Sunday, May 5, 2024
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साहित्य: राजस्थानी के बढ़ावे के लिए प्रयास जरूरी, 21 राजस्थानी पुस्तकों का लोकार्पण…

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बीकानेर.श्रीडूंगरगढ़Abhayindia.com यहां राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से मनाई जा रही हीरक जयंती के तहत रविवार को संस्था के तत्वावधान में प्रकाशित राजस्थानी भाषा की 21 पुस्तकों का लोकार्पण व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय राज मार्ग 11 पर स्थित संस्कृति भवन में हुए इस समारोह में राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति, कला, शिक्षा व प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 21 लेखकों का सम्मान किया गया। अध्यक्षता करते हुए डॉ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां भाषिक समृद्धि में प्रांतीय बोलियों व भाषाओं का अत्यधिक महत्व है। प्रांतीय भाषाओं को अध्ययन व अध्यापन में वर्चस्व दिया जाना चाहिए।

क्योंकि थोपी हुई भाषाओं के कारण विद्यार्थी विद्वता ग्रहण नही कर सकते है। मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए डॉ. प्रकाश अमरावत ने कहा कि हमारी मातृ भाषा राजस्थानी के महत्व को बढ़ाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए भी संघर्ष करना चाहिए। डॉ. गजादान चारण ने कहा कि करीब साढ़े आठ करोड़ राजस्थानी भाषी होने के बाद भी इस भाषा को शिक्षा के तहत विद्यालयों व महाविद्यालयों में लागू नही किया जा रहा है।

यह चुनौती से कम नहीं है। लक्ष्मीनारायण सोमानी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को अधिक से अधिक सुगम बना कर ही हम उसके प्रचलन को जारी रख सकते है। महावीर माली ने संस्था की कार्य योजना के बारे में बताया। संस्था अध्यक्ष श्याम महर्षि ने हीरक जयन्ती की कार्य योजना के बारे में अवगत करवाया। संयोजन करते हुए रवि पुरोहित, अरूण गुप्ता, मनमोहन कल्याणी ने भी राजस्थानी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर गजादान चारण, साधना जोशी प्रधान, सत्यदीप, शंकरसिंह राजपुरोहित, अभिलाषा पारीक, देेवीलाल महिया ने कविता पाठ किया। इस अवसर पर रामचन्द्र राठी, ताराचन्द इन्दौरिया, पृथ्वीराज रतनू, तुलसी राम चौरडिया, श्रीकृष्ण खण्डेलवाल, सत्यनारायण योगी, मोतीसिंह राठौड़, दयाशंकर शर्मा सहित साहित्यकार मौजूद रहे।

इन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण…

समारोह में संस्था की ओर से प्रकाशित राजस्थानी भाषा की 21 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इसमें वेद व्यास व श्याम महर्षि द्वारा सम्पादित महात्मा गांधी पर केन्द्रित 87 कविताओं के संग्रह आजादी रा भागीरथ गांधी, श्याम महर्षि द्वारा अनुदित अनुराधा पाटिल री टाळवीं मराठी कवितावां, विमला नागला की हेत रो परवानो व बगत रो फेर, डॉ. गजादान चारण की अंतस री आवाज व सबद सारंग, सन्तोष चौधरी की काया री कळझळ, रात पछे परभात, बड़ी मां, एड्स ले बैठ्यो व मन रा डोरा, किरण राजपुरोहित नितिला की गुडिया रा बाल,

अभिलाषा पारीक की ओळ्यू को इन्दरधनख, संजय पुरोहित की अमोलक उपहार, सत्यदीप की प्रेम री पोटळी, श्रीभगवान सैनी की सांचो मींतर व म्है ई रेत रमूंला, विजय महर्षि की दोस्ती और रवि पुरोहित की तिरंगो द्वितीय संस्करण, भरोसै रो सूरज व रजनी छाबड़ा की अंग्रेजी कविताओं के अनुवाद सुण अे म्हारी मां कृतियों का लोकार्पण हुआ।

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