









वास्तुशास्त्र के अनुसार, कई वास्तु दोष घर को नीलाम होने का कारण बन सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से भूमि दोष, गलत दिशा में द्वार, रसोई, टॉयलेट या सीढ़ियों का होना शामिल है। इसके अलावा, घर की संरचना या निर्माण में दोष भी वास्तु दोष का कारण बन सकते हैं, जिससे आर्थिक हानि और अन्य समस्याएं आती हैं। अब तक के अनुभव में आया है कुछ वास्तु दोष जो मकान को न चाहते हुए भी बेचने के लिए मजबूर कर सकते है।
मकान की दिशा का गलत उपयोग करने से वास्तु दोष हो सकता है, जैसे कि शयनकक्ष का दरवाजा दक्षिण दिशा में होना। भवन का आकार भी वास्तु दोष का कारण बन सकता है, जैसे कि भवन का आकार त्रिभुजाकार या कट-छांट वाला होना। प्रवेश द्वार का स्थान भी वास्तु दोष का कारण बन सकता है, जैसे कि प्रवेश द्वार का दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना। शयनकक्ष में शौचालय होने से वास्तु दोष हो सकता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य और धन के लिए हानिकारक हो सकता है। भवन के अंदरूनी हिस्सों में अंधेरा होने से वास्तु दोष हो सकता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा दे सकता है। कई बार भवन के आसपास की नकारात्मक चीजें, जैसे कि कब्रिस्तान, श्मशान घाट, या अन्य नकारात्मक स्थल, वास्तु दोष का कारण बन सकती हैं।
मनुष्य के जीवन में “मकान” का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यह केवल ईंट, पत्थर और सीमेंट से बना एक ढांचा नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसा स्थान होता है जहाँ व्यक्ति को सुरक्षा, शांति, अपनापन और सुकून मिलता है। मकान मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है – रोटी, कपड़ा और मकान।और यही मकान जब उसे किसी मजबूरी में बेचना पड़ता है या जब वह मकान का निर्माण कर रहा होता है और उसे बीच में ही रोकना पड़ता है तो उसे बहुत दुख होता है। अपनी वास्तु विजिट के दौरा ऐसी ही केस स्टडी सामने आई जो पाठकों के लिए उपयोगी हो सकती है।
केस स्टडी-1
राधाकृष्ण ने अपना मकान बहुत ही उत्साह से बनाना शुरू किया और मकान लगभग बना भी लिया था तभी इसी बीच कोई ऐसी समस्या आयी।जिससे वह मकान बीच में ही रुक गया और उसको न चाहते हुए भी मकान बेचना पड़ा उस मकान का वास्तु अवलोकन किया तब यह पाया कि उस मकान में पश्चिम की तरफ़ गेट था और पूर्व की तरफ़ भी गेट था।जिसमें पूर्व की तरफ़ T लगता था तथा उसके नैऋत्य कोण में शौचालय बना हुआ था। इस गलती के कारण आज उसका घर बनाने का सपना अधूरा ही रह गया।
केस स्टडी-2
मैंने एक मकान का अवलोकन किया जो कि विश्वनाथ का था। उस मकान में उत्तर पूर्व में प्रथम तल पर बहुत ही भारी निर्माण हो रखा था तथा दक्षिण-पश्चिम में बहुत ही कम निर्माण हो रखा था। इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिम में एक अंडरग्राउण्ड भी था।उस घर में दक्षिण पश्चिम वाले कमरे में शेयर मार्केट का काम भी होता था जिसमें उन्हें बहुत घाटा लगा और अंततः अपना घर बेचना पड़ा।
केस स्टडी-3
एक कॉर्नर पर स्थित मकान का मैंने अवलोकन किया। जिसके द्वार पश्चिम तथा दक्षिण की तरफ़ खुलते थे । उस मकान में जल कुंड अनुचित स्थान पर था तथा जल कुंड ने काफ़ी स्थान आँगन का भी घेर रखा था। इसके साथ ही घर में घुसते ही सीढ़ियाँ अनुचित तरीक़े से थी । उस घर का मास्टर बैडरूम भी अनुचित ही था और उस घर में जो व्यक्ति रहता था उसका काम भी उसकी मेहनत के हिसाब से बहुत कम चलता था। अतः यह हुआ कि उसे अपना घर बेचना ही पड़ा। अब सवाल उठता है कि क्या किया जाए कि मकान नीलाम होने की नौबत ही न आए। वास्तु पूजा करने से वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। दिशा का सही उपयोग करने से वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। भवन के अंदरूनी हिस्सों में प्रकाश करने से वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। नकारात्मक चीजों को हटाने से वास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। सनद रहे वास्तु शास्त्र एक पारंपरिक और आध्यात्मिक विज्ञान है। अपने घर के वास्तु दोष को मिटाने के लिए किसी योग्य अनुभवी वास्तुविद से सलाह ली जाए तो लाभ मिल सकता है। -सुमित व्यास, एम.ए (हिंदू स्टडीज़), काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी मोबाइल – 6376188431





