Friday, September 27, 2024
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माध्यमिक शिक्षा विभाग की रिट याचिका खारिज, ग्रीष्मावकाश का वेतन देने का मामला

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जोधपुर Abhayindia.com राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश फरजंद अली ने माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण के आदेश 21.7.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

आपको बता दें कि चुरू निवासी दिनेश कुमार की नियुक्ति राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 के नियम 20 के तहत द्वितीय श्रेणी वरिष्‍ठ अध्यापक के रूप में 22.12.1996 को उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा चुरू के द्वारा की गई। इसके अनुसरण में प्रार्थी ने 11.1.1997 को कार्यग्रहण कर लिया।

दिनांक 31.5.1997 को आदेश प्रार्थी को पुन कार्यमुक्त कर दिया व 27.06.1997 को उसे पुनः कार्यग्रहण करवाने का आदेश विभाग द्वारा पारित किया गया। पुन कार्यग्रहण आदेश के क्रम में प्रार्थी ने 1 जुलाई 1997 को पुन कार्यग्रहण कर लिया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा उसकी सेवाओ की गणना जुलाई 1997 से की गयी व उसे वर्ष 1997 के ग्रीष्‍मावकाश का वेतन भी नही दिया गया। साथ ही उससे चयनित वेतनमान के यह लाभ के लिये भी उसके सेवाओं की गणना जुलाई 1997 से की गयी। सेवा सबंधी सभी लाभ उसे 11.1.1997 से ना देकर जुलाई 1997 से प्रदान किये गये। जबकि उसके द्वारा कार्यग्रहण 11.1.1997 को कर लिया गया। अपने सेवा की गणना जनवरी 1997 से करने व अन्य लाभ जैसे चयनित वेतनमान, ग्रीष्‍मावकाश का वेतन आदि के लिये प्रार्थी ने विभाग के समक्ष कई बार निवेदन भी किया गया। परन्तु विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही गयी। विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर दिनेश कुमार ने एक अपील राजस्थान सिविल सेवा अधिकरण के समक्ष वर्ष 2019 में प्रस्तुत की। वर्ष 2022 में अधिकरण ने प्रार्थी के पक्ष में फैसला करते हुए उसे जुलाई 1997 के स्थान पर जनवरी 1997 से सेवा भी गणना करने चयनित वेतनमान का लाभ व वर्ष 1997 के ग्रीष्‍मावकाश का वेतन देने का आदेश दिनांक 21.7.2022 को पारित किया।

माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा अधिकरण के आदेश 21.7.2022 को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गयी अप्रार्थी दिनेश कुमार की ओर से अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि चुकि प्रार्थी की नियुक्ति राजस्थान अधीनस्थ सेवा नियम 1971 के नियम 20 के तहत द्वितीय श्रेणी अध्यापक के रूप मे हुई थी व उसे नियमित पद पर व नियमित वेतन श्रृखला मे नियुक्ति किया गया। इसलिए उसकी सेवा की गणना उसके प्रथम नियमित कार्यग्रहण 11.01.1997 से करने का आदेश जो अधिकरण ने पारित किया है, वो विधि सम्मत है व उसके किसी तरह का हस्तक्षेप उचित नहीं। दिनेश कुमार ने अधिवक्ता ने इस सबध मे उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में पारित कई न्यायिक दृष्‍टातों का हवाला देते हुए अपने तर्को को मजबूती प्रदान की।

उच्च न्यायालय की एकलपीठ मे माध्यमिक शिक्षा चुरू की ओर से प्रस्तु रिट याचिका को खारिज करते हुए दिनेश कुमार के पक्ष मे पारित अधिकरण के आदेश दिनांक 21.7.2022 को यथावत रखते हुए उसे उसकी नियुक्ति 22.12.1996 के तहत प्रथम कार्यग्रहण दिनंाक 11.1.1997 से उसकी सेवा की गणना करने व उसके तहत चयनित वेतनमान प्रदान करने व वर्ष 1997 के ग्रीष्‍मावकाश का वेतन भी देने का आदेश पारित किया।

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