Monday, April 21, 2025
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Curfew In Bikaner : शहर के महाकर्फ्यू ग्रस्त इलाकों में राशन और दूध को तरस रहे लोग

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बीकानेर abhayindia.com शहर में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद दो वार्डो में लगाये गये महाकर्फ्यू वाले इलाकों में जरूरमंदों को राशन और दूध नहीं मिलने से लोगों की हालत खस्ता है। राशन और खाने का बंदोबश्त नहीं होने से इलाके के गरीब और मजदूर परिवारों में भूखमरी की नौबत आ गई है। इन इलाकों में पुलिस की हद से ज्यादा सख्ती भी लोगों के लिये आपदा के इस दौर में पीड़ादायी बनी हुई है।

हालांकि महाकर्फ्यू वाले इलाकों में जिला प्रशासन की ओर से सभी जरूरतमंदों को भोजन वितरण का दावा तो किया जा रहा था, लेकिन कुछ लोगों तक ही खाना पहुंच रहा था। कई जगह तो भोजन वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया गया।

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स्थानीय लोगों को कहना है कि महाकर्फ्यू  वाले दोनों ही वार्डों में जरूरतमंदों को मिलने वाला भोजन केवल कुछ लोगों तक ही सीमित होकर रह गया है। कई लोग अभी भी इससे वंचित हैं। बीएलओ की ओर से तैयार की गई सूची के अनुसार 5-6 लोगों को सूखी सामग्री मिली है। जबकि शेष को सरकार की अन्य सुविधाओं का लाभ मिलना बताया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से  खाना वितरण में भेदभाव किया जाता है। इसके कारण अधिसंख्य लोगों तक खाना नहीं पहुंचता। इस दौरान कई महिलाएं जरूरी सामान लेने घरों से निकलती है तो पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें बलपूर्वक खदेड़ दिया जाता है।

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महाकर्फ्यू ग्रस्त नूरानी मस्जिद इलाके में रहने वाले भ्रष्टाचार निरोधक जन कल्याण संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री एनडी कादरी ने बताया कि हमारे इलाके में गली मौहल्लों में ऐसे अनेक परिवार है जिनके घरों पर खाने पीने की सामग्री खत्म हो चुकी है, बच्चों के लिये दूध भी मुहैया नहीं हो रहा है। परिवारों के लोग दूध और राशन के लिये घर से निकलते है तो उन्हें पुलिस के कोपभजन का शिकार होना पड़ा रहा है।

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कादरी ने बताया कि इस मामले में प्रशासन और पुलिस के आला अफसर भी हमारी सुनवाई नहीं कर रहे है। वहीं शहर में कोरोना का हॉटस्पाट बने ठंठेरा मौहल्ला समेत आस पास के इलाकों में गरीब परिवारों को दूध और राशन तक मुहैया नहीं हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि खाना और दूध वितरण के लिये जो वाहन आते है, वहां तक पहुंचने के लिये लोगों को पुलिस की सख्ती का सामना करना पड़ता है।

कुछ इस वीडियो में दिखने वाले, तो कुछ ऐसे भी जिनके लिए ऐसे शब्द लिखने पड़े…..

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