







बीकानेर Abhayindia.com बीकानेर में जननायक के रूप में विख्यात पूर्व विधायक स्वर्गीय मुरलीधर व्यास का आज उनकी 49वीं पुण्यतिथि पर कई जगहों पर श्रद्धामय स्मरण किया गया। स्थानीय सुथारों की बड़ी गुवाड़ में स्थित उनकी मूर्ति पर श्रद्धाजंलि कार्यक्रम रखा गया।
इस मौके पर वरिष्ठ कवि, साहित्यकार विशन मतवाला, नारायण दास रंगा, सामाजिक कार्यकर्त्ता नटवर व्यास, जगमोहन आचार्य (जग्गु भा), जगदीप बिस्सा, प्रेमंशकर पुरोहित, राकेश कुलरिया, बाबूभा, रोहित बोड़ा, जी. डी. पुरोहित, नारायण बाबू, अमित पुरोहित आदि ने कहा कि पूर्व विधायक मुरलीधर व्यास का जीवन प्रेरणादायी है। आज के दौर में उनका कोई सानी नजर नहीं आता। जनप्रतिनिधियों को उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। तभी वे सही मायने में जनता के सेवक कहला सकेंगे।
शहर में दो जगह हैं जननायक की मूर्तियां…
पूर्व विधायक जननायक मुरलीधर व्यास की मूर्तियां बीकानेर में दो जगह है। एक रेलवे स्टेशन बीकानेर और दूसरी सुथारों की बडी़ गुवाड़ में। सेंट्रल गवर्नमेंट की प्रोपर्टी पर इनकी प्रतिमा इनके कद को समझने के लिए पर्याप्त हैं। मुझे गर्व है कि मैं भी उसी गुवाड़ का निवासी हूँ। इसलिए आज की पीढी़ को नेताओं की इस विलुप्त प्रजाति से थोडा़ अवगत कराने का एक छोटा प्रयास कर रहा हूँ। इनका जन्म 4 जुलाई 1918 को हिंगनघाट (वर्धा, महाराष्ट्र) में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा नवभारत विद्यालय, वर्धा में हुई। बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यास एक कुशल खिलाड़ी, कवि-लेखक और बेहतरीन वक्ता थे। पारिवारिक पृष्ठभूमि और 1948 में पुष्करणा स्कूल में अध्यापन के कारण बीकानेर उनके लिए कर्मस्थली बन गया। स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय रहे व्यास कई बार जेल भी गए। उन्होंने गोवा मुक्ति आंदोलन में भी हिस्सा लिया। आज़ादी के बाद मुरलीधर व्यास ने 1957 से 1967 तक समाजवादी नेता के रूप में राजस्थान विधानसभा में बीकानेर का प्रतिनिधित्व किया और झौंपडी इनका चुनाव चिन्ह था। एक जन आंदोलन का नेतृत्व करते हुए पुलिस की बर्बर लाठियों से बुरी तरह घायल होने के बाद वे फिर कभी संभले ही नहीं और 30 मई 1971 को उनकी असमय मृत्यु हो गयी। राजनीति से एक युवा सितारा भले ही अचानक औझल हो गया हो किन्तु उसका प्रकाश आज तलक लोगो की आँखों में दीप्त है। संघर्षपूर्ण जीवन के कारण बीकानेर इन्हें “शेरे व्यास” के नाम से जानता है। राजनीति में व्याप्त घपलेबाजी और घोटालों की गूँज के इस काल में सहसा यकीन ही नहीं होता कि जिनके नाम पर अब शहर में एक बड़ी कॉलोनी (मुरलीधर व्यास नगर) बसी हो, अपने जीवनकाल में एक मकान तक खुद उनके नाम पर न था। राजनीति में लोभ, छलकपट तब भी मौजूद थे लेकिन मुरलीधर व्यास इन सबसे परे एक अलग ही छवि में ढ़ले थे। व्यासजी सरीखे लोगों की वजह से ही ईमानदारी, परोपकार इत्यादि मानवीय गुण आज तक कायम है। (ये विचार, सिंथेसिस के डायरेक्टर जेठमल सुथार की फेसबुक वॉल से)
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