








बीकानेर abhayindia.com धर्मनगरी में निर्जला एकादशी मंगलवार को धामिक उल्लास के साथ मनाई गई। इस मौके पर दिनभर दान-पुण्य की धूम रही। बंद होने के बावजूद भी मंदिर परिसरों में ठंडे पानी की मटकियां रखवाने का दौर जारी रहा। वहीं, कई जगहों पर सेवादारों ने शर्बत, लस्सी और ठंडे पानी की सेवाएं दी।
हालांकि, हर साल निर्जला एकादशी पर लक्ष्मीनाथजी मंदिर में मेले सा माहौल रहता है, लेकिन इस बार कोरोना आपदा के चलते ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं रही। गिनती के श्रद्धालु ही मंदिर पहुंचे। वहीं, परपंरा के अनुसार शहर में बहन-बेटियों को सगार सामग्री के अलावा आम, चीणी से बने ओळों व सिंगाडा़ आटे व चीनी से निर्मत सैवइयां भेंट करने का दौर भी दिनभर चलता रहा।
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श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य के साथ पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास किया। पंडित गेवरचंद भादाणी ने बताया कि निर्जला एकादशी का शास्त्रों में भी खास महत्व बताया गया है। भादाणी के अनुसार महाभारत काल में भीम ने इस उपवास को रखा था। इस कारण इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए निर्जल के उपवास किया जाता है। भगवान विष्णु के पूजन के बाद हवन, दान-पुण्य करने का खास महत्व है। बताया जाता है कि वर्षभर में जितनी एकादशी आती है, निर्जला पर उपवास करने से उन सभी का फल मिलता है।
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