बीकानेर abhayindia.com शहर के रेल फाटकों की समस्या के समाधान के लिए तीन दशक बाद भी रेल बाइपास पर महज चर्चा ही हो रही है। इससे पहले भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में इस समस्या के समाधान के लिए एलीवेटेड रोड का राग अलापा गया था, जबकि अब कांग्रेस सरकार में रेल बाइपास का राग शुरू हो गया है। फाटकों की समस्या के समाधान के लिए गुरुवार को जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी और ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में रेलवे और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में व्यापक विचार-विमर्श किया गया। बैठक में शहर में रेलवे ट्रैक और फाटकों की समस्या से निपटने के लिए बाईपास सहित अन्य विकल्पों पर गुणदोष के आधार पर चर्चा की गई।
डॉ. कल्ला ने कहा कि रेलवे की विस्तार योजना में रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण और डबल ट्रैक प्रस्तावित है। ऐसी स्थिति में शहर से गुजरने वाला रेल्वे ट्रैक कत्तई उपयुक्त नहीं है। इस ट्रैक के आसपास की बस्तियों के मकानों को खतरा होने से जन-धन की हानि हो सकती है। रेलवे फाटकों के कारण शहर का आमजन यातायात को लेकर भी लम्बे समय से पीड़ित है। इसलिए हमें मिल-जुलकर इसके समाधान के लिए प्रयास करने की जरूरत है।
डॉ. कल्ला ने कहा कि बीकानेर संभाग में राष्ट्रीय राजमार्ग पर रेलवे फाटकों की समस्या का भी समधान करने के लिए भी पुख़्ता उपाय किए जाएं। उन्होंने कहा कि शहर के रेल्वे फाटकों की समस्या को लेकर एक लम्बे समय से विकल्पों पर विचार ही होता रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत पर कोई भी कार्यवाही नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व में स्वीकृत एलीवेटेड रोड को लेकर सर्वे के बाद बजट के आवंटन के बावजूद तत्कालीन सरकार द्वारा रेलवे के साथ एमओयू नहीं किए जाने के कारण यह कार्य शुरू नहीं हो सका। रेलवे बाईपास के 26.5 किलोमीटर मार्ग पर लालगढ़ से नाल तक रेलवे ट्रैक भी बन गया है,लेकिन शेष 14.5 किलोमीटर नाल से गाढ़वाला तक का कार्य हो जाने से बाईपास का कार्य पूर्ण हो सकता है। उन्होंने कहा कि रेलवे के अधिकारियों को आगे बढ़कर इसके समाधान के लिए सक्रिय होना होगा।
डॉ. कल्ला ने कहा कि रेलवे भी बाईपास बनाए जाने के विकल्प पर सहमत है। उन्होंने बताया कि बैठक में बाईपास, एलीवेटेड रोड अथवा रेलवे टनल जैसे प्रस्तावों के उपरान्त प्राप्त सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आगे बैठक का आयोजन कर निर्णय लिया जाएगा।
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