बीकानेर Abhayindia.com संतों ने कहा है, सत्य से व्यवहार में नुकसान होता हो तो नहीं बोलना चाहिए, लेकिन असत्य तो बोलना ही नहीं चाहिए। झूठ नहीं बोलना है, इस पर जोर देना चाहिए। अच्छा करना है, इस पर कहीं–कहीं चूक हो सकती है। लेकिन बुरा नहीं करना है, इस पर चूक हो ही नहीं सकती। जिसमें आसक्ति होती है, उसके दोष दिखते नहीं हैं, जिससे वैर होता है, उसके गुण दिखते नहीं है।
ऐसे सद्ज्ञान भरे वचन सींथल पीठाधीश्वर 1008 महंत क्षमाराम महाराज ने सोमवार को गोपेश्वर बस्ती स्थित गोपेश्वर– भूतेश्वर महादेव मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीरामचरितमानस का पाठ करते हुए कहे।
महंत क्षमाराम महाराज ने प्रथम दिन भगवान शंकर के और सती के सीता का रूप बनाकर प्रकट होने, बाद में सती का दक्ष के यज्ञ में जाने और वहां पर यज्ञ में स्वयं को जला लेने, इसके बाद फिर पार्वती के रूप में जन्म लेने, भगवान शंकर और पार्वतीजी के विवाह सहित कई प्रसंग सुनाए। महंतजी ने चौपाइयों और दोहों का पाठ कर उनका विस्तारपूर्वक वर्णन सुनाया।
महंतजी ने कहा रामकथा बड़ी श्रेष्ठ है, कोई भी कथा सुनें तो रुचि पूर्वक सुननी चाहिए। बगैर रुचि के कथा सुनना, कथा का अनादर होता है। महंतजी ने निर्गुण और सगुण में पानी और बर्फ का उदाहरण देकर भेद बताया।