








बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। आबकारी विभाग की ओर से लॉटरी प्रक्रिया के जरिये शराब के ठेकों का आवंटन होने के बाद खरीद–फरोख्त भी शुरू हो गई है। यह बात भले ही चौंकाने वाली लगे, पर है हकीकत। अहस्तांरणीय शराब के ठेकों को बेचकर चांदी काटने की होड़–सी मची हुई है। इसमें यह खास है कि दुकानों का बेचान वे लोग ही कर रहे हैं, जो इस धंधे में नए है और आवेदन इसीलिए भरा था कि दुकान आवंटित होगी तो लाखों रुपए कीमत मिल जाएगी। शराब का धंधा करने वाले ठेकेदार इन लोगों से किसी भी कीमत पर दुकान खरीद रहे है, ताकि उनका धंधा बदस्तूर चलता रहे। वैसे यह खरीद–फरोख्त नियमों के तहत तो नहीं है, लेकिन कीमतें आसमां छू रही है।
अनुमानित तौर पर ठेकों की कीमत बीस से पचास लाख तक मानी गई है। जितने ज्यादा लाभ वाली दुकान होगी उतनी ही उसकी कीमत मानी जा रही है। इन दिनों जिन लोगों के नाम शराब की दुकानें आवंटित हुई है, उनसे शराब कारोबारी सम्पर्क कर खरीद–फरोख्त की बातें कर रहे हैं। मांग बढऩे से दुकानदार भी ज्यादा कीमत बताते हुए सौदा तय करने में जुटे हुए हैं। खबर है कि बीकानेर में लंबे समय से सक्रिय शराब कारोबारियों की दो नामी फर्मो के संचालकों ने अंग्रेजी और देशी शराब दुकानों की खरीद–फरोख्त के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।
इसके अलावा भी कई नामी शराब कारोबारी शराब ठेकों के लिए ऊंची बोली लगा रहे है। वहीं अच्छे मुनाफे वाली कम्पोजिट दुकानों की सौदेबाजी के लिये तो तीस लाख तक बोली लग गई है। ज्यादा मुनाफा वाली अंग्रेजी या कम्पोजिट दुकान के दाम पचास लाख रुपए तक आंके गए है। कुछ दुकानदारों में यह मोल–भाव हो भी चुका है तो कुछ लोग अभी बातचीत कर रहे है। चाहे जो हो, लेकिन इस तरह की सौदेबाजी में दुकानदार शराब की दुकान से हाथ भी धो सकता है।
…तो निरस्त हो सकता है ठेका
जिला आबकारी अधिकारी ओ. पी. पंवार ने बताया कि नियमानुसार आबकारी विभाग की और से आवंटित ठेकों का न बेचान किया जा सकता है न भागीदारी डाली जा सकती है जिन्हे आवंटित हुआ है, वहीं लोग संचालित कर सकते है। खरीद–फरोख्त का मामला सामने आया तो कड़ी कार्रवाई करेंगे। इसके तहत दुकान निरस्त तक की जा सकती है।
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