बीकानेर Abhayindia.com मायड़भाषा राजस्थानी की मान्यता की मांग को लेकर राजस्थानी मोट्यार परिषद के नेतृत्व में विभिन्न संस्थाओं की ओर से 21 फीट लंबा पत्र कलक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजा गया है।
राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ गौरीशंकर प्रजापत ने बताया कि वर्षो पुरानी भाषा की वाजिब मांग को अनदेखा करना सरकार की हठधर्मिता को दर्शाता हैं। परिषद के डॉ. हरिराम बिश्नोई ने बताया कि आज का युवा भाषा को लेकर सचेत हो गया हैं। आज राजस्थान के हर जिले, कस्बे में युवा भाषा की बात कर रहा है तो सरकार को युवाओ की बात पर गौर करना चाहिए।
प्रदर्शन के प्रभारी राजेश चौधरी ने बताया कि आज हर प्रदेश की मातृभाषा को महत्व हैं वहीं राजस्थान के लोग इससे अछूते हैं। अभी पिछले दिनों ही इक्कीस दिनों की पैदल यात्रा कर एक लाख हस्ताक्षर करवाने वाले सुदेश राजस्थानी और राजू नाथ ने कहा कि मायड़ भाषा के लिए लोगों के मन मे गहरी पीड़ हैं। सरकार को तुरंत इस पर गौर करना चाहिए। रामावतार शर्मा और डा नमामी शंकर आचार्य ने कहा कि आज राजस्थान का युवा बेरोजगार घूम रहा है अगर भाषा को मान्यता मिलती हैं तो लाखों रोजगार पैदा होंगे। हिमांशु टाक ने कहा कि युवाओ की आवाज़ शांतिपूर्वक सुनी जानी चाहिए।
परिषद के प्रशांत जैन सरजीत सिंह ने बताया कि हस्तक्षार अभियान में लोगों की यही मंशा थी कि राजस्थानी को उसका हक मिले। छात्र नेता करण चौधरी ने राजस्थानी भाषा से होने वाले फायदों को गिनाते हुए सरकार से आग्रह किया कि केंद्र सरकार द्वारा जो नई शिक्षा नीति लाई जा रही हैं उसमें राजस्थान का विद्यार्थी राजस्थानी भाषा के मार्फ़त ही अपना भविष्य सुनहरा कर सकता हैं।
प्रदर्शन में राजेंद्र जोशी, कमल रंगा, राजाराम स्वर्णकार, गिरिराज पारीक, मोइनुदीन कोहरी, जुगल किशोर पुरोहित, पृथ्वी राज रतनू, गोविंद जोशी, विप्लव व्यास, योगेश राजस्थानी, अजय कंवर, अनु राजपुरोहित, मुकेश रामावत, भरत चारण, आकाश चौधरी, लोकेश सोनी, योगेश तंवर, पुनीत चौधरी, प्रेम सैन, देव सारस्वत, सोलेज खान, अजय जाखड़, अमन चौधरी, शुभकरण उपाध्याय, सुरेश जोशी, अशोक प्रजापत, बाबू लाल परिहार, वीरेंद्र, विक्रम सिंह, घनश्याम, कैलाश जनागल, जगदीश नारायण, अभिरूप चौधरी, जय दयाल जोशी शामिल रहे।