डी के कल्ला, लूणाराम, विजय कुमार व्यास, अनिकेत बिस्सा, दामोदर दास ओझा, रविन्द्र बिस्सा नगाडा वादक मनीष व्यास, अविनाश बिस्सा, राज कुमार व्यास ने संवादों की टेर भरी तथा गायन में सक्रिय भागीदारी निभाई। हारमोनियम पर नरोत्तम रंगा, गोविन्द गोपाल बिस्सा ने संगत की। रम्मत में शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जनार्दन कल्ला, कन्हैयालाल कल्ला ने कलाकारों की हौसला अफजाई की। आशापुरा माताजी की पूजा वैदिक मंत्रोच्चारण से योगेश कुमार बिस्सा’ वनटूसा’’ ने करवाई।

मेले सा माहौल : बिस्सों के चौक में बुधवार रात से मेले का सा माहौल था। पान पान की वस्तुओं, खिलौनों, खाटा-चूरी, गुब्बारे, मुखौटे आदि की अनेक अस्थाई दुकानें सुबह से ही लग गई थीं। चौक में रंग बिरंगी रोशनी से सजावट की गई। रम्मत के पूर्व आयोजनों के चित्रों को प्रदर्शित किया गया। रम्मत में विभिन्न तरह स्वांग बने लोग अलग ही आकर्षण बने। -शिव कुमार सोनी, वरिष्ठ सांस्कृतिक मीडियाकर्मी

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