






बीकानेर (सुरेश बोड़ा)। बीकानेर में कोरोना का संकट अब बेहद गहरा गया है। चार महीने पहले जब एक साथ दो से दस कोरोना मरीज सामने आते थे तो शहरवासी अचंभित हो जाते थे। घरों से निकलने से बचते थे। लेकिन, अब हर दिन 100 या इससे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज सामने आने लगे है। इसके बाद किसी के मुंह से ऊफ…! तक नहीं निकलता। हां, लोग इतना जरूर कहते हैं कि “लोग मानते ही नहीं है।” यहां पर यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वे कौन लोग हैं जो कोरोना बेहिसाब फैलने के बाद भी “मानते नहीं है।”
हम यदि इसकी ईमानदारी से छानबीन करें तो यह साफ हो जाएगा कि इसके लिए सबसे ज्यादा वे लोग ही जिम्मेदार है, जिन्हें समाज में “जिम्मेदार” समझा जाता है। सिस्टम चाहे कितने भी सख्ती कर लें ऐसे “जिम्मेदार” अपनी जिम्मेदारियां से भागते नजर आ रहे हैं। कोई विरोध प्रदर्शन के नाम पर, तो कोई प्रचार के नाम पर और कोई जीमण के नाम पर लगातार लोगों के हुजूम जुटा रहे हैं।
इस संकटकाल में इन “जिम्मेदारों” की लापरवाहियां आमजन पर भारी साबित हो रही है। अपने प्रचार के चक्कर में ये “जिम्मेदार” बिना मास्क लगा कर अपने फोटो सैशन करवा रहे हैं। इन्हें देख कर आमजन भी लापरवाह होता जा रहा है। वो यह देखकर हैरान है कि जब इन “जिम्मेदार” लोगों को कोरोना नहीं हो रहा है तो भला हमें कैसा होगा? असल में, ऐसी धारणाएं ही कोरोना को फैलाने के लिए सबसे ज्यादा “जिम्मेदार” लग रही है।
आप सर्वे के तौर पर किसी से भी यह सवाल करके देख लें कि बीकानेर में कोरोना क्यों फैल रहा है? इसका जवाब सभी यही देंगे कि “लोग मानते ही नहीं है।” लेकिन, अब यह वक्त लोगों को दोष देना का नहीं, बल्कि अपने आप को सतर्क और सचेत करने का है। दूसरों पर दोषारोपण करने के बजाय हमें खुद कोरोना से बचना है। साथ ही सिस्टम का भी साथ देना है। सिस्टम में भी बैठे हुए अधिकारी, कर्मचारी हो या डॉक्टर और पुलिसकर्मी। वे भी तो “अपने” ही है। वे भी तो कहीं न कहीं अपनी जान को जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं।
यह बात सही है कि बीकानेर में कोरोना के शुरूआती संकट के दिनों में सिस्टम ने भी खूब लापरवाहियां बरती थी। ऐसे कई अफसर थे जो चाटुकारों और कथित सफेदपोशों से घिरे हुए रहे। लेकिन, अब इसमें हालांकि काफी हद तक कमी आई है। नए कलक्टर नमित मेहता दिनभर मीटिंगों के माध्यम से अफसरों को आपसी समन्वय से काम करने की लगातार हिदायतें दे रहे हैं। खुद भी पीबीएम अस्पताल और अन्य जरूरी मौकों पर पहुंच रहे हैं। सीएमएचओ और उनकी टीम पूरी जी-जान से जुटी है, पीबीएम अस्पताल का प्रबंधन और स्टाफ अपनी ओर से हरसंभव मदद के प्रयास कर रहे हैं।
ऐसे हालात में आमजन को भी चाहिए कि वो संयम रखते हुए कोरोना से खुद और दूसरों को बचाने के लिए जी-जान लगा दें, तभी हम इस महामारी का मुकाबला कर सकेंगे। नहीं तो… “लोग मानते ही नहीं है।” का जुमला दिल बहलाने के लिए तो ठीक ही है।
By- Suresh Bora, Editor, Abhay India
बीकानेर : जब दावतें उड़ रही थी, तब कहां सोया हुआ था सिस्टम? क्यों आई कर्फ्यू की नौबत…
बीकानेर : पीबीएम अस्पताल में बनेगा 90 लाख की लागत से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट : मेहता
निजी चिकित्सालयों में होगा कोरोना मरीजों का इलाज, कलक्टर ने कहा- एमओयू किया जाए…
बीकानेर में 119 के बाद 42 नए कोरोना मरीज इन इलाकों से आए सामने…



