जयपुर/उदयपुर (अभय इंडिया न्यूज)। राज्य सरकार प्रदेश के पुरातात्विक महत्व के किले, महल और हवेलियों के संरक्षण के लिए अलग के कानून बनाने पर विचार कर रही है, ताकि हमारी धरोहर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो और आने वाली पीढिय़ां भी इनसे साक्षात्कार करें। राजस्थान अपने पुरातात्विक महत्व की इमारतों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
यह जानकारी सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान ने उदयपुर में रविवार को आयोजित इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस के दो दिवसीय सेमीनार के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि पुरातन सभ्यता और संस्कृति हमारे राज्य ही नहीं पूरे देश की पहचान है और इसे कायम रखना हमारा दायित्व है। भाषा, खान-पान, रहन-सहन और पहनावे की भिन्नता के बावजूद इसी सांस्कृतिक एकता ने हमारे देश को एक सूत्र में बांध रखा है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद किले, महल, शेखावाटी की हवेलियां आदि हमारी थाती है। यह सब निर्माण कला के अद्भुत नमूने हैं जो हमारी पिछली पीढिय़ों की हमारे लिए देन हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन की दिशा में हमें मनन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने धरोहर संरक्षण और प्रोन्नति प्राधिकरण की स्थापना कर इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब अलग से कानून लाने पर विचार किया जा रहा है ताकि हमारी धरोहर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो और आने वाली पीढिय़ां भी इनसे साक्षात्कार करें।
खान ने कहा कि उच्च तकनीक की उपलब्धता के बावजूद वर्तमान में बन रही इमारतों का जीवनकाल लंबा नहीं होता। यहां तक कि वे हमारी पुरातात्विक इमारतों की तुलना में अधिक रखरखाव भी मांगती है। हमें इस स्थिति को बदलने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक इंजीनियर यह प्रण करें कि वह अपने जीवनकाल में कम से कम एक ऐसी इमारत खड़ी करेगा जिसका जीवन सौ या दो सौ साल हो। वह इमारत हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए धरोहर साबित हो। यदि इंजीनियर्स अपने काम के साथ कोई समझौता नहीं करे तो यह चुनौती आसानी से पार की जा सकती है।